BHOPAL. एमपी हाई कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के प्राथमिक शिक्षकों की अवैधानिक पदस्थापना को चुनौती संबंधी याचिका पर स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने ओबीसी/एससी/एसटी और EWS के हजारों अभ्यार्थियों की कैटेगरी परिवर्तन को लेकर जवाब मांगा है।
आरक्षित वर्ग के प्राथमिक शिक्षकों की पदस्थापना को चुनौती
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग और ट्रायबल वेलफेयर डिपार्टमेंट मे प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों में की गई अनियमितताओं से संबंधित दायर याचिका क्रमांक 27949/2023 में पांच याचिकाकर्ता हैं। इसकी सुनवाई डिवीजन बैच क्रमांक दो के जस्टिस शील लागू और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने की। इसमें सभी याचिकाकर्ता आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हैं, जिनकी केटेगिरी नियम विरूध परिवर्तन करके अनारक्षित वर्ग में ट्राइबल वेलफेयर विभाग में पदस्थापित किया गया है।
नियमों को दरकिनार किया
याचिकाकर्ताओ की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके गृह जिला से सैकड़ो किलोमीटर दूर रिमोट एरिया में पदस्थापना दी गई है। जबकि उनसे कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग में उनके गृह जिला में पदस्थापना कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में रेखांकित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों की पदस्थापना निर्धारित प्रक्रिया अपनाकर की जाना चाहिए। इसके संबंध में आरक्षण अधिनियम की धारा 4(4) में प्रावधान भी है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार कर समस्त नियमों और सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन को दरकिनार करके नियम विरूध पदस्थापनाएं की गई हैं। हाईकोर्ट की डिवीजन बैच ने उक्त समस्त तथ्यों को बड़ी गंभीरता से लेते हुए समस्त 14 अनावेदकों को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया है।
इनको जारी हुआ नोटिस
आरक्षित वर्ग के प्राथमिक शिक्षकों की अवैधानिक रूप से की गई पदस्थापना को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती पर स्कूल शिक्षा विभाग, जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव सहित कमिश्नर डी.पी.आई. और जनजातीय कार्य विभाग को नोटिस जारी किया है।