BHOPAL: छत्तीसगढ़ में 500 करोड़ के कोयला घोटाले पर सियासत जमकर होती है। जिन लोगों पर घोटाले के आरोप है, उनमें से कई जेल की सलाखों के पीछे है और जमानत लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस घोटाले के पीछे की पूरी कहानी आखिरकार है क्या? जिन लोगों पर आरोप है उन्होंने घोटाले को अंजाम कैसे दिया? कैसे किया गया सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल? घोटाले की काली रकम को कैसे सफेद किया गया? ये सारे राज दफन है ईडी की चार्जशीट में। द सूत्र ने 280 पन्नों की इस पूरी चार्जशीट को खंगाला तो इन सभी सवालों के जवाब मिले हैं।छत्तीसगढ़ की सियासत को गर्माने वाले कोल स्कैम की पूरी कहानी को ईडी ने अपनी चार्टशीट में कैसे पेश किया है। हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताने वाले हैं ईडी की फाइलों में दर्ज छत्तीसगढ़ के कोल स्कैम की पूरी कहानी और आज पढ़िए इसकी पहली कड़ी - कि ईडी ने जिस सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है, उसने कैसे एक सरकारी नियम में मामूली सा बदलाव कर कर दिया 500 करोड़ का घोटाला। पर सबसे पहले मोटे तौर पर जान लीजिये कि आखिर छत्तीसगढ़ का ये पूरा घोटाला क्या है?...
छत्तीसगढ़ कोल ट्रांसपोर्टेशन स्कैम का बैकग्राउंड
आज से ठीक 1 साल पहले, अक्टूबर 2022 के महीने में छत्तीसगढ़ में ED के अफसरों ने एक साथ 75 ठिकानों पर छापे मारे थे। इसमें सबसे प्रमुख नाम था मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया का। ED ने सौम्या चौरसिया के घर से दस्तावेज बरामद किए और कई दिनों तक सौम्या चौरसिया से पूछताछ होती रही। उसके बाद 13 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स के तत्कालीन CEO और आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और वकील-कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी को ED ने गिरफ्तार कर लिया। 29 अक्टूबर 2022 को कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, जो इस पूरे कोयला घोटाले के किंगपिन बताए जा रहे थे, ने अदालत में समर्पण कर दिया।2 दिसंबर 2022 को ED ने सौम्या चौरसिया को उनके घर से गिरफ्तार किया, ये आरोप लगते हुए कि छत्तीसगढ़ में जो कोयला धुलाई घोटाला हुआ, उसके पीछे सूर्यकांत तिवारी के साथ मास्टरमाइंड और कोई नहीं बल्कि सौम्या चौरसिया ही थीं। इस गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ का कोयला घोटाला सुर्खियों में आया क्योंकि सौम्या चौरसिया छत्तीसगढ़ की सबसे ताकतवर अफसर कही जाती थीं। बहरहाल, सौम्या चौरसिया की इस गिरफ्तारी के बाद ED की तरफ से दावा किया गया कि:
- छत्तीसगढ़ में कोयले के परिवहन में साल 2019 से लेकर 2021 के बीच एक बड़ा घोटाला हुआ
- जिसके तहत राजनेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों का एक कार्टेल राज्य में राज्य में कोल ट्रांसपोर्टेशन पर अवैध तरीके से उगाही का एक पैरेलल सिस्टम चलाया जा रहा था
- इस अवैध उगाही से रोजाना करीब 3 करोड़ रूपए और 16 महीने में 540 करोड़ रुपए की रकम इकट्ठा की गई
ED ने अबतक क्या किया ?
