मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में कांग्रेस की ओर से जारी 7 गारंटी के वॉइस कॉल विज्ञापन पर निर्वाचन आयोग ने रोक लगा दी है। निर्वाचन आयोग ने कारण दिया है कि इस विज्ञापन के लिए कांग्रेस ने आयोग की विज्ञापन अधि प्रमाण समिति से मंजूरी नहीं ली। राजस्थान में कांग्रेस की ओर से जनता को दी गई साथ गारंटी की जानकारी देने के लिए विभिन्न फोन नंबरों से वॉइस कॉल भेजे जा रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने इस वॉइस कॉल विज्ञापन पर रोक लगाई है।
नोटिस में क्या लिखा है ?
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष/महासचिव के नाम भेजे नोटिस में लिखा कि राज्य स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति के संज्ञान में आया है कि आपके राजनीतिक दल द्वारा अपने चुनाव प्रचार से संबंधित 2 IVRS/OVD संदेश राज्य स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति से प्रसारण प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना प्रसारित किए जा रहे हैं। एक संदेश अशोक गहलोत की आवाज में 7 गारंटी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया फोन नंबर +911204477631 के माध्यम से प्रचारित किया जा रहा है। दूसरा संदेश मोबाइल नंबर 8587070707 पर मिस्ड कॉल करने के बाद 'नमस्कार जी, आपको बधाई। आपका नंबर गारंटियों के लिए सफलतापूर्वक रजिस्टर कर लिया गया है, प्रसारित हो रहा है।
भारत निर्वाचन आयोग ने अपने 24 मार्च 2014 के निर्देश में सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को ये निर्देशित किया है कि कोई भी विज्ञापन, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित किया जाना प्रस्तावित है, का पूर्व अधिप्रमाणन आवश्यक है। लेकिन आपके द्वारा उन निर्देशों की अनुपालना किए बिना इन संदेशों के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। ये आदर्श आचार संहिता के तहत अनुमत नहीं है और इस प्रकार से अधिप्रमाणन करवाए बिना राजनीतिक विज्ञापन के रूप में ऑडियो संदेश प्रसारित करना भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना है।
आपको आदेश दिया जाता है कि आप उक्त दोनों ऑडियो संदेशों का प्रसारण तुरंत प्रभाव से रुकवाएं और यह स्पष्ट करवाएं कि आप द्वारा किन कारणों से बिना अधिप्रमाणन के उक्त विज्ञापन संदेश प्रसारित कर आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों की अवहेलना की गई।
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बीजेपी ने की थी शिकायत
इस विज्ञापन को लेकर पिछले दिनों बीजेपी की तरफ से आपत्ति जताते हुए शिकायत की गई थी। शिकायत के बाद निर्वाचन विभाग ने जब इसकी जांच करवाई तो पता चला कि इस विज्ञापन को निर्वाचन विभाग की ओेर से बनाई राज्य स्तरीय विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति से मंजूर ही नहीं करवाया गया है। नियमानुसार कोई भी राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी अपना विज्ञापन मीडिया पर चुनाव प्रचार के लिए जारी करता है तो उसे निर्वाचन विभाग की ओर से बनाई विज्ञापन अधिप्रमाणन समिति से मंजूर करवाना होता है। ऐसा नहीं करने पर इसे आदर्श आचार संहिता की श्रेणी में माना जाता है।