गंगेश द्विवेदी @RAIPUR
कांग्रेस की ओर से जारी 30 विधानसभा की सूची में 19 महिला बहुल सीटें है, यानि इनमें महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, लेकिन इनमें से केवल 4 सीटों पर ही महिला प्रत्याशी उतारी गई हैं। वहीं तीन विधायकों का टिकट काट दिया गया है। बस्तर संभाग की घोषित 11 में से केवल अंतागढ़ को छोड़कर 10 महिला बहुल और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट हैं। लेकिन यहां से केवल एक प्रत्याशी भनुप्रतापपुर से सावित्री मंडावी को स्थान दिया गया है वहीं दंतेवाड़ा से विधायक देवती कर्मा का टिकट काटकर उनके बेटे छविंद्र कर्मा को दिया गया है। खुज्जी से छन्नी साहू पंडरिया से ममता चंद्राकर का टिकट काट कर उनकी जगह भोलाराम साहू, नीलकांत चंद्रवंशी को टिकट दिया गया है। भोलाराम साहू छत्तीसगढ़ के खुज्जी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए। उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और एक स्वतंत्र उम्मीदवार राजिंदर भाटिया को हराया। नीलकंठ चंद्रवंशी नया चेहरा हैं। ग्रामीण क्षेत्र के युवा नेता नीलकंठ चंद्रवंशी को कबीरधाम जिले का नया जिलाध्यक्ष बनाया गया। बताते हें कि कवर्धा में हुए भगवा झंडा कांड के बाद से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। तभी से ये सीएम के गुड बुक में आ गए थे।
भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,97,535 मतदाता हैं। इनमें थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 95,186 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या यहा 100491 है। यानी कि इस सीट पर पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मनोज मंडावी को 72 हजार 520 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी प्रत्याशी देवलाल दुग्गा को 45 हजार 827 वोट मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज मंडावी ने 26 हजार 693 वोटों से पछाड़ते हुए अपनी जीत हासिल की थी। साल 2022 में भानुप्रतापपुर विधायक मनोज मंडावी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। इस वजह से यहां साल 2022 में उपचुनाव हुआ और उनकी पत्नी सावित्री मंडावी चुनाव जीतकर विधायक बनी। यह सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है। ये क्षेत्र नक्सल प्रभावित होने के कारण यहां चुनाव प्रचार एक बड़ी चुनौती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां के ग्रामीणों का मुख्य आय का स्त्रोत वनोपज है। इस क्षेत्र में खनिज संपदा भी भरपूर है। इस विधानसभा क्षेत्र के चारों ओर पहाड़ और वन है। हालांकि शिक्षा के क्षेत्र में नारायणपुर, अंतागढ़ और केशकाल विधानसभा की तुलना में भानुप्रतापपुर में ज्यादा शिक्षित लोग हैं।
डोंडीलोहारा में मंत्री अनिला भेंडिया रिपीट
अनिला भेंड़िया दुर्ग जिले की डौंडी-लोहारा विधानसभा से दूसरी बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुनी गई थी। यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए रिजर्व सीट है। स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त अनिला भेंड़िया का विवाह पूर्व आईपीएस रविंद्र भेंड़िया से हुआ था। वे जिला पंचायत सदस्य रहने के साथ ही सदस्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी रहीं हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा ने उनके खिलाफ राज परिवार के लाल महेंद्र सिंह टेकाम को अपना प्रत्याशी बना उतारा था। साथ ही कांग्रेस के जिला पंचायत अध्यक्ष भी बागी होकर चुनाव लड़ रहे थे। त्रिकोणीय मुकाबले में अनिला भेंड़िया ने लगभग दुगुने वोटों के अंतर से जीत हासिल की। जिसका इनाम उन्हें देते हुए भूपेश मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री के रूप में शामिल किया गया।
2013 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
- अनिला भेंदिया, कांग्रेस- कुल वोट मिले 66026
