रायपुर उत्तर में बगावत, कांग्रेस पार्षद अजीत कुकरेजा ने खरीदा नामांकन फॉर्म, निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी

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Rahul Garhwal
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रायपुर उत्तर में बगावत, कांग्रेस पार्षद अजीत कुकरेजा ने खरीदा नामांकन फॉर्म, निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव इस बार कांग्रेस के लिए आसान नहीं होने वाला है। लगातार कांग्रेस के नेता पार्टी के खिलाफ बगावत करते नजर आ रहे हैं। अब रायपुर उत्तर से टिकट की दावेदारी कर रहे पार्षद अजीत कुकरेजा ने नामांकन फॉर्म खरीदकर बगावत करने की तैयारी कर ली है।

रायपुर उत्तर से कुलदीप जुनेजा कांग्रेस प्रत्याशी

कांग्रेस ने उत्तर विधानसभा के लिए एक बार फिर विधायक कुलदीप जुनेजा को उत्तर विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है। यहां से पार्षद अजीत कुकरेजा और डॉ. राकेश गुप्‍ता प्रबल दावेदार थे। अजीत कुकरेजा ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी रायपुर उत्तर से दावेदारी की थी, लेकिन उन्‍हें अगली बार टिकट देने का आश्‍वासन देकर मना किया गया था। कुकरेजा को इस बार खास उम्‍मीद थी कि उन्‍हें टिकट मिल जाएगी, लेकिन विधायक रिपीट होने के बाद उन्‍होंने अपने समर्थकों के कहने नामांकन फॉर्म खरीद लिया है।

सिंधी समाज उपेक्षा से नाराज

कांग्रेस नेता अजीत कुकरेजा पिछले 3 बार से पार्षद हैं और रायपुर उत्तर से लगातार 2 बार से दावेदारी कर रहे हैं। बीजेपी से सिंधी समाज की उपेक्षा के बाद ये तय माना जा रहा था कि कांग्रेस इस समाज की परवाह करते हुए अजीत कुकरेजा को टिकट देगी। लेकिन पूरे 90 सीटों में से एक भी सीट पर इस समाज को टिकट नहीं दिए जाने से समाज के लोग नाराज हैं। केवल आम आदमी पार्टी ने सिंधी समाज से प्रत्‍याशी उतारा है।

मिक्‍स वोटर, लेकिन व्‍यापारियों का प्रभाव ज्यादा

रायपुर उत्तर विधानसभा के राजनीति समीकरण की बात करें तो रायपुर उत्तर में सिंधी समाज और सिख समाज के प्रत्याशियों के बीच ही अब तक चुनाव लड़ा गया है, लेकिन इन दोनों जातियों के अलावा ओबीसी, ओड़िया, गुजराती, सहित अनेक अन्‍य समाज के लोग रहते हैं। रायपुर उत्तर विधानसभा में मिक्स वोटर हैं। किसी एक समाज का इस सीट पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं है। यही कारण है कि यहां का चुनाव काफी दिलचस्प हो जाता है। इस सीट सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी किस्मत आजमाती रही हैं, लेकिन रायपुर उत्तर विधानसभा में प्रमुख रूप से कांग्रेस और बीजेपी ही जंग रहती है। इस सीट पर व्यापारियों का प्रभाव अधिक है, यहां का मतदाता हर बार चुनावों के बाद प्रतिनिधि बदल देती है। बीते 3 चुनाव इसका उदाहरण हैं। माना जाता है कि यहां के वोटर किसी पार्टी विशेष या चेहरे के बजाय, काम और प्रत्याशी के व्यक्तित्व पर वोट करते हैं।

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हर मामले में फिट हैं कुकरेजा

अजीत कुकरेजा के बारे में कहा जा रहा है कि इस विधानसभा से चुनाव लड़ने में हर क्राइटेरिया को पूरा करते हैं। सिंधी समाज के अलावा ओड़िया और ओबीसी बस्तियों में उनका प्रभाव अच्‍छा है। व्‍यापारी परिवार से होने के कारण गुजराती सहित अन्‍य समाज के लोगों से व्यवसायिक संबंध हैं। यही वजह है‍ कि उनकी दावेदारी को लेकर वे इस बार ज्‍यादा आश्‍वस्‍त थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नामांकन फॉर्म खरीदने के बाद उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं।

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