छत्तीसगढ़ माशिमं में बदलाव…अब कॉपियां जांचने में लापरवाही की तो आजीवन नहीं, सिर्फ 5 साल ही मूल्यांकन कार्य से रहेंगे बाहर

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The Sootr CG
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छत्तीसगढ़ माशिमं में बदलाव…अब कॉपियां जांचने में लापरवाही की तो आजीवन नहीं, सिर्फ 5 साल ही मूल्यांकन कार्य से रहेंगे बाहर

RAIPUR. छत्तीसगढ़ में माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) एजुकेशन सिस्टम को बेहतर करने के लिए लगातार बदलाव कर रहा है। इस बीच, माशिमं ने कॉपियां जांचने में लापरवाही बरतने के लिए निर्धारित दंड के प्रावधान में बदलाव किया है। इसके मुताबिक दरअसल, 10वीं-10वीं सीजी बोर्ड की कापियां जांचने में गंभीर लापरवाही बरतने वाले शिक्षक अब हमेशा के लिए मूल्यांकन कार्य से बाहर नहीं होंगे। इन्हें 5 साल तक मूल्यांकन कार्य से बाहर किया जाएगा। यह मुख्य परीक्षा 2022-23 से लागू हो गया है। यानी इस बार लापरवाही बरतने वाले मूल्यांकनकर्ताओं पर जो कार्रवाई होगी, नए आदेश के अनुसार होगी।

माशिमं से मिली जानकारी के अनुसार इस साल बोर्ड की कापियां जांचने में लापरवाही को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसके अनुसार मूल्यांकनकर्ताओं पर कार्रवाई होती है। पहली कैटेगरी में जिन शिक्षकों की कापियों में रीवैल के बाद 20 से 40 नंबर तक का अंतर आता है, उन पर तीन साल तक बैन लगेगा। वे इस दौरान माशिमं के सभी कार्य से वंचित रहेंगे। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसी तरह दूसरी कैटेगरी में जिन शिक्षकों की कापियों में रीवैल के बाद 41 से 49 नंबर का अंतर रहेगा, वे पांच साल तक बोर्ड की कापियां नहीं जांच पाएंगे। पहले ऐसे शिक्षकों को तीन साल के लिए बैन किया गया था। तीसरी कैटेगरी में जिन शिक्षकों की कापियों में 50 नंबर से अधिक का अंतर आएगा उन पर पांच साल का बैन लगेगा। इसके अलावा एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की अनुशंसा भी शासन से की जाएगी। पिछली बार तक इस कैटेगरी में आने वाले मूल्यांकनकर्ताओं पर आजीवन बैन था।

पिछले साल में 101 शिक्षकों पर हुई थी कार्रवाई

गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले साल 2021-22 के मूल्यांकन में लापरवाही बरतने वाले कुल 101 शिक्षकों पर कार्रवाई हुई थी। इन्हें मूल्यांकन कार्य से बाहर किया गया था। इसमें दसवीं में 45 और बारहवीं में 56 मूल्यांकनकर्ता थे। तब दसवीं में 30 शिक्षकों पर तीन साल का बैन लगा था। 8 मूल्यांकनकर्ताओं पर तीन साल के बैन के साथ एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की अनुशंसा की गई थी। जबकि 7 शिक्षकों पर आजीवन बैन और एक वेतन वृद्धि रोकने की अनुशंसा हुई।

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