BHOPAL. लोकतंत्र में चुनावों को मेले या यज्ञ की संज्ञा दी गई है, यह मेले या यज्ञ पूर्ण रूप से पवित्र रहें इसके लिए चुनाव आयोग दशकों से चुनाव दर चुनाव सुधार लाता जा रहा है। इन दिनों फ्रीबीज यानि मुफ्त वाली घोषणाओं जिसे आम बोलचाल में रेवड़ी बांटना कहा जाता है कि चर्चा जोरों पर है। इस लिहाज से 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव भी खास हैं, क्योंकि पहली बार चुनाव आयोग ने फ्रीबीज पर एक्शन लेते हुए एक प्रोफार्मा जारी कर दिया है। बता दें कि आयोग ने इसके लिए एक प्रोफार्मा जारी किया है, जिसमें राजनैतिक दल को यह बताना होगा कि उनकी कोई भी मुफ्त वाली घोषणा के लिए डेट टू जीडीपी रेश्यो क्या होगा? सरकार इसके लिए कितना कर्ज लेगी? राजस्व में से इसके लिए कितना ब्याज अदा करना होगा। नई योजना के लिए पुरानी किसी योजना को बंद किया जाएगा या लोगों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा?
एमपी में फ्रीबीज के डेटा
मध्यप्रदेश की बात की जाए तो सरकार ने बीते 6 माह में 4 बड़ी फ्रीबीज स्कीम लागू की हैं, जिन पर 21 हजार करोड़ रुपए का खर्च सरकार के हिस्से में आएगा। यही नहीं चुनाव से ठीक पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जो 53 हजार करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया है उसका खर्च अलग है।
ये हैं बड़ी फ्रीबीज स्कीम
1. लाड़ली बहना योजना- इस योजना के तहत प्रदेश की 1 करोड़ 31 लाख महिलाओं के खाते में सरकार हर माह 1250 रुपए डाल रही है। इस पर सालाना 19 हजार 650 करोड़ का खर्च सरकार खजाने से किया जाना है।
2. किसान सम्मान निधि- प्रदेश सरकार ने अगस्त महीने से किसान सम्मान निधि में 2 हजार रुपए का इजाफा कर दिया है। जिससे प्रदेश के 87 लाख किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि 4 हजार से बढ़कर 6 हजार हो चुकी है। इस कदम से सरकार को 1750 करोड़ रुपए सालाना एक्स्ट्रा खर्च करने होंगे। यह भी है कि यह खर्च सरकार को साल में एक बार ही करना पड़ता है।
3. मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप और स्कूटी- मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप और स्कूटी- प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने उन्हें लैपटॉप देने का ऐलान किया इसके लिए जुलाई माह में उनके खातों में 25-25 हजार रुपए डाले। इस कदम से सरकार पर 196 करोड़ रुपए से ज्यादा का बोझ आया है। वहीं अगस्त माह में सरकार ने मेधावी विद्यार्थियों के लिए इलेक्ट्रिक स्कूटी के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए और पेट्रोल स्कूटी के लिए 90 हजार रुपए निर्धारित कर दिए। साल में एक मर्तबा होने वाले इस खर्च का आंकड़ा 79 करोड़ रुपए है।
सरकारी कर्मचारियों पर भी मेहरबानी
सरकार ने रोजगार सहायकों का वेतन दुगना किया, जिससे सरकार के खाते में 248 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। पंचायत सचिवों को 7वें वेतनमान का लाभ देने, कर्मचारियों का डीए 4 फीसदी बढ़ाने, अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने और कॉलेज के अतिथि विद्वानों पर मेहरबानी दिखाते हुए मानदेय में 20 हजार का इजाफा करके भी सरकार ने अपने खजाने पर भारी-भरकम बोझ बढ़ा लिया है।
कांग्रेस की घोषणाएं भी फ्रीबीज
इधर कांग्रेस की बात की जाए तो वह जिन 5 गारंटियों के साथ चुनाव मैदान में उतरी है वे भी फ्रीबीज की श्रेणी में आती हैं। कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है। उसकी अन्य गारंटियां भी राजकीय कोष का भार ही बढ़ाएंगी। ऐसे में चुनाव आयोग का प्रोफार्मा जागरुक जनता को और जागरुक बनाने में प्रभावी होगा।