JABALPUR. प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है, यही वजह है कि पार्टियों की नजर हर उस तबके और वर्ग पर है जिनकी आबादी हार जीत में अहम भूमिका निभा सकती है। चुनाव के पहले अधिवक्ता समुदाय को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपनी कवायद तेज कर दी है। इसके लिए पार्टी के दिग्गजों ने मोर्चा संभाल लिया है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद सक्रियता दिखा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को अधिवक्ताओं को साधने की जिम्मेदारी सौंपी है। दोनों ही नेता अलग-अलग स्तर पर बैठकें कर वकीलों को अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
घोषणा पत्रों में वकीलों को खास तवज्जो
बात चाहे भारतीय जनता पार्टी की हो या फिर कांग्रेस की। कांग्रेस ने जहां अपने वचन पत्र में वकीलों के लिए लुभावने वादे किए हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी भी इसमें पीछे नहीं है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अधिवक्ताओं को स्वास्थ्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, आवास की व्यवस्था, युवा अधिवक्ताओं के लिए विभिन्न रियायतों के अलावा बार एसोसिएशन की सुविधाओं से लैस करने और बीमारी और आपदाओं के समय में सरकार से राहत दिलाने का प्रावधान किया जा रहे हैं। अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो राज्य के अधिवक्ताओं को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद कर रहे हैं लगातार बैठकें
भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद लगातार अधिवक्ता संघों के साथ बैठकें कर रहे हैं। जिला स्तर पर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से न केवल वे व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं बल्कि कार्यकारिणी और अधिवक्ता संघों के साथ बैठकर बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारियां दे रहे हैं। रवि शंकर प्रसाद अधिवक्ताओं से बीजेपी के पक्ष में समर्थन तो मांग ही रहे हैं साथ ही प्रदेश में फिर से सरकार बनने की स्थिति में अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए अनेक योजनाओं को शुरू करने का वादा भी करते नजर आ रहे हैं।
निर्णायक है डेढ़ लाख की आबादी
वैसे तो मध्य प्रदेश में अधिवक्ताओं की आबादी लगभग डेढ़ लाख के आसपास बताई जा रही है, लेकिन अधिवक्ताओं का समाज और समाज के विभिन्न वर्गों से खास जुड़ाव होता है। लिहाजा वे न केवल अपने और परिवारों के बल्कि खुद से जुड़े दूसरों को भी अपने पसंदीदा राजनीतिक दल के लिए मतदान करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं यही वजह है कि अधिवक्ताओं को लुभाने और उन्हें साधने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेता पूरा जोर लगा रहे हैं।