JABALPUR. जबलपुर कृषि उपज मंडी में मटर माटी के मोल खरीदने से किसान भड़क गए और हंगामा कर दिया। उन्होंने मटर सड़क पर फेंक पर मंडी के सामने जाम लगा दिया। व्यापारियों ने मटर के दाम 3 रुपए प्रति किलो लगाए थे। जिससे वे नाराज हो हो गए। 16 घंटे तक हंगामे के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप से किसानों ने प्रदर्शन खत्म किया। वहीं जिला प्रशासन ने 700 रुपए प्रति बोरी मुआवजा देने का आश्वासन दिया।
व्यापारियों ने 3 रु. किलो का भाव लगाया
दरअसल, सोमवार शाम को किसान मटर लेकर मंडी पहुंचे तो व्यापारियों ने 3 रुपए प्रति किलो की बोली लगाई। काफी देर तक बातचीत के बाद भी वे दाम बढ़ाने को तैयार नहीं हुए। इससे किसान आक्रोशित हो गए। उन्होंने मटर से भरी गाड़ियां मंडी परिसर में ही खड़ी कर दीं। किसानों का कहना था कि मटर की लागत 12 से 13 रुपए प्रति किलो आती है, जबकि व्यापारी 5 रुपए किलो के हिसाब से भी मटर नहीं खरीद रहे हैं। वहीं, व्यापारियों ने बताया कि मंडी में मटर की बंपर आवक से ऐसे हालात बने हैं।
किसानों ने पूरी रात लगाया जाम, सीएम तक पहुंचा मामला
मटर के दाम ठीक नहीं मिलने से किसानों ने सोमवार रात करीब 10 बजे मंडी में जाम लगा दिया था, जो पूरी रात रहा। मंगलवार सुबह तक जब बात नहीं बनी तो कई किसानों ने करीब 100 बोरी मटर सड़क पर फेंक दी और मंडी प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दिनभर मंडी प्रशासन और किसानों के बीच बातचीत चलती रही। दोपहर करीब 2 बजे मंडी सचिव आरके सैय्याम ने कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन से फोन पर बात की। इसके बाद कलेक्टर ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को मामले की जानकारी दी। इसके बाद निर्णय लिया गया कि हर किसान को 700 रुपए प्रति बोरा के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। सैय्याम ने ये जानकारी दी तो किसानों ने दोपहर करीब 3 बजे प्रदर्शन खत्म किया।
तीन गुना ज्यादा आवक से बने ऐसे हालात
जबलपुर कृषि उपज मंडी की क्षमता करीब 200 गाड़ियों की है, जबकि पिछले तीन दिन से 500 से 700 गाड़ी मटर की आवक हो रही है। एक हफ्ते पहले तक मंडी में मटर का थोक भाव 20 से 25 रुपए प्रति किलो था। तीन गुना ज्यादा आवक होने से मटर के दाम औंधे मुंह गिर गए।
व्यापारी बोले- मटर अच्छी क्वालिटी की नहीं है
स्थानीय व्यापारियों का कहना कि हमने 60 से 70 रुपए किलो तक मटर खरीदी है। अभी जो माल आ रहा है, वह इस क्वालिटी का नहीं है कि इसे 20 से 25 रुपए प्रति किलो भी खरीदा जा सके। एक व्यापारी ने बताया कि जो अच्छा माल था, वह तो व्यापारियों ने खरीद लिया। कुछ किसानों का माल खराब था। वह नहीं लिया तो किसान नाराज हो गए। हम माल खरीदने को तैयार हैं, लेकिन माल अच्छा होगा तभी तो हम पैसे लगाएंगे।