BHOPAL. विधानसभा चुनाव में इस बार कई दिलचस्प नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। राजनीति के मैदान में पांव जमाने को ललायित कई प्रत्याशी ऐसे हैं जो अपना पूरा का पूरा करियर ही दांव पर लगाकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। मध्यप्रदेश में एक युवा ऐसा है जो अमेरिका में लगी आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़-छाड़कर प्रत्याशी बना हुआ है तो एक हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भी डॉक्टरी छोड़ प्रत्याशी बन गए और अब जनता की नब्ज टटोल रहे हैं। कई सरकारी कर्मचारी भी हैं जो अपनी नौकरी त्यागकर चुनाव मैदान में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं।
बीवी बनी प्रत्याशी तो पति ने छोड़ दी सरकारी नौकरी
सारंगपुर की विधानसभा सीट पर तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरी महिला के पति ने ग्राम सहायक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया है और चुनाव मैदान में पत्नी का पूरा चुनाव प्रचार संभाले हुए हैं। नौकरी छोड़ चुनाव मैदान में उतरे ऐसे 39 लोग हैं, कुछ राजनैतिक पार्टियों तो ज्यादातर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
कुछ खास उदाहरण
रीवा में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी प्रखर प्रताप सिंह अमेरिका में आईटी सेक्टर में जॉब करते थे। अब नौकरी छोड़छाड़ कर चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।
सांची में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी डॉ जीसी गौतम भोपाल के जेके हॉस्पिटल में कॉर्डियोलॉजिस्ट थे। वे प्रोफेशनल प्रैक्शिनर के तौर पर काम कर रहे थे। अब चुनाव मैदान में हैं।
टिमरनी से निर्दलीय प्रत्याशी रमेश मर्सकोले कृषि उपज मंडी में क्लर्क थे। कांग्रेस की ओर से दावेदारी की थी। टिकट नहीं मिला तो नौकरी छोड़कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं।
इंदौर 4 विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने डॉ पीयूष जोशी को मैदान में उतारा है। वे एमबीबीएस हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस छोड़कर चुनाव लड़ रहे हैं।
अशोकनगर में कांग्रेस ने हरिबाबू राय को प्रत्याशी बनाया है। वे इंजीनियर थे और नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया था।
इधर बैतूल में 4 शिक्षकों ने अपनी नौकरी छोड़ी और विधायक और सांसद भी बने। यहां रामजीलाल उईके शिक्षक थे जो बाद में घोड़ाडोंगरी की सीट से दो मर्तबा विधायक रहे। सज्जन सिंह उईके भी सरकारी स्कूल के टीचर थे बाद में विधायक बनेे। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह उईके दिल्ली से नौकरी छोड़कर आए और 1998 में घोड़ाडोंगरी से चुनाव जीता था।