संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में बीजेपी की D और C कैटेगरी के दायरे वाली सीटों पर दो सूची में प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। अब बारी B कैटेगरी की है। जिसमें इंदौर विधानसभा तीन, पांच, महू, सांवेर शामिल है। इसमें सांवेर को लेकर स्थिति लगभग साफ है और सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसीराम सिलावट ही फिर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इंदौर तीन, पांच और महू को लेकर बीजेपी फिर चौंकाने वाले फैसले ले सकती है। विधानसभा दो और चार बीजेपी की A कैटेगरी की सीट है यानि यह बीजेपी के गढ़ हैं जहां वह प्रत्याशी सबसे अंत में घोषित होने की बात चल रही है।
पहले देखते हैं क्या है टिकट की A,B,C,D
D कैटेगरी- वह सीट जो बीजेपी दो या इससे ज्यादा बार से चुनाव हार रही है। इसमें राउ शामिल है।
C कैटेगरी- वह सीट जो बीजेपी बीता चुनाव हारी, इसमें विधानसभा एक, देपालपुर शामिल है।
B कैटेगरी- वह सीट जो बीजेपी जीती लेकिन गढ़ वाली बात नहीं है, इसमें 3,5, महू, सांवेर शामिल है।
A कैटेगरी- वह सीट जो बीजेपी की गढ़ है और लगातार जीत रही है, विधानसभा दो और चार शामिल है।
बीजेपी की D और C कैटेगरी में चार प्रत्याशी, इसमें तीन हारे हुए को मिला
- बीजेपी की पहली सूची 17 अगस्त को आई इसमें इंदौर की नौ विधानसभा सीट में से केवल राउ घोषित हुई, जिसमें बीता चुनाव हारे मधु वर्मा को ही फिर से टिकट दिया गया। जो सभी के लिए चौंकाने वाला नाम था। माना जा रहा था कि यहां से युवा प्रत्याशी को दिया जाएगा। वहीं साल 2018 का सांवेर सीट से चुनाव हारे डॉ. राजेश सोनकर को सोनकच्छ का प्रत्याशी बनाया गया। यानि दो हारे हुए को फिर से टिकट मिला।
- बीजेपी की दूसरी सूची 25 सितंबर को जारी हुई इसमें इंदौर की देपालपुर और विधानसभा एक घोषित हुई। एक में हारे हुए प्रत्याशी और दो बार के विधायक सुदर्शन गुप्ता का पत्ता कट गया और उनकी जगह दस साल बाद फिर चुनावी मैदान में कैलाश विजयवर्गीय को उतारा गया। वहीं देपालपुर विधानसभा से बीता चुनाव हारे मनोज पटेल को फिर टिकट मिला। यानि चार में से टिकट कटा केवल सुदर्शन गुप्ता का ही।
बीजेपी की B सीटों में क्या बन रही है स्थिति?
विधानसभा 3- बी कैटेगरी की सीटों की बात करें तो विधानसभा तीन में आकाश विजयवर्गीय का पत्ता कटना लगभग तय है। खुद कैलाश विजवर्गीय कह चुके हैं कि पिता-पुत्र दोनों को पार्टी टिकट नहीं देगी। यहां से मिलिंद महाजन की दावेदारी ताई और भाई की मुलाकात के बाद मजबूत हुई है। वहीं अन्य दावेदारों में महू की विधायक ऊषा ठाकुर का भी नाम है, जो साल 2013 में यहां से विधायक रह चुकी हैं। गौरव रणदिवे के लिए भी पार्टी विचार कर सकती है।
विधानसभा 5- यहां से साल 2003 से लगातार महेंद्र हार्डिया विधायक हैं। स्थानीय दावेदार और अन्य यहां से उनका विरोध कर रहे हैं, जिस तरह विधानसभा एक में गुप्ता का विरोध था, उसी तरह यहां हार्डिया का अंदरूनी विरोध है। बीता चुनाव वह बमुशिकल 1132 वोट से जीते थे। लेकिन जिस तरह से पार्टी पुराने नेताओं को उतार रही है, ऐसे में हार्डिया एक बार फिर दावेदारी में मजबूत हुए हैं। वहीं अन्य दावेदारों में गौरव रणदिवे और मिलिंद महाजन भी यहां से दावेदार हैं।
विधानसभा महू- यहां विधानसभा बीते तीन चुनाव 2008, 2013 और 2018 से बीजेपी के पास है। लेकिन कांग्रेस किसी भी चुनाव में यह छीनने की स्थिति में आ सकती है। इसलिए यहां भी दमदारा प्रत्याशी की तलाश में हैं, यह सीट वैसे संघ की मानी जाती है और संघ की मंशा काफी चलती है। उषा ठाकुर को लेकर सबसे ज्यादा कयास चल रहे हैं, उनके लिए तीन स्थिति बन रही है महू से टिकट, या विधानसभा तीन से टिकट या फिर टिकट कटना। वहीं नए नाम की बात करें तो डॉ. निशांत खरे का नाम भी चलता है, साथ ही दिनेश कंचन सिंह चौहान, लोकेश शर्मा का नाम भी दावेदारों में हैं।
विधानसभा सांवेर- यह सीट भी वैसे एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी के पाले में जाती रही है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेसी तुलसी राम सिलावट ने बीजेपी के राजेश सोनकर को हराकर जीती थी, बाद में बीजेपी में आने के बाद सिलावट ने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु को हराकर सीट जीती थी। लेकिन यहां सिलावट का टिकट लगभग तय है। कोई उलटफेर की संभावना नहीं है।
बीजेपी की A कैटेगरी यानि विधानसभा चार और दो का क्या होगा?
विधासनभा चार- यहां साल 1993 से ही गौड़ परिवार विधायकी में हैं। लक्ष्मणसिंह गौड़ साल 2993. 1998 और 2003 में चुनाव जीते, फिर मालिनी गौड़ ने 2008, 2013 और 2018 का चुनाव भारी वोटों से जीता। जिस तरह सीएम चौहान देपालपुर से मनोज पटेल को टिकट कराने में सफल रहे, वहीं माना जा रहा है कि मालिनी गौड़ भी टिकट बनाए रखेंगी। उधर दावेदारी की बात करें तो सात सांसदों को विधानसभा टिकट देने के बाद अब सांसद शंकर लालवानी का भी नाम यहां से चलने लगा है। सिंधी वोटर्स अधिक होने से वह इसके दावेदारी में हैं। बीजेपी के लिए यह सीट उपकृत करने वाली है. वह किसी भी नए को भी टिकट देकर चौंका सकती है।
विधानसभा 2- यहां से साल 1993 से ही बीजेपी जीत रही है, पहले विजयवर्गीय 1993, 1998, 2003 में जीते फिर रमेश मेंदोला 2008, 2013 और 2018 में चुनाव जीते। रमेश मेंदोला का टिकट तय है। यहां से कोई उलटफेर की संभावना नहीं है।