GWALIOR. ग्वालियर-चम्बल अंचल की सियासत में बीजेपी का चर्चित चेहरा चार बार विधायक और एक बार नगर पालिका अध्यक्ष रहे कद्दावर नेता रसाल सिंह ने अंततः रविवार, 15 अक्टूबर को बीजेपी को अलविदा कह दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने बीजेपी द्वारा विधानसभा चुनाव के मद्दे नजर चुनावी रण में उतारे जा रहे प्रत्याशियों को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जिन नेताओं ने बीजेपी संगठन के साथ गद्दारी कर अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए खुद दूसरे सियासी दल से चुनाव मैदान में उतरा हो उसी को प्रत्याशी बनाना मेरे स्वाभिमान के साथ न्याय नहीं है।
आरोप-जिसने बीजेपी के खिलाफ काम किया उसे ही बना दिया प्रत्याशी
पूर्व विधायक रसाल सिंह ने बीजेपी जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह नरवरिया को लिखे पत्र में कहा है कि बीजेपी ने लहार विधानसभा सीट से जिस अम्बरीश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है, उसने दो बार साल 2013 और 2018 में मुझे चुनाव हराने के लिए बीजेपी संगठन के खिलाफ जाकर काम किया। मैंने संगठन के नीति निर्धारकों को अपनी बात विस्तार से कही, मैंने कहा कि वर्तमान प्रत्याशी की जगह पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी। वह सहर्ष उसकी जीत सुनिश्चत करने के लिए जी-जान से जुट जाएंगे। लेकिन संगठन ने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। तब मुझे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उस संस्था (बीजेपी) से त्यागपत्र देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा, जिसके लिए मैंने सारी जिन्दगी संघर्ष किया।
न से 4 बार के विधायक रह चुके रसाल सिंह
उल्लेखनीय है कि पूर्व विधायक रसाल सिंह तत्कालीन रौन विधानसभा सीट से चार बार विधायक और भिण्ड नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2013 और 2018 में वह बीजेपी प्रत्याशी के रूप में लहार विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन अपनी पार्टी के विभीषण के चलते चुनाव हार गए। उनका लहार के अलावा भिण्ड जिले की गोहद, मेंहगांव और भिण्ड विधान सभा सीटों पर प्रभाव है। यदि वह बीजेपी छोड़ने के बाद किसी अन्य सियासी पार्टी का रुख करते हैं। तो आगामी विधान सभा चुनाव में बीजेपी को खतरा पैदा कर सकते हैं।