मिलिंद बायवार, BHOPAL. इस साल होने वाले मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ऐसे चुनाव होंगे जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भरपूर इस्तेमाल होने की संभावना जताई जा रही है। यानी तकनीक के हिसाब से ये चुनाव बेहद खास होने वाले हैं। इस तकनीक का सीधा और तेज असर जहां मतदाताओं तक पहुंचेगा, वहीं यह तकनीक चुनाव आयोग, पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती बढ़ा देगी। जैसा कि सभी का अनुभव है कि तकनीक के फायदे के साथ कई नुकसान भी होते हैं। ऐसे में इन चुनावों पर AI तकनीक के सही और गलत इस्तेमाल का प्रभाव साफ देखने को मिल सकता है। जहां सियासी दल इस तकनीक से बड़ा फायदा ले सकते हैं, वहीं वे इस तकनीक का गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं। चुनाव के समय अपराधी तत्व भी AI का इस्तेमाल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। सबसे ज्यादा असर वोटर्स पर पड़ेगा क्योंकि उनके सामने बार-बार भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
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मप्र में AI को लेकर कैसी है सियासी दलों की तैयारी ?
मध्यप्रदेश में चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अत्याधुनिक AI तकनीक से लैस अपने-अपने वॉर रूम तैयार कर लिए हैं। इनमें वेल ट्रेंड लोग काम कर रहे हैं। ये लोग हर चुनावी गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रख रहे हैं। यानी मप्र सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव जितने मैदान में जाकर लड़े जाएंगे, उतने ही बंद कमरे से भी लड़े जाएंगे। अब बात करते हैं चुनाव में AI के इस्तेमाल को लेकर सियासी दलों की तैयारी की। इसके तहत मप्र में कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने हाईटेक वॉर रूम तैयार कर लिए हैं। इन वॉर रूम में डेटा इंटेलिजेंस यूनिट, पॉलिटिकल इंटेलिजेंस यूनिट, ग्राउंड प्रचार टीम, फील्ड मैनेजमेंट टीम, सोशल मीडिया प्रबंधन टीम, डिजिटल मीडिया और पब्लिकेशन टीम, मीडिया मॉनीटरिंग टीम, फेक न्यूज निगरानी टीम, बूथ प्रबंधन टीम, ट्रेनिंग विभाग, कॉल सेंटर, कनेक्ट सेंटर और स्टूडियो भी बनाए गए हैं।
बीजेपी के वॉर रूम कहां-कहां?
जानकारी के मुताबिक चुनाव को लेकर बीजेपी ने मप्र में कुछ हाईटेक वॉर रूम बनाए हैं। इनमें से एक भोपाल में बीजेपी प्रदेश कार्यालय के पास एक निजी इमारत के सातवें फ्लोर पर है। बीते कई हफ्तों से यहां काम चल रहा है। यहां बाहरी लोगों की एंट्री बैन है। बीजेपी के कुछ खास लोग ही वहां जा सकते हैं। यहां जो टीम काम कर रही है, वह मप्र बीजेपी चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव के निर्देशों का पालन कर रही है। इसके अलावा बीजेपी ने प्रदेश कार्यालय में भी एक वॉर रूम बनाया है।
कांग्रेस के वॉर रूम कहां-कहां?