- प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट, 2002 (PMLA-2002) के तहत मामले की जांच कर रही ED इस मामले में एक मुख्य चार्जशीट और दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर चुकी है
- छत्तीसगढ़ के राजनीतिक, व्यवसायिक और ब्यूरोक्रेट्स समेत करीब 24 लोगों को नामजद आरोपी बना चुकी है
- और इनमें से 11 की गिरफ्तारी भी कर चुकी है
- ED ने इस मामले में अबतक 221 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति भी जब्त की है
छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाले को लेकर ये जो तमाम बातें हमने आपको बताई ये पब्लिक डोमेन में है...यानी ज्यादातर लोगों को पता है। लेकिन ये नहीं पता होगा कि आखिरकार किस तरह कोल ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े एक सरकारी नियम में एक मामूली बदलाव कर इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया। ED ने जो 18 अगस्त, 2023 को 280 पन्नों की जो दूसरी सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश की है, उसमें एक-एक बात का ब्योरा दिया गया है। द सूत्र के ने ED की इसी 280 पन्नों की चार्जशीट को बारीकी से खंगाला और जाना कि कैसे छत्तीसगढ़ के बड़े राजनेताओं, सीनियर ब्यूरोक्रेट्स और माइनिंग ऑफिसर्स के साथ-साथ राज्य की पूरी मशीनरी की सक्रिय भागीदारी से कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी ने एक वेलप्लांड सिस्टेमेटिक कांस्पीरेसी यानी सुनियोजित-व्यवस्थित साजिश रचते हुए एक वेलऑर्गनाइज़्ड एक्सटॉरशन नेटवर्क स्थापित किया। जानने के लिए पढ़िए...
कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनियों और व्यापारियों से अवैध उगाही करने के लिए जबरदस्ती एक संशोधित नियम पास करवाया
540 करोड़ रुपये की उगाही का पूरा सिंडिकेट खड़ा करने की ये कहानी शुरू होती है 15 जुलाई 2020 से, जब कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनियों और व्यापारियों से अवैध उगाही करने के लिए एक संशोधित नियम जबरदस्ती पास करवाया गया। दरअसल, ED और आयकर विभाग के हिसाब से पूरे सिंडिकेट के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी ने छत्तीसगढ़ के राजनेताओं और वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स के सक्रिय समर्थन से एक आपराधिक साजिश रची।
परमिट पाने के मोड को किया ऑनलाइन से ऑफलाइन
इस साजिश के तहत सूर्यकांत तिवारी ने छत्तीसगढ़ के जिओलॉजी और माइनिंग डिपार्टमेंट यानि खनन और भूविज्ञान निदेशालय के तत्कालीन डाइरेक्टर IAS समीर विश्नोई से मुलाकात की और उनसे कोल ट्रांसपोर्ट परमिट से जुड़े E-सिस्टम को मैन्युअल प्रोसेस में बदलने के लिए कहा। समीर विश्नोई ने भी अपने फायदे के चलते सूर्यकांत तिवारी की बात मान ली और 15 जुलाई 2020 को बिना किसी SOP के एक संशोधित अधिसूचना (सरकारी आदेश) जारी की।
सूर्यकांत के कहे अनुसार संशोधित अधिसूचना के जरिये कोल माइन्स से उपयोगकर्ताओं तक कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट प्राप्त करने की पहले से मौजूद पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया को एक ऐसी मैन्युअल प्रणाली में बदल दिया गया।जिससे बड़ी आसानी से इतने बड़े पैमाने पर करोड़ों के भ्रष्टाचार का ख़तरा पैदा हो गया।
दरअसल, मोडिफाइड अधिसूचना में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के माइनिंग सेक्शन से मैन्युअल NOC प्राप्त करने की आवश्यकता शुरू की गई। और इस तरह से कोल यूजर कम्पनीज को NOC प्राप्त करने के लिए माइनिंग अधिकारी या DM को फिज़िकल रूप से आवेदन करने के लिए मजबूर किया गया ताकि उन्हें कोल ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-परिवहन परमिट मिल सके। इसे प्रक्रिया को ऐसे समझिये:-
