इंदौर में आम चुनाव के लिए कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा, शुक्ला-सत्तू दोनों 2 चुनाव हार चुके, कोठारी ही बचे दांव लगाने के लिए

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Chandresh Sharma
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इंदौर में आम चुनाव के लिए कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा, शुक्ला-सत्तू दोनों 2 चुनाव हार चुके, कोठारी ही बचे दांव लगाने के लिए

संजय गुप्ता, INDORE. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद इंदौर की सभी नौ सीट गंवाने पर अब कांग्रेस खेमें के पास करीब चार महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का ही टोटा पड़ गया है। जहां विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार आने के लिए अति विश्वास में भरे कांग्रेस के पास उम्मीदवारों की कमी नहीं थी और टिकट काटने पड़ रहे थे, वहीं लोकसभा चुनाव के लिए अभी से हालात उलट नजर आ रहे हैं। 1989 से इंदौर में कांग्रेस का सांसद नहीं है, जी हां, 34 साल से कांग्रेस यहां से सांसद सीट पर आने के लिए तरस रही है। उधर 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है, मार्च में संभावित आचार संहिता लगेगी। यानि राममय माहौल के बीच कांग्रेस को बीजेपी को चुनौती देना है, जो एक बड़ी चुनौती साबित होना है।

कांग्रेस के पास कोठारी ही फिलहाल संभावित विकल्प

कांग्रेस की ओर से साल 2014 में सत्तू पटेल मैदान में उतरे थे और 4.66 लाख वोट से हारे थे। इसके बाद 2019 में पंकज संघवी को कांग्रेस ने आजमाया और वह बीजेपी के शंकर लालवानी से 5.47 लाख रिकार्ड वोट से हारे। कांग्रेस जुलाई 2022 में हुए महापौर चुनाव में संजय शुक्ला को आजमा चुकी है और वह 1.31 लाख वोट से हारे थे। अब संजय शुक्ला और सत्तू पटेल दोनों ही विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। लगातार चुनाव में हो रहे करोड़ों के खर्च और नतीजा सिफर (जीरो) देखते हुए अब कांग्रेस के उम्मीदवारों में लोकसभा चुनाव लड़ने का कोई उत्साह ही नहीं बचा है। इसके लिए कोई दावेदारी के लिए मैदान में नहीं आना चाहता है। ले-देकर कांग्रेस के पास शिक्षाविद् स्वप्निल कोठारी ही एकमात्र संभावित उम्मीदवार नजर आते हैं, उन्हें भी कांग्रेस को मनाना होगा, क्योंकि वह विधानसभा चुनाव में तो इंदौर पांच से प्रत्याशी बनने के लिए लालयित थे लेकिन जो चुनाव में हालत हुई है, ऐसे में लोकसभा के लिए वह तैयार होंगे, वह एक सवाल खड़ा हुआ है।

कांग्रेस को चुनावी चंदा कहां से मिलेगा?

उधर कांग्रेस के हाथ से अब दो राज्य जाने के बाद पार्टी को फंडिंग कौन करेगा, यह सबसे बड़ा मुद्दा है। ले-देकर कांग्रेस के पास अच्छे फंडिंग वाले राज्य में कर्नाटक ही है। आने वाले दिनों में कांग्रेस को चुनावी फंड को लेकर सबसे बड़ी समस्या होने वाली है।

34 साल से कांग्रेस को नहीं मिला इंदौर से सांसद

कांग्रेस इंदौर सांसद चुनाव 34 साल से हार रही है। आठ बार सुमित्रा महाजन ने हराया तो एक बार बीते चुनाव में शंकर लालवानी ने रिकार्ड तोड़ जीत हासिल की। कांग्रेस के अंतिम सांसद प्रकाश चंद्र सेठी थे जो साल 1980 से 1989 तक सांसद रहे। इसके पहले वह 1967 से 77 तक भी सांसद रहे। चार वह चुनाव जीते थे। वहीं कांग्रेस से 1951 में नंदलाल सूर्य नाराय, 1957 में खादीवाला कन्हैयालाल और 1975 में राम सिंह भाई चुनाव जीते थे। कांग्रेस के अलसवा एक बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से होमी दाजी 1962 में चुनाव जीते, 1977 में कल्याण जैन जनता पार्टी से चुनाव जीते थे। बाकी 1989 से 2014 तक लगातार आठ बार बीजेपी की सुमित्रा महाजन ने चुनाव जीते। साल 2019 में बीजेपी के लालवानी चुनाव जीतकर सांसद बने।

लगातार वोट बैंक बढ़ रहा है बीजेपी का

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट बैंक 65.50 फीसदी था, नगर निगम चुनाव 2022 में यह वोट बैंक 54 फीसदी था और अब विधानसभा चुनाव 2023 मे यह वोट बैंक 57 फीसदी हो गया। बीजेपी का वोट बैंक 50 फीसदी से अधिक तो रहता ही है। यानि इंदौर बीजेपी का गढ़ है, खासकर लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां कांग्रेस कोई भी चुनौती देते हुए नजर ही नहीं आती है।

महाजन, लालवानी 34 साल में इन सभी कांग्रेस नेताओं को हरा चुके

बीजेपी की सुमित्रा महाजन ने पहले चुनाव में दो बार लगातार चुनाव जीतने वाले, चार बार के सांसद प्रकाश सेठी को हराया था। फिर 1991 में ललित जैन, 1996 में मधुकर वर्मा, 1998 में पंकज संघवी, 1999 में महेश जोशी, 2004 में रामेश्वर पटेल, 2009 में सत्यनारायण पटेल, 2014 में सत्यनारायण पटेल। वहीं साल 2019 में बीजेपी के शंकर लालवानी ने पंकज संघवी को हराया।

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