BHOPAL. चर्चित कथावाचक और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल खंडवा पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री ने रविवार (25 सितंबर) को हरसूद में अपना दिव्य दरबार लगाया। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के वन मंत्री विजय शाह की पोल खोलकर रख दी। दिव्या दरबार के दौरान उन्होंने सबको बता दिया कि कथा के पंडाल सरकारी खर्चे पर लगाया गया है। इतना ही नहीं बागेश्वर ने विजय शाह से ये भी पूछा लिया कि क्या उन्हें तो अपना पर्चा नहीं बनवाना है? वन मंत्री शाह ने उन्हें इशारों ही इशारों से मना कर दिया, लेकिन पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने परिचय के बहाने वन मंत्री का पर्चा खोल ही दिया।
धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से खोल दी मंत्री की पोल
दरअसल मप्र में विधानसभा चुनाव पास आते ही नेता बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री की कथाएं करवाने में जुट गए हैं। इसी दौरान प्रदेश के वन मंत्री ने धीरेन्द्र शास्त्री की दो दिवसीय कथा का आयोजन हरसूद में कराया। दावा किया जा रहा है कि इस आयोजन में करोड़ो रुपए खर्च हुए है। कथा के साथ ही साथ शास्त्री ने अपना दिव्य दरबार भी लगाया। इसी दरबार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में पंडित धीरेंद्र शास्त्री, वन मंत्री विजय शाह से कहते नजर आ रहे हैं कि क्या उन्हें तो अपना पर्चा नहीं बनवाना है? लेकिन जब वन मंत्री ने उन्हें इशारे से अपना पर्चा खुलवाने से मना कर दिया तो उन्होंने विजय शाह की तारीफ करते हुए कहा कि वन मंत्री बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। जो मन में होता है वह साफ-साफ कह देते हैं। जब वह हमारे पास आए तो उन्होंने कहा कि बाबा पंडाल में बहुत पैसा खर्च हो रहा है, इतना पैसा हमारे पास नहीं है। इसलिए हमने एक मंत्री बुला लिए हैं।
वन मंत्री के कथा पंडाल की पोल खुली
वायरल वीडियो में पंडित शास्त्री वन मंत्री विजय से शाह की बात बताते हुए कहते दिख रहे हैं कि वन मंत्री ने उनसे कहा कि बाबा पंडाल में बहुत पैसा खर्च हो रहा है, इतना पैसा हमारे पास नहीं है। इसलिए हमने एक मंत्री बुला लिए हैं। बता दें कि जिस पंडाल में शास्त्री की कथा का आयोजन विजय शाह ने करवाया है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस वितरण का कार्यक्रम भी किया था। यह बोनस वितरण का कार्यक्रम सरकारी खर्च पर किया जाना था। इसी के चलते क्षेत्र के लोगों द्वारा इसका साफ मतलब यही निकाला जा रहा था कि सरकारी खर्चे पर लगे पंडाल में ही बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की कथा का आयोजन भी किया जा रहा है।