सूत्रों के मुताबिक मप्र में कांग्रेस ने सांसद नकुलनाथ के भोपाल स्थित सरकारी बंगले पर हाईटेक वॉर रूम बनाया है। कांग्रेस की एक टीम गोपनीयता के साथ यहां काम कर रही है। इसके अलावा एक वॉर रूम पीसीसी चीफ कमलनाथ के बंगले पर भी बनाया गया है। यहां पर हर विधानसभा सीट की मेपिंग की जा रही है। इसकी मॉनिटरिंग खुद पूर्व सीएम कमलनाथ कर रहे हैं। वहीं एक बड़ा वॉर रूम पीसीसी के बेसमेंट में बनाया गया है। इसमें कई कमरे हैं।
नेताओं के अलग वॉर रूम
पार्टी से इतर कुछ नेताओं ने भी अपने-अपने निवास पर या निजी मकान में हाईटेक वॉर रूम बनाए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी खुद के लिए वॉर रूम बनवाया है। वहीं राज्यसभा सदस्या दिग्विजय सिंह ने भी अपने बंगले पर वॉर बनवाया है। उधर, कुछ प्रत्याशी और दावेदारों ने भी वॉर रूम तैयार करवाए हैं।
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मप्र में कांग्रेस ने बनवाया अपना सॉफ्टवेयर
भोपाल में कांग्रेस के पीसीसी बेसमेंट में बने बड़े वॉर रूम में AI के हिसाब से ही चुनाव की मॉनिटरिंग का खाका तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक AI के जरिये कांग्रेस ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनवाया है जो खुद ही संबंधित शख्स को कम्प्यूटर से फोन लगाएगा, शख्स का नाम पूछेगा और उससे अन्य बातों की जानकारी लेगा। इससे पूरी जानकारी कम समय में कम्प्यूटर में सेव हो जाएगी। इससे उसकी मॉनिटरिंग में आसानी होगी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों का डेटा जुटाया है। इन लोगों तक कांग्रेस की सीधी पहुंच रहेगी। इससे पहले यह मॉनिटरिंग व्यक्तियों को करना पड़ती थी। उसमें समय ज्यादा लगता था। मप्र कांग्रेस 40,000 से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप भी पब्लिक के बना चुकी है।
छत्तीसगढ़ में भी डिजिटल वॉर रूम
छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस AI की मदद ले रही है। यहां कांग्रेस 15 सितंबर को वॉर रूम बना चुकी है। रायपुर के शंकर नगर में इसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ दीपक बैज ने किया था। इस वॉर रूम में विभिन्न तकनीकों के जानकार लोगों को रखा गया है।यहीं से पूरे छत्तीसगढ़ में बूथ स्तर तक नज़र रखी जा रही है। यह टीम पब्लिक के मन को भी जान रही है और आगामी रणनीति बना रही है। एआई का इस्तेमाल कर मतदाताओं और सीएम भूपेश बघेल के बीच व्यक्तिगत संपर्क कराया जा रहा है। इस तकनीक की मदद से सीएम बघेल एक ही समय में व्यक्तिगत रूप से लाखों वोटर्स से जुड़ पा रहे हैं। इस तकनीक के जरिये छग प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी बूथ स्तर के कार्यकर्ता भी एक-दूसरे जुड़े रहेंगे।
चुनाव को कैसे प्रभावित कर सकता है AI?
-चुनाव में चैट-जीपीटी का इस्तेमाल कर राजनीतिक लेख, भाषण, ब्लॉग, गाने, कविताएं और अन्य सामग्री तक सब कुछ तैयार किया जा सकता है। ऐसे में वोटर्स के लिए यह जानना मुश्किल हो जाएगा कि उनके पास जो प्रचार सामग्री आई है वह मौलिक है या नकली।
- AI सॉफ्टवेयर इतने ज्यादा डेवलप हो गए हैं कि उनके जरिये किसी की भी आवाज को आसानी से कॉपी किया जा सकता है। उस नकली आवाज को पहचानना मुश्किल जो जाएगा।
-AI का इस्तेमाल कर अब वोटर्स की प्रोफाइल और पसंद की बातों का पता लगाया जा सकता है।यानी प्रत्याशी उम्मीदवार की पसंद के हिसाब से अपनी प्रचार सामग्री उस तक पहुंचा सकेंगे।
-वोटर्स के छोटे-बड़े ग्रुप को AI के जरिये उनकी प्रोफाइल के हिसाब से वर्गीकृत किया जा सकता है। इस तरह वोटर्स के धर्म-जाति के मुताबिक प्रचार सामग्री उन तक पहुंचाई जा सकती है।
