BHOPAL. 23 नवंबर, गुरुवार को देवउठनी एकादशी है। ये एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आती है। भगवान विष्णु 4 महीने के शयनकाल से जागेंगे। तुलसी विवाह के बाद मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। घरों में गन्ने का मंडप बनाकर शालिग्राम और तुलसी पूजा की जाती है।
पूजन का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी या उत्थान एकादशी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर दिन बुधवार रात 11 बजकर 15 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन यानी गुरुवार 23 नवंबर रात 11 बजकर 55 मिनट में होगा। वहीं इस साल तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी के दिन 2 बेहद खास योग अमृत सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। ऐसा कई साल बाद हो रहा है। माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का शुभ मुहूर्त 23 नवंबर की शाम 5 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजे तक है।
थाली या सूप बजाकर जगाए जाते हैं देव
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार देवता 4 महीने सोते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। देवशयनी एकादशी से शुरू चतुर्मास देवउठनी एकादशी पर आकर संपन्न होता है। थाली या सूप बजाकर देवताओं को जगाया जाता है। पूजा-अर्चना की जाती है। देवों को जगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मनोकामना पूरी होती है।
पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली
हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली मनाई जाती है। देव उठनी एकादशी को देव दीपावली भी कहा जाता है। दीपावली के ठीक 15 दिन बाद ये त्योहार आता है। ये पर्व मुख्य रूप से काशी में गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं। देवों की दिवाली पर वाराणसी के घाटों को मिट्टी के दीयों से सजाते हैं।