GWALIOR. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में बीजेपी फिर बड़ा झटका लगा है। ग्वालियर में पूर्व विधायक विजेंद्र तिवारी ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। विजेंद्र तिवारी ने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद अपने हजारों समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में शामिल हुए विजेंद्र तिवारी को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने पार्टी की सदस्यता दलाई। विजेंद्र तिवारी बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे।
टिकट नहीं मिलने से नाराज थे विजेंद्र तिवारी
ग्वालियर की भितरवार विधानसभा सीट से पूर्व विधायक विजेंद्र तिवारी बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे। तिवारी के मुताबिक बीजेपी उन्हें टिकट नहीं दे रही थी, इस कारण वह पार्टी से नाराज चल रहे थे। बीजेपी के पूर्व विधायक विजेंद्र तिवारी भितरवार विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं। इस क्षेत्र में उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में हैं। यही कारण है कि गुरुवार को विजेंद्र तिवारी ने अपने करीब 2 हजार समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया।
बिगड़ा भितरवार का सियासी समीकरण
वोटिंग के कुछ दिन विजेंद्र तिवारी के कांग्रेस में जाने से अब बीजेपी मुश्किल में दिख रही है। बीजेपी ने भितरवार सीट से मोहन सिंह राठौड़ को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है। तिवारी के बीजेपी छोड़ने से उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है। इस सीट से तिवारी टिकट के मजबूत दावेदार थे लेकिन पार्टी ने मोहन सिंह राठौड़ को टिकट दे दिया और उसके बाद वह लगातार नाराज चल रहे थे, तिवारी के कांग्रेस में जाने के बाद भितरवार के सियासी समीकरण पूरी तरह से बिगड़ गए है। यहां कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है।
बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए मदन कुशवाहा
बता दें मंगलवार को सिंधिया के करीबी नेता और पूर्व विधायक मदन कुशवाहा भी कांग्रेस में हुए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा के दौरान मदन कुशवाहा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। पूर्व विधायक मदन कुशवाहा बीजेपी से टिकट मांग रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिलने से वे नाराज चल रहे थे, पूर्व विधायक मदन सिंह कुशवाह ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा के नेता माने जाते हैं और कुशवाहा समाज में उनकी अच्छी पकड़ है। बीजेपी ने इस सीट से भारत सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया। और ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में कुशवाहा समाज का निर्णायक वोट बैंक है।