शिवम दुबे, Raipur. छत्तीसगढ़ में राजनीति के जानकार कह रहे हैं, आखिरकार जीत गया अभिमन्यु.. हम बात कर रहे हैं रायगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी ओपी चौधरी की। रायगढ़ में ओपी चौधरी का मुकाबला रहा कांग्रेस के विधायक रहे प्रकाशजीत नायक से। 3 दिसंबर को नतीजों में बीजेपी प्रत्याशी ओपी चौधरी जीत गए हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा रही है कि ओपी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। वहीं जब द सूत्र ने ओपी चौधरी से बात की तो उनका बड़े ही सभ्य तरीके से कहना था कि मैं पार्टी का छोटा सा कार्यकर्ता हूं। इतने बड़े सवाल मुझसे मत करिए।
छोटी सा लेकिन मजबूत राजनीतिक सफर
2018 में ओपी चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और उसी साल ओपी कांग्रेस की अपराजेय सीट खरसिया से विधानसभा चुनाव में उतरने की चुनौती को स्वीकार किया था। हालाकिं चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहा, लेकिन इससे हताश होने की बजाय उन्होंने पूरी निर्भीकता व प्रतिबद्धता के साथ विपक्षी नेता के रूप में संघर्ष को जारी रखा।
ओपी चौधरी का अधिकारी वाला सफर
ओपी बेहद गरीब परिवार से तालुक रखते हैं। रायगढ़ जिला के बायांग में हुआ था। ओपी महज 8 साल के थे, तभी पिता का साया सिर से उठ गया। संघर्ष के बीच उन्होंने यूपीएससी क्रेक किया और आईएएस बने। महज 23 साल की उम्र में वे आईएएस बने। 2005 बैच के आईएएस रहे चौधरी ने सर्विस के दौरान अपने कामों की वजह से चर्चा में रहे। 13 साल की सेवा के दौरान वे 3 जिलों दंतेवाड़ा, जाजंगीर-चांपा और रायपुर के कलेक्टर रहे। जनसपंर्क विभाग के आयुक्त की भी जिम्मेदारी संभाली। सेवा के दौरान उन्होंने राज्य में ऐसी कई योजनाओं पर काम किया जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया। धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला की पहचान एजुकेशन सिटी के रुप में स्थापित की। दंतेवाड़ा का एजुकेशन सिटी और प्रयास विद्यालय चौधरी की ही देन मानी जाती है। प्रयास विद्यालयों में नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की पढ़ाई के साथ ही रहने के लिए भी सुविधाएं दी जाती है। एजुकेशन सिटी के लिए 2011-12 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया था।