Bhopal. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में चल रही फूट की खबरों के बीच पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया समने आई है। दिग्विजय ने कहा कि मेरी सभी मतदाता भाइयों और बहनों से प्रार्थना है कि वे कांग्रेस नेताओं में फूट के बीजेपी के भ्रामक प्रचार के झांसे में न आएं। कांग्रेस एकजुट है। हम लोग सब मिलकर काम करेंगे और बीजेपी को हराएंगे। "जन बल" जीतेगा, "धन बल" हारेगा. मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनेगी.
साथियों इन भ्रामक प्रचारों से दूर रहें
दिग्विजय सिंह ने कहा, मैं 30 (अक्टूबर) तारीख को दतिया जा रहा हूं। दतिया में नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ जनता में रोष है। मैं वहां जाऊंगा और जब कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नामांकन दाखिल करेंगे तो मैं उनके साथ साथ रहूंगा। जनता जो बदलाव चाहती है, उसी बदलाव के लिए हम जनता से अपील करते हैं कि साथियों इन भ्रामक प्रचारों से दूर रहें। बीजेपी झूठी खबरें फैलाने और छपवाने में अपने धन बल का उपयोग कर रही है। यही इनकी रणनीति रही है।
जन बल जीतेगा, धन बल हारेगा
दिग्विजय बोले, मेरी प्रदेश के सभी मतदाता भाइयों और बहनों से प्रार्थना है कि वे कांग्रेस नेताओं में फूट के भाजपा के भ्रामक प्रचार के झांसे में न आएं। कांग्रेस एक जुट है। हम लोग सब मिलकर काम करेंगे और भाजपा को हराएंगे "जन बल" जीतेगा, "धन बल" हारेगा। कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
दिग्विजय सिंह ने क्या कहा
दिग्विजय ने कहा कि यहां प्रदेश में या तो सरकार कांग्रेस की बनेगी या बीजेपी की बनेगी। यहां ये छोटे-छोटे दलों की कोई सरकार नहीं बनने वाली। जनता बदलाव चाहती है और ये तभी होगा, जब आप लोग 20 साल के इस कुशासन को दूर करते हुए प्रदेश में कांग्रेस का शासन लाएं। कांग्रेस के शासन और कमलनाथ के नेतृत्व में हम मिलकर काम करेंगे। बता दें मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे तीन दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग...
कांग्रेस ने कमलनाथ- दिग्विजय को बताया था शोले का जय-वीरू
हाल ही में पत्रकारों ने भोपाल आए कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला से कुछ सीटों पर प्रत्याशियों के बदलाव और टिकट वितरण को लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच पनपे हुए मतभेदों के बारे में सवाल किया था तो उन्होंने फिल्म शोले की उपमा देते हुए दोनों को जय और वीरू करार दिया। उन्होंने कहा कि अमिताभ और धर्मेंद्र के बीच का रिश्ता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसा ही है। न तो गब्बर सिंह दोनों के बीच लड़ाई करवा सका और न ही भाजपा का गब्बर सिंह यहां करा पाएगा।
बीजेपी ने उन्हें जेल से भागा हुआ करार दिया
सुरजेवाला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि उनके बयान ने इस तथ्य को प्रदर्शित किया कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह 'जय और वीरू' के धोखेबाज पात्रों के समान हैं, जो जेल से भाग गए थे। उन्होंने कहा कि ये वो फिल्मी पात्र थे, जो जेल से भाग गए थे। मध्य प्रदेश में मिस्टर बंटाधार और करप्शननाथ का भी यही हाल है।
अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के नाम पर भिड़े!
सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय अपने कुछ समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते थे। कमलनाथ ने फीडबैक सर्वे के बहाने उनकी इच्छा को अस्वीकार कर दिया। इससे उखड़े दिग्विजय सिंह ने खुद को अपने भोपाल के बंगले में कैद कर लिया है। जब उन्होंने पार्टी के मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला से भी मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था। इसमें भी कोई रास्ता नहीं निकला है। उच्च स्तर पर प्रयास किए गए। इसी का नतीजा है कि दिग्विजय सिंह फिर से बागियों और बगावत करने वाले नेताओं का गुस्सा शांत करने में अहम भूमिका निभाने में जुट गए हैं।
क्या है कमलनाथ और दिग्विजय में विवाद की वजह
जानकारी अनुसार, भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट नहीं मिला। इससे नाराज रघुवंशी समर्थक भोपाल पहुंचे। यहां कमलनाथ ने उनसे कहा कि टिकट कटने के लिए वह दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़े। इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद दोनों के बीच का द्वंद्व सामने आया। अगले ही दिन दोनों नेता वचन पत्र जारी करने के अवसर पर एक मंच पर आए। दोनों ने हंसी-मजाक के लहजे में मुद्दे को टाल दिया। कमलनाथ ने कहा कि कपड़े फाड़ने वाला बयान मजाक था। रघुवंशी को टिकट नहीं मिलने को लेकर गुना में दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लड़ने की अटकलें थी। इस वजह से दिग्गज नेता केपी सिंह को वहां से टिकट दिया गया।
दिग्विजय-कमलनाथ में पहली बार सामने दिखी थी लड़ाई
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच इससे पहले कभी ऐसी लड़ाई खुलकर सामने नहीं आई थी। यह पहला मौका है जब वीरेंद्र रघुवंशी के टिकट के मुद्दे पर दोनों आमने-सामने है। यह भी माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के कहने पर ही वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। उन्हें टिकट नहीं मिला तो इससे उनकी भी किरकिरी हुई है। इससे पहले कमलनाथ ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराई तो इससे भी दिग्विजय सिंह उखढ़ गए थे। हालांकि, इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की। अंदरखाने चर्चा है कि दिग्विजय सिंह पर कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार ने पर्दे के पीछे से सरकार चलाने के आरोप लगाए थे।