- होरिलाल रवाते, बीजेपी- कुल वोट मिले 46291
2008 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
- नीलिमा सिंह, बीजेपी- कुल वोट मिले 41534
- अनिता कुमेती, कांग्रेस- कुल वोट मिले 37547
2003 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
- लाल महेंद्र सिंह, बीजेपी- कुल वोट मिले 46147
- डोमेन्द्र भेड़िया, कांग्रेस- कुल वोट मिले 35404
यशोदा वर्मा रिपीट
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा का नाम चर्चाओं में बना हुआ था। खैरागढ़ सीट जोगी कांग्रेस से विधायक रहे देवव्रत सिंह के निधन के बाद खाली थी। इस चुनाव में कांग्रेस की महिला प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने भाजपा के कोमल जंघेल को 20 हजार से भी अधिक वोटों से हरा दिया है। इसके बाद उन्हें इस बार भी जगह दी गई है।
नए चेहरे हर्षिता बघेल को टिकट
जिला पंचायत सदस्य हर्षिता स्वामी बघेल ने डोंगरगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी के लिए दावेदारी की थी। हर्षिता लगातार डोंगरगढ क्षेत्र में सक्रिय थी। इस दौरान जनता से जुड़े मुद्दे उठाती रही। बताते हैं कि अगस्त में हुई सीएम की एक सभा का इंतजाम हर्षिता को दिया गया था, वहां उन्होंने अपनी ताकत दिखाई। तभी से माना जाने लगा था कि इन्हें टिकट दी जा सकती है। कांग्रेस के भुवनेश्वर सिंह बघेल अभी विधायक हैं वे भाजपा के गढ़ बीजेपी की सरोजनी बनर्जी को बेहद आसान संघर्ष में हरा दिया था लेकिन उनकी टिकट काटकर हर्षिता को टिकट दिया गया है।
देवती कर्मा सहित 3 महिला विधायक का टिकट कटा
बस्तर से दंतेवाड़ा सीट से विधायक देवती वर्मा का टिकट काटकर उनके बेटे छबींद्र को दिया गया है। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं। इस सीट पर कर्मा परिवार का दबदबा रहा है, लेकिन 2018 में कांग्रेस की लहर होने के बावजूद वे हार गई थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर महेंद्र कर्मा ने जीत हासिल की थी, जबकि 2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी भीमा मंडावी ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नक्सली हमले में शहीद हुए महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को टिकट दिया, जहां देवती कर्मा ने बीजेपी उम्मीदवार भीमा मंडावी को 5 हजार 881 वोटों से हराया था। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रत्याशी भीमा मंडावी ने जीत दर्ज की, उन्होंने देवती कर्मा को हराया। एक साल बाद 2019 में नक्सली द्वारा किए गए हमले में भीमा मंडावी की मौत हो गई, जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए और फिर से देवती कर्मा यहां से जीतकर आ गई। लेकिन इस बीच उनके बेटे छवींद्र इस सीट से अपनी लगातार दावेदारी कर रहे थे। 2018 के चुनाव में वे बागी होकर समाजवादी पार्टी की टिकट से लड़े थे और देवती की हार का कारण बने थे। इसीलिए इसबार उन्हें संतुष्ट करने के लिए यह सीट छबींद्र को दी गई है।
ये हें 19 महिला बहुल सीट
बीजापुर, दंतेवाड़ा, चित्रकोट, बस्तर , नारायणपुर , कोंडागांव ,केशकाल ,कांकेर ,भानुप्रतापुर, कोंटा,
मोहला- मानपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, दुर्ग ग्रामीण, पाटन, डोडी लोहारा, खरसिया सीतापुर और अंबिकापुर।
8 विधायकों के टिकट कटे
कांग्रेस की 30 उम्मीदवारों वाली पहली सूची में अनुसूचित जाति वर्ग के 3 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 14 उम्मीदवार को जगह दी गई है। जबकि 4 महिलाओं को भी प्रत्याशी बनाया है। 1 अल्पसंख्यक वर्ग के नेता मोहम्मद अकबर को भी चुनावी मैदान में उतारा गया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने 8 विधायकों के टिकट काटे हैं। इनमें छन्नी साहू, ममता चंद्राकर, राजमन बैंजाम, देवती कर्मा, अनूप नाग, भुवनेश्वर बघेल, गुरुदयाल बंजारे, शिशुपाल सोरी का नाम शामिल है।