BHOPAL. अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे बीजेपी के पूर्व दिग्गज नेता सरताज सिंह ने भोपाल में अंतिम सांस ले ली। उनके निधन की खबर से उनकी कर्मस्थली होशंगाबाद से लेकर भोपाल तक उनके चाहने वाले स्तब्ध हैं। वयोवृद्ध नेता सरताज सिंह 83 साल के थे और वे 5 मर्तबा सांसद और 2 मर्तबा विधायक रह चुके थे।
2018 में छोड़ दी थी बीजेपी
पिछले विधानसभा चुनाव में उपेक्षा और हाशिए पर रखे जाने से नाराज होकर सरताज बाबू ने बीजेपी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। उन्हें नर्मदापुरम में विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा के खिलाफ चुनाव मैदान में कांग्रेस ने उतारा था। वे यह चुनाव हार गए थे और बाद में बीजेपी में वापसी भी कर ली थी।
सिंधिया के फैसले पर की थी तरफदारी
सरताज सिंह 2020 में कांग्रेस में थे जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर तख्तापलट किया था। उस दौरान सरताज सिंह ने सिंधिया के फैसले को सही करार दिया था। माना जा रहा था कि वे कांग्रेस से बीजेपी में घरवापसी कर लेंगे। लेकिन उन्होंने काफी समय बाद बीजेपी में वापसी की थी।
बचपन में ही झेला विभाजन का दर्द
सरताज सिंह जब महज कुछ साल के ही थे तब उनके परिवार ने विभाजन का दर्ज झेला। उनके परिवार ने इटारसी में अपना आश्रय बनाया और फिर यहीं बस गया। सरताज सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और विष्णु कामथ के साथ जुड़कर सक्रिय राजनीति की शुरुआत की। 1971 में सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका में कार्यवाहक अध्यक्ष भी बन गए थे।
काफी जनप्रिय नेता थे
सरताज सिंह की यह अदा थी कि वे अपने क्षेत्र के लोगों को परिवार जैसा मानते थे, जनप्रतिनिधि रहने के दौरान वे क्षेत्र के हर नागरिक के सुख-दुख में शामिल होने का प्रयास करते थे। यही कारण था कि लंबे समय तक होशंगाबाद के सांसद रहे। उन्होंने केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री ओर प्रदेश में वन, पीडब्ल्यूडी जैसे मंत्रालय को संभाला था।