हॉट सीट बनी दिमनी विधानसभा, BSP ने फिर भरी हुंकार, बड़ा सवाल तोमर का क्या होगा?

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Vikram Jain
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हॉट सीट बनी दिमनी विधानसभा, BSP ने फिर भरी हुंकार, बड़ा सवाल तोमर का क्या होगा?

चक्रेश @ BHOPAL

मध्यप्रदेश की सियासत में मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा हॉट सीट बनी हुई है। विधानसभा को मतदाताओं को उम्मीद है कि इस बार सीएम की कुर्सी पर बैठने वाले का नाम यहीं से होकर जा सकता है। यह उम्मीद लाजमी भी है, क्योंकि इस सीट से BJP ने अपने कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। चुनावी जिम्मेदारी के रूप में तोमर पहले ही मध्यप्रदेश में चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक की भूमिका में हैं। इधर, कांग्रेस ने भी तोमर के सामने तोमर को खड़ा करके मुकाबला रोचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर रवीन्द्र सिंह तोमर मैदान में हैं। इसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के ऐलान के बाद से कड़ी टक्कर मानी जा रही है। ऐसे में ब्राह्मण और तोमर क्षत्रिय और जाटव बाहुल्य सीट पर बड़ा सवाल है कि - तोमर का क्या होगा? आइए समझते हैं इस सीट का गुणा- भाग…

2018 में कायम किया था कांग्रेस ने दबदबा

2018 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की सभी छह सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। जाहिर है इस बार कांग्रेस को चुनौती गढ़ बचाने की है। BJP ने सांसद और केंद्र में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इसी घेराबंदी के लिए मैदान में उतार दिया है। दरअसल BJP को पता है कि अगर इस बार प्रदेश की सत्ता में बने रहना है तो उन्हें कांग्रेस के इस दुर्ग में सेंध लगानी होगी। कांग्रेस को भी अंदाजा है कि सत्ता के लिए पुराने किले की तो रक्षा करनी ही है साथ ही नए इलाके में भी सेंध लगानी है। कुल मिलाकर नरेंद्र सिंह तोमर के लिए इस बार विधायक की लड़ाई सांसद की लड़ाई से कठिन ही दिख रही है। वह भी पूरी ताकत लगा चुके हैं>

सिंधिया के प्रभाव वाला इलाका भी है मुरैना

ग्वालियर से ठीक सटा जिला होने के कारण मुरैना में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव यहां दिखता है। वह भी इस इलाके में पूरी ताकत लगा रहे है। मुरैना जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर- चंबल के क्षेत्र में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी। उस समय इस जीत के श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया दिया गया था, लेकिन सिंधिया अब बीजेपी में हैं। ऐसे में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के यहां से उतरने से इस पूरे क्षेत्र की 34 विधानसभा सीटों का चुनाव बेहद रोचक हो गया है।

BSP किस करवट जाएगी

इस इलाके में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का बड़ा प्रभाव है। बीएसपी ने इस सीट से बलबीर सिंह दंडोतिया को मैदान में उतारा है। BJP जानती है कि अगर बीएसपी को वोट मिलेंगे तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। यही कारण है कि तोमर जनसंपर्क के दौरान आयोजित सभाओं में कांग्रेस के साथ BSP पर भी फोकस कर रहे हैं। इसके पीछे रणनीति यही है कि ‌BSP को मजबूत दिखाकर कांग्रेस का वोट बांटा जाए, जिससे BJP को जीत मिले। नरेंद्र सिंह तोमर मौजूदा विधायक और कांग्रेस नेता रविंद्र सिंह तोमर पर भी सवाल उठाते हैं कि वे कभी लोगों से नहीं मिलते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक और नेता रविंद्र सिंह इस आरोप की सच्चाई लोगों से मिलकर पता करने को कहते हैं।

जातीय समीकरण

लगभग दो लाख, 30 हजार 520 मतदाता वाली इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के करीब 48 हजार, तोमर मतदाता लगभग 60 हजार और ब्राह्मण वर्ग के लगभग 30 हजार वोटर हैं। विधानसभा सीट पर लगभग 90 हजार दूसरी जातियों के मतदाता जीत के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।

दिमनी सीट: 20 साल इतिहास

दिमनी सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। साल 2008 में आखिरी बार बीजेपी को यहां से जीत मिली थी। दरअसल यह सीट 2003 तक एससी के लिए सुरक्षित थी। 1998 से लगातार 2003 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है। 2008 में यह सीट सामान्य हो गई। साल 2013 में यह विधानसभा सीट बीजेपी के हाथों से निकल गई और बसपा के दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी। साल 2018 में इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। कांग्रेस प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी गिर्राज दंडोतिया साल 2020 में सियासी उथल- पुथल के बीच बीजेपी में चले गए। नवंबर 2020 में उपचुनाव होने पर यहां कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर ने यहां से जीत हासिल की। इससे ये माना जाने लगा कि दिमनी कांग्रेस का गढ़ बनता जा रहा है।

तोमर की चुनौती

भले ही यह कांग्रेस की कर्ज माफी का असर हो या सिंधिया का प्रभाव जो भी कहें, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में ग्वालियर- चंबल इलाके की 16 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। इस बार दल- बदलने से जनता में गुस्सा तो है, लेकिन क्या गुस्सा वोट में बदल पाएगा? उससे भी बड़ा सवाल अब यह है कि नरेंद्र सिंह तोमर का सबकुछ दांव पर लग चुका है। एक कद्दावर मंत्री और खांटी नेता होने के बाद भी वे फिलहाल अपनी विधानसभा में प्रचार तक ही सिमट गए हैं।

कौन- कौन मैदान में

कांग्रेस- रवीन्द्र सिंह तोमर

बीजेपी- नरेन्द्र सिंह तोमर

बसपा- बलबीर सिंह दंडोतिया

सपा- रामनारायण सकवार

आप- सुरेन्द्र सिंह तोमर


अब तक रहे विधायक

विधानसभा
चुनाव वर्ष
विधायक
पार्टी

छठवी

1977
मुंशीलाल 
जनता पार्टी
सातवीं 
1980
मुंशीलाल
भारतीय जनता पार्टी
आठवीं  
1985
मुंशीलाल
भारतीय जनता पार्टी
नौवीं
1990
मुंशीलाल
भारतीय जनता पार्टी
दसवीं  1993
रमेश कोरी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
ग्यारहवीं
1998
मुंशीलाल
भारतीय जनता पार्टी
बारहवीं
2003
संध्या राय
भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं
2008
विपेंद्र सिंह तोमर कुथियाना
भारतीय जनता पार्टी
चौदहवीं
2013
बलवीर सिंह दंडोतिया
बहुजन समाज पार्टी
पंद्रहवीं
2018
गिर्राज दंडोतिया
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस


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