संजय गुप्ता@ INDORE
कांग्रेस ने वादे के मुताबिक नवरात्रि में मप्र विधानसभा चुनाव प्रत्याशियों की पहली सूची (144 उम्मीदवार) जारी कर दी है। इसमें विधानसभा एक से मौजूदा विधायक संजय शुक्ला को, दो नंबर से चिंटू चौकसे, विधानसभा चार से राजा मंधवानी, विधानसभा राउ से मौजूदा विधायक जीतू पटवारी, विधानसभा देपालुपर से विशाल पटेल और विधानसभा सांवेर से प्रेमचंद गुड्डु की बेटी रीना सैतिया को टिकट दिया है। बीजेपी की तहत कांग्रेस ने भी वेट एंड वॉच की नीति अपनाते हुए विधानसभा तीन, पांच और महू के प्रत्याशी अभी होल्ड कर दिए हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी की एक-दो दिन में ही आने वाली सूची के बाद इनके नाम घोषित किए जाएंगे। देपालपुर और राऊ विधानसभा में साल 2018 की चुनाव की तरह ही बीजेपी, कांग्रेस से समान प्रत्याशी हैं।
गौड़ परिवार से अच्छे सबंध वाले मंधवानी को ही उनके खिलाफ उतारा
बाकी प्रत्याशी तो तय थे, घोषित प्रत्याशियों में विधानसभा चार में ही अक्षय बम और राजा मंधवानी के बीच लड़ाई थी। दोनों ने ही खुद को प्रत्याशी मानकर प्रचार शुरू कर दिया था लेकिन बाजी मंधवानी मार ले गए। इसकी मुख्य वजह रहे हैं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा। उनके कोटे से यह टिकट मंधवानी के खाते में चले गए। वहीं बताया जा रहा है कि बम की तुलना में मंधवानी अधिक चुनाव खर्च करने के लिए तैयार थे, यहां अधिक खर्च से कांग्रेस को अन्य सीटों पर माहौल बनाने में मदद मिलेगी। वहीं दूसरी वजह रही सिंधी वोट बैंक जो करीब 35 हजार बताया जाता है। इस विधानसभा के 2.40 लाख मतदाताओं में यह बड़ा वोट बैंक है। जिसे कांग्रेस एकजुट करने के साथ ही अन्य विधानसभा में भी अपने पक्ष में करना चाहती है। इंदौर में 50 हजार से ज्यादा सिंधी वोट बैंक है। लेकिन राजा मंधवानी के गौड़ परिवार से बेहतर संबंध रहे हैं। मंधवानी बिल्डर है और दोनों ही परिवार के संबंधी करीबी है। ऐसे में वह कितना आक्रामक होकर प्रचार करेंगे यह देखने वाली बात होगी।
इंदौर की सीटें पर घोषित प्रत्याशियों के बीच अब क्या बन रहे हाल
1- विधासनभा एक- यहां बीजेपी से छह बार के विधायक और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दस साल बाद चुनावी मैदान में हैं। अब उनके खिलाफ दो बार चुनाव लड़ चुके (साल 2008 में हारे, 2018 में जीते) विधायक संजय शुक्ला है। विजयवर्गीय के कारण यह सीट हाईप्रोफाइल हो गई है। नजरें शुक्ला पर है वह कितना दम दिखाते हैं।
2- विधानसभा दो- यहां से बीजेपी के तीन बार के विधायक 2008, 2013 और 2018 से विजयी रमेश मेंदोला के सामने अब पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरने वाले चिंटू चौकसे हैं। चिंटू का नाम पहले भी दो बार टिकट के लिए चला लेकिन एक बार छोटू शुक्ला और फिर दूसरी बार मोहन सेंगर के खाते में चला गया। चिंटू अभी निगम नेता प्रतिपक्ष भी है। मेंदोला यहां से 91 हजार और 71 हजार वोटों से जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसे में चिंटू के लिए यह सीट माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई जैसा मामला है। यह सीट साल 1993 से ही कांग्रेस के पास नहीं आई है। छह बार कैलाश विजयवर्गीय जीते और तीन बार से मेंदोला जीत रहे हैं।
