मनीष गोधा@ JAIPUR. अब इसे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चुनावी रणनीति माना जाए या अंतिम समय पर हड़बड़ी में किए गए फैसले, लेकिन आने वाली सरकार के सर गहलोत कई बड़े काम छोड़ गए हैं। इनमें सैकड़ो भर्तियां, महिलाओं को निशुल्क मोबाइल वितरण और सबसे महत्वपूर्ण जातिगत सर्वेक्षण का काम है। ये ऐसे काम है जिनके आदेश निकल चुके हैं और जो भी सरकार बनेगी उसे इन पर कोई ना कोई फैसला करना होगा।
मिशन 2030 डॉक्यूमेंट की घोषणा हुई थी
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पिछले पांच साल से चल रही थी। लेकिन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ज्यादातर बड़े फैसले आखरी वर्ष में ही किए हैं। गहलोत का मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट महंगाई राहत पैकेज से लेकर कई तरह की सौगातों से भरा था। इसी वर्ष में उन्होंने राजस्थान में जिलों की संख्या बढ़ाई और मिशन 2030 जैसे नवाचार भी किए। इनमें से कुछ फैसले बिल्कुल अंतिम समय में भी किए गए जैसे जातिगत सर्वेक्षण, तीन नए जिलों की घोषणा और मिशन 2030 डॉक्यूमेंट को जारी किया जाना। अंतिम समय में ही कुछ नियुक्तियां भी की गई हैं लेकिन क्योंकि बोर्ड आयोग में की गई नियुक्तियों राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं इसलिए उनका अब महत्व नहीं रह गया है। फिर भी कई ऐसे काम है जो गहलोत अधूरे छोड़ गए हैं और आने वाली सरकार को उन्हें पूरा करना होगा।
इन अधूरे फैसलों को चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है की अंतिम समय पर यह फैसला कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मतदाताओं को कहीं ना कहीं यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह कांग्रेस की सरकार चुनेंगे तो ही इन फैसलों पर काम आगे बढ़ सकेगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों जयपुर में हुई सभा में यह भरोसा दिलाया था की मौजूदा कांग्रेस सरकार के जनहित के जो काम है उन्हें रोका नहीं जाएगा बल्कि और बेहतर ढंग से लागू किया जाएगा। अब यह देखना रोचक होगा की अंतिम समय पर लिए गए फैसलों से मतदाता कितने प्रभावित होते हैं।
ये काम रह गए अधूरे
जातिगत सर्वेक्षण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना की बात हालांकि 2 महीने पहले कही थी लेकिन इस पर कुछ काम नहीं किया गया और आचार संहिता लगने से 2 दिन पहले इस पर फैसला कर जातिगत सर्वेक्षण कराया जाने का आदेश जारी किया गया। क्योंकि आदेश जारी हो गया है इसलिए आने वाली सरकार को इस पर कुछ ना कुछ फैसला जरूर करना पड़ेगा। यह फैसला जिस पार्टी की सरकार बनेगी उसकी पार्टी लाइन के अनुसार ही होगा।
मिशन 2030
हालांकि, यह मिशन 2030 का विजन डॉक्युमेंट अगले 7 साल की कार्य योजना के रूप में ही बनाया गया है लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाली सरकार इस पर किस गति और अप्रोच के साथ काम करती है।
महिलाओं को निशुल्क मोबाइल वितरण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिलाओं को निशुल्क मोबाइल वितरण की घोषणा हालांकि अपने पिछले वित्तीय वर्ष के बजट में की थी लेकिन इसे लागू नहीं कर पाए थे। इस वित्तीय वर्ष में जुलाई अगस्त महीने में इस योजना को लागू किया गया। कूल 1.35 करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन दिए जाने थे लेकिन समय की कमी को देखते हुए पहले चरण में 40 लाख महिलाओं को ही यह फोन दिए गए हैं। शेष बच्ची महिलाओं को सरकार ने मोबाइल देने की गारंटी का कार्ड दिया है यानी अब जो सरकार बनेगी उसे लगभग एक करोड़ महिलाओं को निशुल्क स्मार्टफोन देने होंगे।
650 हजार सरकारी भर्तियां
3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बनने वाली सरकार को 65 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ना होगा आचार संहिता के चलते 14 भर्तियों के 45 हजार पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अटक गई है। इसके अलावा 13 भर्तियों के करीब 20 हजार पदों पर भर्ती परीक्षा अगले साल प्रस्तावित है।
विभिन्न निर्माण कार्य
इनके अलावा प्रदेश भर में विभिन्न निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। अकेले राजधानी जयपुर में ही एसएमएस अस्पताल के आईपीडी टावर, मेट्रो रेल के दो अगले चरण और विभिन्न फ्लाईओवर का काम अधूरा पड़ा है।
तीन नए जिले
आचार संहिता लगने से 3 दिन पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मालपुरा, कुचामन सिटी और सुजानगढ़ को नया जिला बनाने की घोषणा की थी। हालांकि घोषणा का कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ इसलिए यह मात्र घोषणा ही है लेकिन आने वाली सरकार पर इन जिलों के गठन को लेकर कोई ना कोई निर्णय करने का दबाव बना रहेगा।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना
कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईआरसीपी को एक बड़ा मुद्दा बना करके पेश किया है। पार्टी से लेकर 16 अक्टूबर से ईआरसीपी के अधीन आने वाले 13 जिलों में यात्रा निकालने की तैयारी भी कर रही है। यानी चुनाव के बाद इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा कि इस पर आने वाली सरकार को काम आगे बढ़ना ही पड़ेगा।