तीसरे मोर्चे के दलों की फीकी पड़ी चुनौती, कुछ सीटों तक ही सीमित दिख रहा असर

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तीसरे मोर्चे के दलों की फीकी पड़ी चुनौती, कुछ सीटों तक ही सीमित दिख रहा असर

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया से पहले तीसरे मोर्चे के दलों की ओर से बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों को बड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन नामांकन प्रक्रिया की समाप्ति और अब चुनाव प्रचार के दौरान इन दलों की चुनौती खासी फीकी नजर आ रही है। इनमें से एक भी दल पूरे 200 सीटों पर प्रत्याशी खड़े नहीं कर पाया। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं का एक भी दौरा चुनाव प्रचार के दौरान नहीं हुआ। बसपा के कई उम्मीदवारों ने बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन दे दिया और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने तो कई अहम सीटों पर अपने उम्मीदवार तक खडे़ नहीं किए। ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम सिर्फ 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि चुनाव से पहले 40 सीटों की बात कही जा रही थी।

फीके पड़े चुनावी रंग

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है और अन्य दल कुछ खास क्षेत्रों तक ही अपना प्रभाव छोड़ते देखे गए है। इस बार के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी, बसपा, नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और सांसद असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी एमआईएमआईएम जिस तरह की तैयारी और दावे कर रहे थे, उसे देखते हुए लग रहा था कि इस बार के चुनाव में तीसरे मोर्चे के ये दल बड़ी ताकत के रूप में उभरेंगे और चुनावी मुकाबले को बहु ध्रुवीय बनाएंगे, लेकिन नामांकन की प्रक्रिया और अब चुनाव प्रचार की स्थिति को देखते हुए इन दलों की तैयारी और दावे फीके ही साबित होते दिख रहे हैं। सबसे अहम बात ये है कि इनमें से एक भी दल सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी तक खडे़ नहीं कर पाया है और ऐसे में पार्टियों के प्रचार में दम नजर नहीं आ रहा है और कुछ गिनी चुनी सीटों को छोड़ कर ये दल कहीं भी कोई बड़ी चुनौती देते नहीं दिख रहे हैं।

जानते हैं इन दलों की स्थिति

बसपा - बहुजन समाज पार्टी ने इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा 185 प्रत्याशी खड़े किए हैं, लेकिन इनमें से दो के पर्चे खारिज हो गए और चार-पांच ने बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन दे दिया। इनमें तीन तो जयपुर की सीटों पर ही है। इनमें से एक पप्पू कुरैशी को मनाने के लिए तो खुद सीएम अशोक गहलोत गए। पप्पू कुरैशी पूर्व कांग्रेसी है और हवामहल सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। वहीं तिजा सीट पर पार्टी ने इमरान खान नाम के प्रत्याशी को टिकट दिया था, जो नामांकन दाखिल करने से पहले ही कांग्रेस में चला गया और वहां से उसे टिकट भी मिल गया। पार्टी के प्रचार की स्थिति देखें तो पार्टी सुप्रीमो मायावती पिछले चार दिन से राजस्थान आ रही हैं और आठ सभाएं उन्होंने संबोधित की है। पार्टी का फोकस मुख्य तौर पर पूर्वी राजस्थान ही है और वहीं मायावती की सभाएं भी हुई हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि जो जा रहा है, उसका तो क्या किया जा सकता है, लेकिन जिन्होने बगावत की है, उन्हें पार्टी से निकाल दिया है।

आम आदमी पार्टी

दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही इस पार्टी ने चुनाव से पहले सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान जयपुर में टाउनहॉल कार्यक्रम कर के गए थे और एक-दो बड़ी सभाएं भी की थी, लेकिन पार्टी सिर्फ 88 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं चुनाव प्रचार की बात करें तो यहां केजरीवाल सहित पार्टी के किसी भी राष्ट्रीय नेता का एक भी दौरा अभी नहीं हुआ है। हालांकि बताया जा रहा है कि मंगलवार से केजरीवाल और भगवंत मान के दौरे शुरू होंगे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवीन पालीवाल ने कहा कि हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहे है। हमारे तीन नेताओं को तो जेल में डाल दिया गया है। केजरीवाल एमपी में प्रचार कर रहे थे और अब राजस्थान में आ रहे हैं।

आरएलपी

नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को इस चुनाव में एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा था। पिछले चुनाव में पार्टी ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी और कई सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इस बार पार्टी ने 78 सीटों पर प्रत्याशी खडे़ किए है और आजाद समाज पार्टी कांशीराम के साथ गठबंधन भी किया है, जिसने 47 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल प्रचार में तो जोर-शोर से लगे हुए हैं, लेकिन कई अहम सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारा है। जैसे सीएम अशोक गहलोत की सीट सरदारपुरा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सीट झालरापाटन, कांग्रेस से बीजेपी में ज्योति मिर्धा की सीट नागौर, कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा की सीट ओसियां, जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की सीट बागीदौरा, सांसद किरोड़ी लाल मीणा की सीट सवाई माधोपुर आदि सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी नहीं है, जबकि ये वो नेता है, जिनके खिलाफ बेनीवाल खुल कर विरोध प्रकट करते रहे हैं।

एआईएमआईएम

सांसद असदुद्दीन ओवैसी चुनाव से पहले लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे थे और उन्होंने कई स्थानों पर सभाएं तक की थी। दावा किया जा रहा था कि वे राजस्थान की 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर उनकी नजर है, लेकिन उन्होंने सिर्फ 10 सीटों पर प्रत्याशी खडे़ किए हैं और प्रचार के दौरान अभी तक एक या दो बार ही राजस्थान आए हैं। अन्य प्रमुख दलो में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी और वामपंथी दल सीपीआईएम है। जेजेपी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन प्रत्याशी 20 ही है, वहीं सीपीआईएम के 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनाव में दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में दो सीटें जीतने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी का इस बार विभाजन हो गया है। इससे टूट कर बनी पार्टी भारत आदिवासी पार्टी ने 27 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे है, वहीं बीटीपी के 17 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। विभाजन होने से पार्टी की ताकत पर असर पड़ा है और चुनाव में इसका असर नजर आने की बात कही जा रही है।

पिछले चुनाव में यह प्रदर्शन था अन्य दलों का

  • बसपा - 6 सीट
  • आरएलपी - 3 सीट
  • सीपीएम - 2 सीट
  • बीटीपी - 2 सीट
  • आरएलडी - 1 सीट
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