- दरअसल, एक माइनिंग कंपनी अपने खरीदार के पक्ष में कोल डिलीवरी ऑर्डर (CDO) जारी करती है...खरीदार को तब कंपनी के पास 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से बयाना राशि यानी EMD (अर्नेस्ट मनी डिपाजिट) जमा करनी होती है...जिसके बाद वो 45 दिनों के भीतर अपना कोयला उठा सकता है।
- लेकिन नए नोटिफिकेशन के तहत माइनिंग कंपनियों को कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए जरुरी ट्रांसमिट परमिट का NOC - जो पहले E-सिस्टम के जरिये मिल जाता था - लेने के लिए सरकार के पास आवेदन करने को मजबूर किया गया और माइनिंग अधिकारीयों द्वारा मैन्युअली जारी किया जाने लगा।
- माइनिंग अधिकारी ये NOC तभी देते जब कंपनी प्रति टन कोयले पर 25 रुपए की अवैध कोल कार्टेल के एजेंटों को दे देती..NOC मिलने पर ट्रांसपोर्ट परमिट जारी किया जाता और CDO एक्जीक्यूट हो जाता। और खरीददार 45 दिन के अंदर अपना कोयला उठा लेता।
- अगर कोई कंपनी 25 रुपए की अवैध कोल कार्टेल के एजेंटों को देने से मना कर देती थी, तो माइनिंग अफसर NOC भी जारी नहीं करते। बगैर NOC के ट्रांसपोर्ट परमिट जारी नहीं किया जाता और CDO भी एक्जीक्यूट नहीं हो पता। इस तरह 45 दिन के बाद CDO खत्म हो जाता और और खरीदार की EMD को भी जब्त कर लिया जाता, जिससे कंपनियों का नुकसान हो जाता था।
इस तरह से मोडिफाइड अधिसूचना और डिलीवरी आर्डर के मैन्युअल सत्यापन (NOC) के निर्देश की आड़ में, सूर्यकांत तिवारी ने अपने सहयोगियों के माध्यम से कोल ट्रांसपोर्टेशन कंपनियों से रुपयों की अवैध उगाही शुरू कर दी। सूर्यकान्त तिवारी का हाथ से लिखे हुए एक दस्तावेज़ से इस पूरी प्रोसेस का खुलासा होता है।
कौन है सूर्यकांत तिवारी?
कोयला कारोबारी
सूर्यकांत तिवारी इस घोटाले का किंगपिन माने जाते हैं जो पूरे कार्टेल को
संचालित करता था। सूर्यकांत तिवारी इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं और उसे मई
2023 में ED ने गिरफ्तार किया था और उनकी 170 करोड़ रुपये की संपत्ति
कुर्क की गई थी। ED द्वारा गिरफ्तारी के बाद वह न्यायिक हिरासत में भी
हैं।
कौन हैं समीर विश्नोई
घोटाले में आरोपी
समीर विश्नोई 2009 बैच के एक आईएएस अधिकारी जो रायगढ़ और कोरबा जिले के
कलेक्टर के रूप में तैनात थे। समीर विश्नोई को अक्टूबर 2022 में ED ने
गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। समीर की 7 करोड़ रुपए
की संपत्ति ED जब्त कर चुकी है।
'ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित करने की प्रोसेस सही नहीं'
अब इस पूरे मामले में ED का दावा है कि जिओलॉजी एंड माइनिंग डिपार्टमेंट यानि भूविज्ञान और खनन विभाग ने खदानों से कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए ई-परमिट की ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित करने के लिए जो अधिसूचना जारी की, उसके लिए कोई SOP यानि स्टैण्डर्ड प्रक्रिया जारी नहीं की गई। ED की जांच में ये भी सामने आया कि माइनिंग डिपार्टमेंट की डॉक्यूमेंट प्रोसेस सही नहीं थी। और कई जगहों पर सिग्नेचर नहीं थे, नोट शीट नहीं थी। कलेक्टर या डीएमओ की मनमर्जी पर नाममात्र की जांच करवाकर NOC जारी कर दी जाती थी! ED के मुताबिक, 15 जुलाई 2022 के बाद बगैर किसी SOP के 30 हजार से ज्यादा NOC जारी की गईं। इन और आउट का रजिस्टर भी मेंटेन नहीं किया गया। अफसरों की भूमिका भी साफ नहीं थी। ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम भी नहीं था।
