मनीष गोधा, KOTA. राजस्थान के कोटा शहर में आज चम्बल रिवरफ्रंट जैसे अहम और बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ है। करीब 1400 करोड़ का यह रिवरफ्रंट सरकार के सबसे बड़े मंत्री शांति धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो पर्यटन के क्षेत्र में कोटा को नहीं पहचान दे सकता है, लेकिन इस धारीवाल के इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन कार्यक्रम से सीएम अशोक गहलोत ने अचानक दूरी बना ली। उन्होंने देर रात करीब ढाई बजे सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की सूचना दी और बताया कि वे अपरिहार्य कारणों से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। अब राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि गहलोत ने अचानक इस बड़े कार्यक्रम से दूरी बना ली?
दो दिन कोटा में रहने वाले थे सीएम
कोटा का चम्बल रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट सरकार के स्वायत्त शासन और संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के लिए इतना अहम था कि उन्होंने अपना सारा ध्यान इस पर केन्द्रित कर रखा था और इसके लिए उनकी पार्टी के विधायक तक उन पर यह आरोप लगा रहे थे कि धारीवाल सिर्फ कोटा के मंत्री बन कर रह गए हैं। इसके उद्घाटन के लिए सीएम गहलोत का दो दिन का कार्यक्रम बनाया गया था और सिर्फ सीएम ही नहीं पूरी मंत्री परिषद को दो दिन कोटा मे ही रहना था। इसके तहत आज यानी 12 सितम्बर को पूरे रिवर फ्रंट का दौरा और विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तावित थे और कल यानी बुधवार 13 सितम्बर को केबिनेट की मीटिंग और अन्य कार्यकम कोटा में ही होने थे।
सीएम ने ट्वीट कर कोटा न आने की दी जानकारी
सोमवार को दिन में खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था कि सीएम और सभी मंत्री दो दिन कोटा में रहेंगे। लेकिन, अचानक रात ढाई बजे सीएम गहलोत ने सोशल मीडिया एक्स पर इस रिवर फ्रंट की जबर्दस्त तारीफ करते हुए लिखा कि वे इस कार्यक्रम में आने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब अपरिहार्य कारणों से आज यानी 12 सितम्बर के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। हालांकि, 13 सितम्बर के कार्यक्रम यथावत रहेंगे।
क्या है मुख्य कारण?
कार्यक्रम में इस अचानक बदलाव और सिर्फ रिवर फ्रंट के कार्यक्रम मे गहलोत के नहीं जाना काफी अहम माना जा रहा है और इसके असली कारणों की खोज की जा रही है। कार्यक्रम से दूरी के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला एक प्रेस कांफ्रेंस जो कल यानी सोमवार को कोटा में हुई। यह प्रेस कांफ्रेंस बीजेपी के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने की थी और दावा किया था कि रिवर फ्रंट का निर्माण एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। सरकार ने चम्बल घड़ियाल सेंचुर के बफर जोन में इसका निर्माण करा दिया है। इसकी स्वीकृति भी किसी भी विभाग से नही ली गई और उन्होंने यहां तक दावा किया कि केन्द्र सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एक जुलाई को ही राज्य सरकार को पत्र भेज कर इसके निर्माण का गैर कानूनी बता दिया था। इसके साथ ही उन्होंने इसके निर्माण और टेंडरो में अनियमितताओं के आरोप भी लगाए थे। उन्होंने कहा था कि सीएम गहलोत यदि इसका लोकार्पण करने आएंगे तो यह असंवैधानिक होगा। दूसरा कारण बताया जा रहा है कांग्रेस के ही विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर की चेतावनी। उन्होंने कोटा जिले के सीमलिया क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामलों का विरोध किया था और कहा था कि सरकार के भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही और कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज हो रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि कोटा आने पर वे सीएम अशोक गहलोत का तो स्वागत करेंगे, लेकिन गृहमंत्री अशोक गहलोत का विरोध करेंगे और गहलोत मुर्दाबाद के नारे लगाएंगे।
लेकिन सवाल कई हैं
सरकार से जुडे़ लोगों ने मुख्य तौर पर यही कारण बताए, लेकिन पहले कारण यानी प्रहलाद गुंजल की प्रेसवार्ता की बात करें तो बताया जा रहा है कि गुंजल ने पहली बार यह बात नहीं कही है, वे पहले भी इस मामले को उठा चुके है। इसके अलावा इतना बड़ा प्रोजेक्ट पिछले दो साल से बन रहा है क्या तब सरकार के संज्ञान में यह बात नहीं आई होगी कि इसका निर्माण कहां हो रहा है और इसमें किसके आदेशों का उल्लंघन हो रहा है? ऐसे में अब अचानक कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले सिर्फ इस आधार पर अपना कार्यक्रम रद्द करना कई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। इतना ही नहीं, भले ही सीएम खुद ना गए हों, लेकिन सरकार के कई मंत्री कार्यक्रम में गए हैं और खुद सीएम ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट मे इस रिवरफ्रंट को कोटा में विकास की नई इबारत बताया है। हालांकि, एक पक्ष का यह भी कहना है कि चुनाव के समय इस तरह के किसी भी विवाद से बचने के लिए शायद गहलोत ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा।
क्या बीजेपी इस मामले को बनाएगी मुद्दा?
वहीं भरत सिंह के विरोध का मामला जरूर थोड़ा गम्भीर है, क्योंकि भरत सिंह पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं और वे सरकार के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को निशाना बनाए हुए हैं। उनकी मौजूदगी में यदि गहलोत के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए जाते हैं तो चुनाव के समय कानून व्यवस्थ को मुद्दा बनाए बैठी बीजेपी के लिए इस विरोध प्रदर्शन की फुटेज बहुत काम की साबित हो सकती थी। बहरहाल, कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन कोटा और सरकार के सबसे ताकतवर मंत्रियों में से गिने जाने वाले शांति धारीवाल के इस बड़े कार्यक्रम से सीएम की अचानक गैर हाजिरी चर्चा का विषय बनी हुई है और बीजेपी इसे आने वाले चुनाव में भुना सकती है।