-वोटर्स की तरफ से पिछले कुछ साल में सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट का आकलन कर वोटर्स की विचारधारा को जाना जा सकता है। इस आधार पर भी मतदाता को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है।
इस तरह बढ़ सकती है चुनावी सरगर्मी
पिछले काफी वर्षों से विधानसभा और लोकसभा चुनाव बैनर-पोस्टर और झंडों के दायरे से आगे निकलकर सोशल मीडिया पर छाए रहे हैं, लेकिन अब इनमें AI तकनीक का भी तड़का लगने वाला है। यानी इन चुनावों में सबसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होने वाला है। जाहिर है कई आवाजें,कई बयान, बैनर-पोस्टर,ऑडियो और वीडियो ऐसे आएंगे जो चुनाव के दौरान सियासी सरगर्मी बढ़ाने का काम करेंगे। इन पर भरोसा करना और नहीं करना आम मतदाता के विवेक और समझ पर निर्भर करेगा।
सावधान...AI के गलत इस्तेमाल का पहला चुनावी मामला भी आया सामने
AI के गलत इस्तेमाल का पहला चुनावी मामला सितंबर में ही मप्र के जबलपुर में पुलिस ने दर्ज किया है। दरअसल यहां दो नेताओं के दो ऑडियो वायरल हुए थे। दोनों ही ऑडियो करीब-करीब एक जैसे ही थे। एक ऑडियो में जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी नेता और पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन की आवाज थी। दावा किया गया था कि शरद जैन पार्टी कार्यकर्ता से फोन पर बात करते समय अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी यह बताया गया था कि बीजेपी नेता का अपने कार्यकर्ता के प्रति रवैया कैसा है। वहीं दूसरे ऑडियो में कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की आवाज थी। उनके बारे में भी दावा किया गया था कि वे भी अपने किसी कार्यकर्ता से फोन पर अपशब्दों का इस्तेमाल कर बात कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं ने ऑडियो में उनकी आवाज होने से इनकार किया था और पुलिस से मामले की जांच करने की गुहार लगाई थी। उधर, पुलिस का दावा है कि इससे पहले ऑडियो क्लोनिंग का इस्तेमाल साइबर ठग करते थे। ये ठग किसी शख्स के रिश्तेदार की आवाज से उस शख्स को फोन कर पैसों के लिए गुहार लगाते थे। पुलिस का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब ऑडियो क्लोनिंग का इस्तेमाल सियासी नेताओं पर किया गया है। वहीं AI एक्सपर्ट बताते हैं कि ऑडियो और वीडियो की क्लोनिंग के लिए कुछ सॉफ्टवेयर और टूल्स में ऑडियो सैंपल डालकर किसी भी व्यक्ति की आवाज को बनाया जा सकता है।
चिंता में है पुलिस अमला
चुनाव के दौरान एआई के गलत इस्तेमाल की आशंका को लेकर पुलिस अमला और अफसर चिंता में हैं। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की साइबर सेल पुलिस इसको लेकर सतर्क है। संभावित मामलों से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है। वहीं राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल ही में राजस्थान के बीकानेर में एडीजी (कानून-व्यवस्था) आनंद श्रीवास्तव ने भी सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज सभागार में प्रेसवार्ता में यह माना कि चुनाव के दौरान AI के गलत इस्तेमाल से असमाजिक तत्व और दूसरे लोग राज्य का माहौल बिगाड़ सकते हैं। उन्होंने AI के खतरों को लेकर पुलिस अफसरों को खास हिदायत दी। उन्होंने आशंका जताई कि चुनाव में अपराधी एआई का इस्तेमाल कर किसी नेता, धर्म गुरु का उन्माद फैलाने वाला वीडियो-ऑडियो बनाकर वायरल कर सकते हैं। ऐसे में पुलिस को तैयारी रखने की जरूरत है।