'बदले में IAS विश्नोई को मिली भारी अवैध रकम'
इस तरह सूर्यकान्त का कोल सिंडिकेट SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा जारी किए गए हर कोल डिलीवरी आर्डर (DO) में निर्धारित कानूनी राशि से ऊपर अनधिकृत राशि लेकर वसूली करता था। ED ने अपनी जांच में दावा किया है कि समीर विश्नोई को मदद के बदले में सूर्यकांत तिवारी ने भारी अवैध रकम का भुगतान किया।
E-परमिट जारी करने वाले ऑनलाइन पोर्टल में बदलाव बिलकुल असंगत: अनुराग दीवान, तत्कालीन संयुक्त निदेशक, छत्तीसगढ़ माइनिंग एंड जियोलॉजी डिपार्टमेंट
समीर विश्नोई ने ऐसा करने के पीछे तर्क दिया था कि उनके द्वारा जारी 15 जुलाई 2020 का आदेश DO के सत्यापन की बेहतर प्रणाली लागू करने के लिए था। पर विश्नोई के इस दावे के विपरीत छत्तीसगढ़ के माइनिंग एंड जियोलॉजी डिपार्टमेंट के तत्कालीन संयुक्त निदेशक अनुराग दीवान का कुछ और ही कहना है। उन्होंने ED को दिए अपने बयान में कहा है कि:
'मेरे समझाने के बावजूद समीर विश्नोई E-परमिट जारी करने के ऑनलाइन पोर्टल को बदलने के लिए अड़े हुए थे। 15 जुलाई, 2020 को जारी अधिसूचना की मदद से E-परमिट जारी करने वाले ऑनलाइन पोर्टल में जो बदलाव किये गए वो बिलकुल असंगत थे और छत्तीसगढ़ सरकार के 'इस ऑफ़ डूइंग बिज़नेस इन माइनिंग' के इरादे से बिलकुल भी मेल नहीं खाते थे।'
अनुराग दीवान का बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि उनको छत्तीसगढ़ राज्य में
माइंस और मिनरल्स के ओवरआल प्रबंधन के लिए खनिज ऑनलाइन पोर्टल के निर्माण
के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
ऑनलाइन व्यवस्था में एरर यानि कि 'सर्वर में त्रुटि' का बहाना बनाओ: कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, घोटाले का किंगपिन
यही नहीं, 15 जुलाई 2020 की संशोधित अधिसूचना IAS समीर विश्नोई और सूर्यकांत तिवारी की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी और जबरन वसूली का धंधा शुरू करने के गलत इरादे से की गयी थी - ये बात सूर्यकांत तिवारी के एक हैंडरिटन नोट से भी साबित हुई। जिसे इनकम टैक्स विभाग ने फ्लैट नंबर 301, वीआईपी, करिश्मा, ब्लॉक डी-II, खम्हारडीह, रायपुर, छत्तीसगढ़ से जब्त किया है। इस हस्तलिखित नोट के पेज नंबर 1 और 3 में साफ़ लिखा है DO (डिलीवरी आर्डर) का ट्रांजिट पास माइनिंग ऑफिसर द्वारा मैन्युअली जारी किया जाएगा। और ऐसा करने के पीछे जो कारण बताया जाएगा वो ये कि मौजूदा ऑनलाइन व्यवस्था में कुछ एरर यानि कि "सर्वर में त्रुटि" है इसलिए ट्रांजिट पास मैन्युअली दिया जा रहा है।
इन सभी तथ्यों से साफ़ है कि सूर्यकांत तिवारी ने साजिश के तहत जिओलॉजी और माइनिंग के तत्कालीन निदेशक IAS समीर विश्नोई को भी इन्फ्लुएंस किया और जानबूझकर अधिसूचना मोडिफाई यानि नीति परिवर्तन करवाया। और SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा जारी किए गए लगभग हर कोल डिलीवरी आर्डर (DO) में कोयला उपयोगकर्ताओं/ ट्रांसपोर्टरों से निर्धारित कानूनी राशि से ऊपर अनधिकृत राशि लेकर जबरन वसूली की!
तो ये थी 540 करोड़ रुपए के इस कोयला घोटाले के शुरू होने की कहानी -एक सरकारी आदेश से इस घोटाले की शुरूआत हुई। अब इसकी दूसरी कड़ी में हम आपको दिखाएंगे कि कैसे सूर्यकांत तिवारी ने 25 रुपए से 500 करोड़ से ज्यादा की उगाही का एक ऐसा हाईटेक नेटवर्क तैयार किया जिसके सामने बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का मैनजमेंट फेल हो जाए!