BHOPAL. मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश से कई जिलों में बाढ़ के हालात निर्मित हो गए। बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब तबाही के मंजर दिखने लगे हैं। बाढ़ का असर तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में भी देखने को मिला। यहां नर्मदा नदी के घाट के किनारों पर बसे लोगों की दुकान और मकान पानी में समां गए। मामले में पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने नर्मदा के जल को बांध से लापरवाही से छोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है।
आदेश से ज्यादा पानी बांध से छोड़ा गया
दिग्विजय सिंह ने कहा कि ओंकारेश्वर बांध से 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया जबकि आदेश महज 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का था। पूर्व सीएम ने X पोस्ट पर लिखा कि 'माँ नर्मदा पर अनेक बांधों के बनने के कारण बरगी से लेकर सरदार सरोवर तक वर्षा ऋतु में पानी कब और कितना छोड़ना चाहिए यह महत्वपूर्ण है। इसका नियंत्रण केवल टेक्निकल आधार पर होना चाहिए ना की मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री के कार्यक्रमों के आधार पर।
दिग्विजय सिंह ने लगाए आरोप
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुश करने के लिए अधिकारियों ने नियमों अनुसार डैम के गेट नहीं खोले, बल्कि अचानक नर्मदा का जल छोड़ दिया, इसकी वजह से किसानों और व्यापारियों को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है, इस दौरान दिग्विजय सिंह ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की है।
पीएम और सीएम का नाम लेकर दिग्विजय सिंह बोले
दिग्विजय सिंह ने कहा है प्रधान मंत्री जी के जन्मदिन 17 सितंबर को सरदार सरोवर पूरा भरा रहे इसलिए पानी नहीं छोड़ा गया। ओंकारेश्वर बांध का पानी इसलिए नहीं छोड़ा गया क्योंकि मुख्य मंत्री जी का कार्यक्रम के कारण पुल ना डूब जाये। जब छोड़ा गया तो 50 हजार क्यूसेक पानी एकदम छोड़ा गया जब कि आदेश 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने तक का ही है। इसी के कारण ओंकारेश्वर का पूरा बाजार डूब गया। दुकानदारों को लाखों का नुकसान हो गया।
मंत्री कमल पटेल ने किया पलटवार
दिग्विजय सिंह के बयान को लेकर शिवराज सरकार के कृषि कल्याण मंत्री कमल पटेल ने पलटवार किया है, मंत्री पटेल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से पूछ कर अधिकारी डैम के गेट नहीं खोलेंगे, जब तक डैम लबालब नहीं होते हैं, तब तक गेट नहीं खोले जाते हैं, इसके अलावा डैम के गेट खोलने के पहले आसपास के गांव में और पूरे क्षेत्र में सतर्क रहने का एलान भी कर दिया जाता है, इस बार तो बाढ़ के दौरान लोगों को अलर्ट कर दिया गया था, इसके बावजूद यदि किसी का नुकसान हुआ है तो अधिकारी सर्वे करेंगे, दिग्विजय सिंह को ऐसे मामलों में राजनीति करने की आवश्यकता नहीं है।
लोगों का आरोप- पहले पानी जानबूझकर रोका, फिर एक साथ छोड़ा
बता दें कि बीते दिनों हुई तेज बारिश में ओंकारेश्वर में नर्मदा घाट और उनके किनारे की दुकानें डूब गई थी, जिसके कारण भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये पानी जानबूझकर रोका गया और बाद में एक साथ छोड़ा गया जिसके कारण ये तबाही हुई है। लोगों ने बताया कि जगतगुरु शंकराचार्य की मूर्ति के उद्घाटन का कार्यक्रम 18 सितंबर को प्रस्तावित था और इसके पहले 15 सितंबर को मुख्यमंत्री को ओंकारेश्वर जाना था। मुख्यमंत्री को एक रपटे पर से होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना था। इसलिए प्रशासन ने ओंकारेश्वर बांध के फाटक बंद रखे ताकि रपटे के ऊपर से पानी न आ जाए।