राजस्थान के मुख्य सचिव को हटाने की मांग, बीजेपी ने चुनाव आयोग को दिया ज्ञापन, कहा- पद के दुरुपयोग की संभावना

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BP Shrivastava
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 राजस्थान के मुख्य सचिव को हटाने की मांग, बीजेपी ने चुनाव आयोग को दिया ज्ञापन, कहा- पद के दुरुपयोग की संभावना

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में बीजेपी ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव उषा शर्मा को हटाने की मांग की है। इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के नेतृत्व में प्रत्येक मंडल ने बुधवार, 25 अक्टूबर को जयपुर में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता से मुलाकात की और उन्हें मुख्य सचिव को हटाने के संबंध में ज्ञापन दिया।

दरअसल, मुख्य सचिव उषा शर्मा का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन मौजूदा सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दिया था। बीजेपी इसी पर आपत्ति करते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रही है बीजेपी का तर्क है कि मुख्य सचिव सरकार से उपकृत है इसलिए उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।

' सीएस सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रहीं '

राजेंद्र राठौड़ ने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद भी मुख्य सचिव सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रही हैं। चुनाव आयोग की ओर से समय-समय पर जारी किए परिपत्रों में निर्देशित किया गया है कि जिन अधिकारियों का सेवाकाल बढ़ाया गया है वे चुनाव संबंधित किसी भी कार्य से जुड़े नहीं रह सकते। राजस्थान में चुनाव के समय आचार संहिता के पालन में मुख्य सचिव की मुख्य भूमिका रहती है। चुनाव आयोग की ओर से जो स्क्रिनिंग कमेटी बनाई गई है उसमें पूरा नियंत्रण चेयरमैन के तौर पर मुख्य सचिव के पास ही रखा गया है। इस कमेटी में विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं।

उषा शर्मा उपकृत अधिकारी, दुरुपयोग की संभावना

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव उषा शर्मा सेवाकाल बढ़ाए जाने के कारण सरकार से उपकृत अधिकारी हैं, इसके कारण वर्तमान पद पर रहते हुए उनके द्वारा निष्पक्ष रूप से कार्य नहीं करने और उपकृत करने वाले राजनीतिक दल के पक्ष में अपने पद का दुरुपयोग किए जाने की संभावना है। इसके चलते तत्काल प्रभाव से उषा शर्मा को कार्यमुक्त किया जाए और आचार संहिता लागू होने के बाद उनके किए गए निर्णयों को भी शून्य घोषित किया जाए। इसके लिए बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को भी ज्ञापन सौंपेगा।

राठौर का दावा- योजनाओं के लिए बजट 3 महीने का ही था

राठौर ने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार की जो लोक लुभावना योजना चल रही हैं, उनमें 3 महीने का ही बजट दिया गया था। राठौर ने कहा कि प्रदेश में महंगाई राहत शिविर लगाकर शुरू की गई अन्नपूर्णा राशन किट योजना, गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना और महिलाओं को स्मार्ट फोन योजना के लिए सरकार ने तीन माह के लिए ही बजट दिया था। ऐसे में अब ये सभी योजनाएं बंद हो गई है। इन योजनाओं के बंद होने का मुख्य कारण राज्य सरकार की ओर से पर्याप्त बजट का आवंटन नहीं किया जाना था ना कि आचार संहिता के कारण यह योजना रुकी है।

'प्रियंका की पीएम पर टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन'

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश है कि चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी नेता धार्मिक आधार पर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना पर टिप्पणी नहीं करेगा, लेकिन पिछले दिनों प्रियंका वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जो टिप्पणी की थी वह आचार संहिता का उल्लंघन थी। इसको लेकर चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन अब तक उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 प्रतिनिधिमंडल में राठौड के साथ चुनाव प्रबन्धन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया, प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण सिंह बगडी, चुनाव प्रबन्धन समिति के सह संयोजक राजेन्द्र सिंह शेखावत तथा प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज शामिल रहे।

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