मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में पिछले पांच साल में कांग्रेस और भाजपा में नेताओं के बीच भले ही कितनी भी दूरियां रही हों, लेकिन चुनाव के मौसम में पूरी एकजुटता दिखाई जा रही है। जो नेता एक-दूसरे की शक्ल देखना पसंद नहीं करते थे, वे भी अब हंसते-मुस्कुराते साथ फोटो खिंचाते दिख रहे हैं ताकि मतदान के लिए जाने वाले मतदाता को यही संदेश दिया जा सके कि अब सब कुछ ठीक है।
दूरियां...नजदीकियां बन गईं, अजब इत्तिफाक है
राजस्थान की जनता ने पिछले पांच साल में कांग्रेस और भाजपा में नेताओं के बीच अंदरूनी तौर पर जम कर खींचतान देखी है। कांग्रेस में तो यह जबरदस्त ढंग से रहा है और एक-दूसरे के लिए ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल भी होते देखा है जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी। वहीं भाजपा में भी नेताओं के बीच दूरियां खूब रही हैं। हालांकि कांग्रेस की तरह सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी के मौके एक-दो ही सामने आए हैं, लेकिन नेताओं ने एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका छोड़ा नहीं है।
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी
पर अब चुनाव है और चुनाव में दोनों ही दल एक-दूसरे को इस बात के लिए निशाना बनाते रहे हैं कि उनमे एकजुटता नहीं है। भाजपा का कांग्रेस पर आरोप रहा है कि कुर्सी के लिए इसके नेता एक-दूसरे पर हमले करते रहे, वहीं कांग्रेस के नेता भाजपा पर यह तंज कसते रहे कि इनके यहां मुख्यमंत्री पद के इतने उम्मीदवार है कि एकजुट हो ही नहीं सकते, लेकिन अब चुनाव सिर पर है और दोनो ही दलों मे यह कोशिशें हो रही हैं कि कैसे पूरी पार्टी को एकजुट दिखाया जाए और यह संदेश दिया जाए कि जो हुआ उसे भूल जाओ और इन नई तस्वीरों को याद रखो।
निकम्मा बन गया लाड़ला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के पोस्टर लगाए गए और अब इस तरह के फोटो वायरल किए जा रहे हैं। जिनमें दोनों नेता हल्के-फुल्के अंदाज में एक साथ बतियाते नजर आ रहे हैं। हालांकि कोई ना कोई तीसरा नेता आज भी इनके साथ जरूर होता है और जनता उस फोटो का इंतजार आज भी कर रही है, जिसमें कोई तीसरा नेता इनके बीच ना हो।
सलाम कीजिए...आली जनाब आए हैं
पार्टी में एकजुटता दिखाने के यह प्रयास तेज इसलिए भी होते दिख रहे हैं कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी इन दिनों जयपुर मे ही रूके हुए हैं। इसका कारण हालांकि दिल्ली का प्रदूषण बताया जा रहा है लेकिन यहां रह कर राहुल गांधी खुद चुनाव की माॅनिटरिंग कर रहे हैं, क्योंकि पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी यहीं टिके हुए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओ को उपर से साफ संदेश है कि चुनाव के इस आखिरी दौर में किसी भी तरह खींचतान या दूरी सामने नहीं आनी चाहिए।
सारे सपने कहीं खो गए
भाजपा में भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के बीच तनातनी की खबरें आम थीं, लेकिन पिछले दिनों गजेन्द्र सिंह राजे के निवास पर गए और दोनों के बीच लम्बी बातचीत हुई। इसके अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी दोनों आपस में बातचीत करते नजर आते हैं। वहीं केन्द्रीय नेेताओं जैसे पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ राजे के सम्बन्ध सहज नहीं रहे हैं, लेकिन अब राजे लगभग हर उस कार्यक्रम में दिख रही हैं जहां केन्द्रीय नेता पहुँच रहे हैं और सब कुछ सहज और सामान्य होने का संदेश देने वाले फोटो भी वायरल किए जा रहे हैं।
हाए-हाए ये मजबूरी
हालांकि राजस्थान की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह एकजुटता मजबूरी की एकजुटता है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजीव जैन का कहना है कि यह मजबूरी की एकजुटता के अलावा कुछ नहीं है। दोनों ही दलों में आलाकमान को दिखाने के लिए एकजुटता दिखाई जा रही है। धरातल पर ना सिर्फ इनके दिल आपस में दूर है, बल्कि समर्थक भी पूरी तरह बंटे हुए हैं। जनता भी इस बात को अच्छी तरह से समझ रही है।