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BHOPAL. विकास का पहिया कर्ज के दलदल में धंस रहा है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में पिछले पांच साल में खर्च और आमदनी का अंतर दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है। मप्र में पांच साल में खर्च और आमदनी का अंतर दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है। देश के 21 बडे़ राज्य अपनी कमाई से ज्यादा खर्ज कर रहे है। इस वजह से उनकी आमदनी और खर्च का अंतर बढ़ रहा है।
मध्य प्रदेश पर भारी कर्ज
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल में राज्यों की कमाई सिर्फ 47% बढ़ी। इसलिए वेतन-भत्ते और जरूरी खर्च का बड़ा हिस्सा कर्ज लेकर पूरा किया गया। आमदनी का अंतर दोगुने से ज्यादा हो गया है। बात की जाएं मप्र कि तो यहां पर पांच साल में खर्च और आमदनी का अंतर दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है। राज्य सरकार ने मतदाताओं को लुभाने के लिए कई योजनाएं शुरू की थी, जबकि राज्य लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है। रिपोर्टेस का कहना है कि पिछले पांच-छह सालों में राज्य में औसत प्रति व्यक्ति कर्ज तेजी से बढ़ा है। 2018 में मध्य प्रदेश सरकार पर 22,745 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो पांच साल में बढ़कर 52,511 रुपए करोड़ हो गया है।
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कर्ज तले दबा छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ पर लगभग 89 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य को हर साल करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ब्याज ही चुकाना पड़ता है। 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार पर 6,810 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो पांच साल में बढ़कर 14,600 रुपए करोड़ हो गया है।
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कर्ज में डूबा राजस्थान
राजस्थान में बीजेपी राज के आखिरी साल 2018 में राजस्थान सरकार पर 25,342 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो पांच साल में बढ़कर 58,212 रुपए करोड़ हो गया है।
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