गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. विधानसभा से पास होने के बाद विधेयक राजभवन में जाकर लटक रहे है। इस मामले में सोमवार को देश के सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और केरल सरकार की याचिका पर दोनों राज्यों के राज्यपाल से जवाब मांगा तो छत्तीसगढ़ में सत्ताहीन पार्टी कांग्रेस को इस मामले में राजनीति करने का मौका मिल गया। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि गैर बीजेपी शासित राज्यों में जनहित से जुड़े विधेयक रोकना राज्यपालों ने परंपरा बना ली है। ऐसे दस विधेयक छत्तीसगढ़ में भी हैं जिन्हें राजभवन में पिछले एक साल से लटका कर रखा गया है।
आरक्षण बिल 11 माह से अटका
भूपेश सरकार ने दो दिसंबर 2022 को आरक्षण संशोधन बिल पारित किया था। इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को चार प्रतिशत के साथ कुल 76 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान रखा गया है। तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उइके ने इस विधेयक पर मिनटों में हस्ताक्षर करने की घोषणा की थी। लेकिन जब बिल सर्वसम्मति से पास होकर पहुंचा तो क्वेरी लगाने के बाद अपने रहते भर राज्यपाल ने इस विधेयक को रोक दिया यह विधेयक राजभवन में 11 महीने से अधिक समय से अटका हुआ है। पूर्व राज्यपाल अनुसुईया उइके के समय आरक्षण संशोधन बिल बिस्व भूषण हरिचंदन राजभवन को भेजा गया था। इसे लेकर प्रदेश में कई महीने तक सियासत गर्म रही है। यह बिल राज्यपाल के अनुमोदन के लिए लंबित है।
मंडी संशोधन विधेयक के प्रावधान
छत्तीसगढ़ में विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित कर दिया गया। संसोधन विधेयक के अनुसार कृषि, उद्यान-कृषि, पशु पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्यपालन या वन संबंधी सभी उत्पाद चाहे वह प्रसंस्कृत या विनिर्मित हो या न हो, को कृषि उपज कहा गया है। राज्य सरकार राज्य में कृषि उपज के संबंध में जरूरत पड़ने पर मंडी स्थापित कर सकेगी और निजी मंडियों को डिम्ड मंडी घोषित कर सकेगी। किसानों के हितों को देखते हुए मंडी समिति के सचिव, बोर्ड या मंडी समिति का कोई भी अधिकारी या सेवक, जिसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियुक्त किया गया है, कृषि उपज का व्यापार करने वालों को क्रय-विक्रय से संबंधित लेख और अन्य दस्तावेजों को पेश करने का आदेश दे सकता है। साथ ही कार्यालय, भंडागार आदि का निरीक्षण भी कर सकता है। विधेयक के अनुसार राज्य सरकार किसानों की फसल या उत्पाद को स्थानीय मंडी के साथ-साथ राज्य की अन्य मंडियों तथा अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचकर बेहतर कीमत प्राप्त करने तथा ऑनलाइन भुगतान के लिए इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना कर सकती है। यह विधेयक भी ढाई साल से लंबित है।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के नाम में संशोधन संबंधी विधेयक
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल में अब तक कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम नहीं बदल पाई। राज्य सरकार द्वारा कुलपति बदलने की कोशिश भी धरी रह गई। सरकार ने 2020 में बीजेपी के वरिष्ठ दिवंगत नेता के नाम के स्थान पर वरिष्ठ दिवंगत पत्रकार चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर करने की घोषणा की थी। दुर्ग के रहने वाले कांग्रेस नेता चंदूलाल चंद्राकर 5 बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और केंद्र में मंत्री के तौर पर काम किया था। हालांकि 1970 में राजनीति में प्रवेश से पहले उन्होंने कई सालों तक पत्रकारिता की थी और देश के शीर्ष अखबारों के संपादक भी रहे थे। कांग्रेस पार्टी की सरकार ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर करने की घोषणा की थी।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का विधेयक
इस अधिनियम की धारा 12 में संशोधन किया गया है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अधिनियम 1956 (क्र. 19 सन 1956) की धारा 12-क की उपधारा (2) के परंतुक में, अंक ‘65’ के स्थान पर, अंक ‘70’ प्रतिस्थापित किया जाए। अर्थात् इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति की आयु सीमा 65 वर्ष के स्थान पर 70 वर्ष होगी। यह अधिनियम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहलाएगा। इसका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा। यह विधेयक भी राजभवन में लंबित है।
भू-जल प्रबंधन विधेयक भी अटका
