दमोह में कुम्हार समाज का हुक्का-पानी बंद, गांव की दुकानों से राशन देने पर भी प्रतिबंध, मप्र सरकार की कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

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Pratibha Rana
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दमोह में कुम्हार समाज का हुक्का-पानी बंद, गांव की दुकानों से राशन देने पर भी प्रतिबंध, मप्र सरकार की कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

DAMOH. मध्य प्रदेश के दमोह जिले के जबेरा थाना क्षेत्र के सिंहपुर गांव से सामाजिक बहिष्कार का मामला आया है। यहां के कुम्हार समाज के लोगों का हुक्का-पानी बंद करने का फरमान सुनाया गया है। इस समाज पर गांव की दुकानों से राशन देना पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। गांव में रह रहे कुम्हार समाज के पीड़ित लोगों ने पंचायत बुलाई। पंचायत में पंचों ने उन्हीं के खिलाफ फरमान सुना दिया। बता दें, पीड़ितों को गांव से कोई भी जरूरी सामान नहीं मिल रहा है। इमरजेंसी होने पर दवाइयां तक उनको नहीं मिल पा रही हैं। इतना सब होने के बावजूद भी सरकार कोई संज्ञान नहीं ले रही है।

दमोह में कुम्हार समाज का हुक्का-पानी बंद

दरअसल सिंहपुर गांव के कुम्हार समाज के लोगों का आरोप है कि जब उनके परिवार के लोग बाल कटाने के लिए सैलून गए थे, तब सैलून संचालक ने उनके बाल काटने से मना कर दिया। उन्होंने इसकी शिकायत पंचायत में की। पंचायत बलाई गई, लेकिन पंचों ने इसी समाज के खिलाफ फरमान सुना दिया। कुम्हार समाज का हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है। इसके अलावा उन्हें गांव की किसी भी दुकान से राशन नहीं मिल रहा है। कुम्हार समाज के पीड़ित लोग बीएसपी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के पास पहुंचे। वहीं इस मामले में मप्र सरकार की कार्यप्रणाली और कानून-व्यवस्था पर कई सवाल उठ रहे हैं।

पंचायत ने कुम्हार समाज के पीड़ितों पर लगाया प्रतिबंध

वहीं इस पूरे मामले में बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम का कहना है कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ। संविधान का आर्टिकल 15 यह कहता है कि देश में जाति, धर्म, मत, पंथ के नाम पर कोई भेदभाव नहीं होगा। लेकिन,इसके बावजूद सरकार सो रही है और इन बातों को पर आज भी अमल नहीं किया जा रहा है। इसी वजह से प्रदेश की अलग-अलग जगहों पर ये सब देखने को मिल रहा है। सैलून के संचालक ने कुर्सी पर बैठकर समाज के लोगों के बाल काटने से मना कर दिया। इस बात को लेकर वाद विवाद हो गया। दबंग जातिवादी लोगों ने कहा कि जिस कुर्सी पर कुम्हार समाज के लोग बैठते हैं, उसपर वह नहीं बैठेंगे और ये सब वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस बात का कुम्हार समाज के लोगों ने विरोध किया तो फिर गांव के सरपंच और तमाम जातिवादी लोग इकट्ठे हुए।

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