3- विधानसभा चार- यहां से तीन बार की विधायक बीजेपी की मालिनी गौड़ चौथा चुनाव लड़ने उतर रही है। वह भी विधानसभा दो की तरह भारी वोटों से जीत हासिल करती है। साल 1990 से यह सीट कांग्रेस के पास नहीं आई। 1990 में कैलाश विजयवर्गीय जीते तो फिर 1993, 1998 और 2003 में लक्ष्मण सिंह गौड़ जीते और फिर 2008, 2013 और 2018 में मालिनी गौड़ जीती। राजा मंधवानी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और वह पाकिस्तान से आए सिंधी है जिन्हें 15 साल पहले नागरकिता मिली है।
4- विधानसभा राऊ- यह सीट 2008 में ही बनी, पहली बार बीजेपी के जीतू जिराती जीते तो दो बार से लगातार 2013 और 2018 से कांग्रेस के जीतू पटवारी जीत रहे हैं। यहां से बीजेपी ने 71 वर्षीय मधु वर्मा को उतारा है जो 2018 में हार चुके हैं। वह 17 अगस्त को पहली सूची में ही आ गए थे। तभी से उनका प्रचार जारी है। मधु वर्मा दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यहां 2018 के चुनाव जैसे ही सेम प्रत्याशी है।
5- विधानसभा सांवेर- यह सीट एक बार कांग्रेस औऱ् एक बार बीजेपी के पास आती-जाती रही है। साल 2018 उपचुनाव में कांग्रेस से तुलसी सिलावट, बीजेपी के राजेश सोनकर से जीते लेकिन नवंबर 2020 उपचुनाव में बीजेपी की ओर से लड़े और कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु से जीते। इस बार गुड्डु की बेटी रीना सैतिया को मैदान में उतारा गया है. उनके सामने फिर सिलावट होंगे, जो साल 1985 से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। टिकट के पहले गुड्डु परिवार में जमकर विवाद भी चला और पिता-पुत्री के बीच ठन गई। आखिर में टिकट रीना को मिला।
6- विधानसभा देपालपुर- यहां से 2018 वाला चुनाव जैसा ही माहौल है, फिर कांग्रेस से विशाल पटेल और बीजेपी से मनोज पटेल मैदान में हैं। बीते चुनाव में विशाल जीते थे। मनोज पटेल चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और यह पांचवी बार टिकट है। मनोज का रिकार्ड दो बार जीत और दो बार हार का है।
विधानसभा तीन, पांच और महू की लड़ाई
विधानसभा तीन, पांच और महू को बीजेपी ने भी होल्ड किया है। इन तीनों सीटों पर बीजेपी चेहरे बदलने जा रही है और डैमेज कंट्रोल रोकने के लिए ही इन बी कैटेगरी की सीटों को बीजेपी ने रोका है। बीजेपी की रणनीति को देखते ही कांग्रेस ने भी यह सीटे होल्ड की है।
महू सीट-
बीजेपी की बात करें तो महू से राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार मजबूत दावेदार है, इसके साथ ही लोकेश, दिनेश कंचन चौहान के नाम भी रेस मे हैं। डॉ. निशांत खरे का भी नाम चर्चा में हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से हाल ही में बीजेपी से आए रामकिशोर शुक्ला प्रबल दावेदार है, साथ ही सदाशिव यादव और अंतरसिंह दरबार है, जो लगातार तीन बार से चुनाव हारे हैं।
विधानसभा तीन
उधर विधानसभा तीन में कांग्रेस में जोशी भाईयों में लड़ाई है। इसमें अश्विन जोशी फिर टिकट मांग रहे हैं औऱ् चचेरे भाई पिंटू अपना दावा लगा रहे हैं। तीसरे दावेदार अरविंद बागड़ी है। बीजेपी की ओर से आकाश विजयवर्गीय का टिकट कटना तय है। ऐसे में यहां फिर से ऊषा ठाकुर के आने की संभावनाएं हैं साथ ही मिलिंद महाजन का नाम भी चर्चाओं में हैं।
विधानसभा पांच
वहीं विधानसभा पांच की बात करें तो यहां बीजेपी के महेंद्र हार्डिया का टिकट कटने की संभावनाएं हैं इसलिए उनका नाम घोषित नहीं किया गया है, वह बीता चुनाव केवल 1132 वोट से जीते और महापौर चुनाव में यही सीट थी जहां से बीजेपी पिछड़ी थी। यहां से गौरव रणदिवे, नानुराम कुमावत मजबूत दावेदार है। उधर कांग्रेस की बात करें तो यहां से पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी दो ही दावेदार है। इन पर फैसला होना है।