संजय गुप्ता, INDORE. मप्र राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) 2022 का आयोजन 27 अगस्त को हुआ है, इसमें एक लाख दो हजार उम्मीदवारों ने आवेदन दिए थे। परीक्षा में पास होने वालों में से सर्टिफिकेट देने का प्रतिशत 6 फीसदी है, जिसे उम्मीदवारों ने बढ़ाकर 15 फीसदी करने की मांग की है। इसे लेकर सोमवार (11 सितंबर) को मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के बाहर नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के साथ युवाओं ने प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते हुए ज्ञापन दिया। युवाओं का साफ कहना है कि जब साल 2017 में इसके पहले सेट हुई थी और इसमें भी नियम 15 फीसदी का नियम था, तो फिर वही इस बार भी क्यों नहीं है?
मांग पत्र में यह भी लिखा गया
- राज्य पात्रता परीक्षा 2022 में विषयवार व वर्गवार अर्हता छह की जगह 15 फीसदी हो
- यूजीसी नेट में सफल अभ्यर्थी ने यदि यह परीक्षा दी हो तो उन्हें इससे बाहर रखा जाए
- मप्र में यह परीक्षा नियमित तौर पर हर साल की जाए
- राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के संबंध में नेट, सेट पात्रता का सर्टिफिकेट इंटरव्यू के समय पेश करने के लिए कहा है, वही मप्र लोक सेवा आयोग भी करे
पीएससी यूजीसी के मानकों का हवाला देकर बचने में जुटा
मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) का इस मामले में कहना है कि सेट परीक्षा का आयोजन यूजीसी की गाइडलान से ही होता है, इसमें पात्रता अंक और प्रतिशत दोनों ही यूजीसी की गाइडलाइन से तय होते हैं। आयोग ने भी इसी गाइडलाइन को फॉलो किया है। जबकि कुछ अन्य राज्यों के आयोग ने भी अपने स्तर पर पात्रता प्रतिशत बढ़ाया है, ऐसे में उम्मीदवारों का भी तर्क है कि जब अन्य राज्य कर सकते हैं तो फिर मप्र भी उम्मीदवारों के हित में यह फैसला ले सकता है।
यूजीसी तो साल में दो बार नेट लेता है, यहां पांच साल में हो रही परीक्षा
एनईवाययू के राधे जाट और रणजीत किशनवंशी सहित उम्मीदावरों के दो तर्क साफ है- पहला यूजीसी तो हर साल दो बार नेट कराता है, इसलिए वह छह फीसदी पात्रता सर्टिफिकेट देने का नियम रखता भी है तो इसमें कोई समस्या नहीं आती है। लेकिन मप्र में सालों में एक बार परीक्षा होती है। इसके पहले परीक्षा साल 2017 में हुई थी। ऐसे में 6 फीसदी का नियम उचित नहीं है, या तो मप्र भी यूजीसी तरह साल में दो बार सेट करा ले। वहीं दूसरा तर्क है कि साल 2017 के सेट में भी 15 फीसदी का नियम था और इतने लोगों को सर्टिफिकेट दिए गए थे, तब इस बार क्या आपत्ति हो सकती है? प्रदर्शन में संगठन से सुरेंद्र, सचिन, वनराज गुर्जर व अन्य भी शामिल थे।
क्यों जरूरी है उम्मीदवारों के लिए सेट सर्टिफिकेट
पीएससी ने अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए कई पद निकाले हुए हैं। इनकी भर्ती के लिए उम्मीदवार का पीएचडी होना, नेट क्वालीफाई होना या सेट सर्टिफिकेट होना जरूरी होता है। ऐसे में इन पदों के लिए वही उम्मीदवार योग्य हो सकेंगे जिनके पास इन तीनों में से एक सर्टिफिकेट, डिग्री जरूर हो। इसके चलते उम्मीदवार यह मांग कर रहे हैं, ऐसा नहीं होने पर वह इन पद के लिए अयोग्य हो जाएंगे, जो सालों बाद निकले हैं।
एक लाख दो हजार उम्मीदवार हुए थे शामिल
रविवार को ही सेट हुई थी जिसमें एक लाख दो हजार दावेदार थे। यह परीक्षा मप्र के 12 शहरों के 276 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। इंदौर में सर्वधिक 24900 उम्मीदवार थे। इसमें दो प्रश्नपत्र हुए थे एक सामान्य और एक विषय का, जिसके लिए उम्मीदवार शामिल हो रहा है। कुल 34 विषय रखे हुए थे। इनमें पास होने वाले को न्यूनतम तय अंक लाने होंगे। इसके बाद सफल उम्मीदवारों में से हर विषयवार 6 फीसदी को सेट क्वालीफाई का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके लिए ही उम्मीदवार मांग कर रहे हैं कि यह 15 फीसदी होना चाहिए क्योंकि साल 2017 के बाद कोई सेट परीक्षा हुई ही नहीं है, जब सालों बाद हो रही है तो अधिक से अधिक पात्रता प्रतिशत होना चाहिए, यह उनका हक है।
इंजीनियरिंग सेवा और लोक अभियोजक के उम्मीदवार भी पहुंचे
उधर इसके साथ ही जिला लोक अभियोजक परीक्षा के और राज्य इंजीनियरिंग परीक्षा 2021 (सिविल) के भी उम्मदीवारों ने आयोग को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया। लोक अभियोजक के उम्मीदवारों ने कहा कि हमारी परीक्षा होने के बाद रिजल्ट जनवरी 20123 में आ गया और इसके बाद इंटरव्यू के पते नहीं है, ना कोई कैलेंडर जारी हुआ और ना ही कोई तारीख बताई जा रही है। हम करीब नौ माह से इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह इंजीनियरिंग परीक्षा के उम्मीदवारों ने कहा कि परीक्षा होने के बाद रिजल्ट नवंबर 2022 में आ गया था और दस माह हो चुके हैं हमे अभी तक यह नहीं पता कि हमारे इंटरव्यू होकर रिजल्ट कब आएगा। हम भी अपना नियुक्ति का अधिकार ही मांगने आए हैं।