राज्य में विशेषरूप से संकटग्रस्त ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में, परिमाणात्मक एवं गुणात्मक, दोनों रूप में, भूजल का प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु भू-जल की सुरक्षा, संरक्षा, नियंत्रण आदि विषयों के संबंध में ये विधेयक पारित किया गया है। इस विधेयक में राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य भू-जल प्रबंधन और नियामक प्राधिकरण गठित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा इस प्राधिकरण में 16 सदस्य भी होंगे। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल प्रबंधन का दीर्घकालिक कार्य करने का अनुभव रखने वाले तीन विषय-विशेषज्ञों एवं सार्वजनिक/गैर-सरकारी संगठन/सामाजिक क्षेत्र के एक प्रख्यात व्यक्ति को भी सदस्य के रूप में नामित करने का प्रावधान किया गया है। गैर-अधिसूचित/अधिसूचित क्षेत्रों में औद्योगिक/वाणिज्यिक/खनन के लिये भू-जल निष्कर्षण के लिए अनुमति देने का कार्य यह प्राधिकरण करेगा। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में भू-जल प्रबंधन परिषद गठित करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, कलेक्टर जिला भू-जल शिकायत निवारण अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा। इसके अलावा विकासखंड स्तर पर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अध्यक्षता में संबंधित विकासखंड में भू-जल उपयोगकर्त्ता पंजीकरण समिति गठित करने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक के तहत समुचित निकाय में रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालना अपराध होगा। इस विधेयक में बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। यह बिल भी राजभवन में लंबित है।
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक भी लंबित
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 के अनुसार भू-राजस्व संहिता के मूल अधिनियम की 12 धाराओं, अध्याय 7 की 48 धाराओं एवं अध्याय 14 की 16 धाराओं में संशोधन किया गया है। संशोधित विधेयक में मूल अधिनियम की धारा 50 की उपधारा 01 में बंदोबस्त आयुक्त के स्थान पर ‘आयुक्त भू-अभिलेख’ प्रतिस्थापित किया गया है। इसी प्रकार बंदोबस्त अधिकारी के स्थान पर ‘जिला सर्वेक्षण अधिकारी’ प्रतिस्थापित किया गया है। किसी प्रकरण में आपत्ति प्राप्त होने पर या तहसीलदार को प्रकरण, किसी कारण से विवादित प्रतीत होने पर, वह ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल से प्रकरण को अपने ई-राजस्व न्यायालय में स्थानांतरित कर पंजीकृत करेगा, अन्यथा प्रकरण में समस्त कार्यवाही ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल में की जाएगी।
बिजली शुल्क विधेयक
छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक 2022 के मुताबिक टैरिफ आदेश में जारी सूचना के मुताबिक ऊर्जा प्रभारों की दरों में बढ़ोत्तरी की गई है, जिसमें आम घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर गैर घरेलू और उद्योगों के भी ऊर्जा प्रभार की दरें बढ़ाई गई हैं। नए टैरिफ में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है और इस तरह 11 प्रतिशत ऊर्जा प्रभार आम उपभोक्ताओं के बिजली बिल में जुड़कर आएगा। छह माह से यह भी राजभवन में लंबित है।
सहकारी समिति का संशोधन विधेयक लंबित
छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2022 के संबंध में बीजेपी सहकारिता प्रकोष्ठ की आपत्ति दर्ज करते हुए राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा सहकारी सोसाइटी संशोधन विधेयक 2022 के अंतर्गत सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 के विभिन्न धाराओं में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जिसके तहत निचले स्तर की सहकारी सोसाइटी जो उच्च स्तर की सोसाइटी से संबंध है, कम से कम तीन चौथाई सोसायटी का चुनाव पूर्ण कराए जाने के बाद ही उच्च स्तर की सहकारी सोसाइटी बोर्ड का चुनाव कराए जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। इसके बाद से यह विधेयक भी अटका हुआ है।
संविधान की धारा 200 में है प्रक्रिया का उल्लेख
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था में चुनी हुई सरकार का काम कानून बनाना है। विगत नौ साल से जब से केंद्र में बीजेपी सरकार में आई है, देश में जिन राज्यों में भी बीजेपी है सरकार द्वारा बनाए गए पारित किए गए विधेयकों को रोकने का सिलसिला सा चल पड़ा है। जिस तरह तमिलनाडु या केरल में हुआ वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी दर्जनों विधेयक पेंडिंग है। संविधान में अनुच्छेद 200 में वर्णित है कि क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए लेकिन संविधानिक प्रक्रिया में राजभवन का दुरुपयोग कराना बीजेपी के संविधान विरोधी चरित्र को प्रमाणित करता है। ऐसे षड़यंत्र अनुचित हैं।