BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेस अपना वचन पत्र जारी कर चुकी है। यहां कांग्रेस ने राइट टू हेल्थ कानून लागू करने का वादा किया है। बता दें कि राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार बीते 5 सालों से है। वहां यह कानून लागू तो किया गया था लेकिन सरकार को कदम पीछे खींचने पड़ गए थे। दरअसल राजस्थान में इस कानून के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। उस दौरान हड़ताल के पीरियड में स्वास्थ्य सेवाएं ऐसी चरमराईं कि सरकार हड़बड़ा गई थी। सरकार और डॉक्टरों के बीच समझौता हुआ और कानून में संशोधन कर निजी अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया गया था।
ऐसा था राजस्थान का राइट टू हेल्थ लॉ
इस कानून के तहत राजस्थान में किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में आपात परिस्थितियों में लाए जाने वाले किसी भी मरीज को इलाज के लिए मना करने का अधिकार छीन लिया गया था। इलाज के लिए मरीज के परिवार से किसी भी राशि को जमा करने की मांग भी अस्पताल द्वारा करने पर मनाही हो गई थी। ऐसे में निजी अस्पतालों ने यह आपत्ति उठाई थी कि ऐसे तो हर कोई अपने परिजन का इलाज इमरजेंसी बताकर मुफ्त में कराने का प्रयास करने लगेगा। उक्त कानून में आपात परिस्थिति को भी ढंग से परिभाषित नहीं किया गया था। जिससे निजी अस्पताल भयाक्रांत हो गए और हड़ताल पर चले गए थे। जो 2 सप्ताह तक चली थी।
हड़ताल के बाद हुआ था यह संशोधन
निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स की स्ट्राइक के बाद समझौते के तहत सरकार ने कानून में संशोधन कर प्राइवेट अस्पतालों को कानून के दायरे से बाहर कर दिया था। संशोधित कानून के मुताबिक ऐसा अस्पताल जिसने सरकार से अनुदानित दर पर भूमि या सरकार से कोई सुविधा नहीं ली थी, उन अस्पतालों को आरटीएच कानून के दायरे से बाहर कर दिया गया। इसके अलावा 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को भी इस कानून से बाहर कर दिया गया।
कानून में यह है प्रावधान
कानून में यह प्रावधान है कि इलाज के बाद ही मरीज और उसके परिजनों से फीस ली जा सकती है, लेकिन अगर मरीज फीस देने में असमर्थ होगा तो फिर बकाया फीस सरकार चुकाएगी या फिर मरीज को किसी और दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देगी। इसके अलावा इलाज के दौरान मानवीय गरिमा और गोपनीयता का ख्याल रखा जाएगा।
मध्यप्रदेश में क्या कमाल कर लेगी कांग्रेस?
अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कांग्रेस यदि मध्यप्रदेश में सत्ता में आती है तो वह राइट टू हेल्थ कानून के मसौदे में ऐसा क्या ले आएगी, जिससे जनता को वाकई में निशुल्क अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगेंगी। या फिर यह महज चुनाव जीतने के लिए किया गया एक वादा बस है।