दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति, सागर यूनिवर्सिटी का किया था निर्माण, जानें कौन हैं ये शिक्षाविद

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Pooja Kumari
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दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति, सागर यूनिवर्सिटी का किया था निर्माण, जानें कौन हैं ये शिक्षाविद

BHOPAL. दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डॉ. हरि सिंह गौर ने वर्ष 1946 में बुंदेलखंड के छात्रों की शिक्षा के लिए अपने जीवन भर की पूंजी को दान कर दिया था। बता दें कि अपनी निजी संपत्ति दान करके सागर विश्वविद्यालय का निर्माण करने वाले पूरे भारतवर्ष में एकमात्र दानी थे। इस विश्वविद्यालय का निर्माण आजादी से पहले साल 1946 में किया गया था। आज इस महान दानी, शिक्षाविद की 154वीं जयंती है। जानकारी के मुताबिक इस सागर विश्वविद्यालय के लिए डॉ. हरि सिंह गौर ने अपनी पूंजी से 2 करोड़ से अधिक की संपत्ति और 20 लाख रुपए की नकदी दान कर दी थी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति

गौरतलब है कि वर्ष 1922 में केंद्रिय सरकार ने राजधानी में दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना की और इस दौरान डॉ. हरिसिंह गौर को दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया और वे इस पद पर 1926 तक बने रहे। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के उप कुलपति के रूप में उनके कार्य कौशल से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 1925 में सर की उपाधि से अलंकृत किया था। इसके बाद नागपुर विश्वविद्यालय में सन 1928 से कुलपति पद पर निर्वाचित हुए और वर्ष 1936 तक इस दायित्व को भलीभांति निभाया। वहीं इंग्लैंड में ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत 27 विश्वविद्यालय के कुलपतियों का 25 दिवसीय सम्मेलन भी डॉ. गौर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ था।

सागर विश्वविद्यालय निर्माण

द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद इंग्लैंड से भारत आने पर डॉ. हरिसिंह ने गवर्नेंस सागर के प्रमुख नागरिकों से संपर्क किया और सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की। डॉ. गौर ने बिना किसी सहायता के 18 जुलाई 1946 में मकरोनिया स्थित मिलिट्री बैरकों में सागर विश्वविद्यालय का शुभारंभ किया। ये स्वाधीनता के पूर्व भारत के चंद विश्वविद्यालय में से एक था।

Dr. Hari Singh Gour first Vice Chancellor of Delhi University creator of Sagar University great philanthropist Dr. Hari Singh Gour डॉ. हरि सिंह गौर दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले कुलपति सागर विश्वविद्यालय के निर्माता महान दानी डॉ. हरि सिंह गौर