संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में प्रधानमंत्री मत्स्य योजना कार्यक्रम का आगाज शुक्रवार को विवादों के साथ हुआ। कार्यक्रम के तीसरे साल के वार्षिक समारोह के आयोजन में अतिथि के तौर पर मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम बाथम जिन्हें राज्य केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है, वह पहुंचे लेकिन ना उन्हें कोई अधिकारी लेने पहुंचा और ना ही स्वागत किया। इस बात से वह भड़क गए और कार्यक्रम से ही लौटने लगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि क्या बेइज्जती करने के लिए बुलाया है। अधिकारियों के हाथ-पैंर कांप गए और उन्हें मनाने दौड़े और लगातार सॉरी-सॉरी बोलते रहे। कार्यक्रम में केंद्र के मंत्री भी मौजूद थे, सारा विवाद उन्हीं के सामने हुआ।
उधर मंत्री सिलावट को पता चला तो मांगी माफी-
मंत्री तुलसी सिलावट को जब यह घटना पता चली तो उन्होंने मंच से ही माफी मांगी। मंत्री सिलावट में मंच से हाथ जोड़कर कहा कि छोटा भाई गलती करता है तो बड़े भाई को उसे माफ कर देना। सभी के हाथ जोड़ने के बाद आखिर उन्होंने कार्यक्रम में शिरकत की। बाथम को अप्रैल 2023 में ही यह पद दिया गया है।
कार्यक्रम में यह सभी हो रहे शामिल
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का तीसरा आयोजन ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है। केंद्र सरकार के इस आयोजन में इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) के डीडीजी डॉ. जेके जेना, डॉ. अभिलाष लिखी (सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज), प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, कैबिनेट मंत्री डॉ. एल मुरुगन, मंत्री संजीव कुमार बलयान और मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला होंगे। कार्यक्रम में इस योजना के तहत प्रोजेक्ट्स शुरू कर मत्स्य पालन को आयाम देने वाले हितग्राहियों की सक्सेस स्टोरी का प्रेजेंटेशन होगा और उन्हें सम्मानित किया जाएगा।
केंद्र ने 20 हजार करोड़ का बजट मंजूर किया है
देशभर में फिशरीज को स्टार्टअप के रूप में गति देने के लिए केंद्र ने 20 हजार करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। केंद्र की योजना का यह तीसरा आयोजन है जो मप्र में हो रहा है। इसमें मत्स्य पालन के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स जो मप्र सहित देशभर में सफल रूप से चल रहे हैं, उनके बारे में बताया जाएगा। इस योजना में एससीएसटी और महिलाओं को 60% और सामान्य वर्ग के लिए 40% अनुदान दिया जाता है।
एमपी में 13% से अधिक की ग्रोथ चल रही है
इस योजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। इसके साथ ही 2025-2026 तक पांच बिलियन की इकोनॉमी प्राप्त करना है। अभी चार बिलियन की इकोनॉमी है। इस योजना में मप्र के मत्स्य पालन विभाग की खास तौर पर सहभागिता है। मप्र में तीन सालों से लगातार 13% से अधिक की ग्रोथ चल रही है। प्रदेश में मछली पालन बीज की डिमांड इतनी थी कि दूसरे राज्यों से लेना पड़ते थे। 2022-2023 में 181 करोड़ मछली के बीजों की जरूरत थी। इस दौरान 210 करोड़ मछली बीज का उत्पादन किया।