इंदौर भूमाफिया चंपू के खिलाफ गर्ग की कंपनी ने कोर्ट में किया केस, उधर मद्दा के केस में हाईकोर्ट की शासकीय अधिवक्ता पर तल्ख टिप्पणी

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The Sootr
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इंदौर भूमाफिया चंपू के खिलाफ गर्ग की कंपनी ने कोर्ट में किया केस, उधर मद्दा के केस में हाईकोर्ट की शासकीय अधिवक्ता पर तल्ख टिप्पणी

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर भूमाफिया चंपू अजमेरा और कैलाश गर्ग के बीच की लड़ाई एक बार फिर कोर्ट चली गई है। गर्ग ने अपने डायरेक्टरशिप वाली कंपनी एवलांच के जरिए ने चंपू अजमेरा सहित अन्य को आरोपी बनाते हुए जिला कोर्ट में केस दायर किया है और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। इस मामले में कोर्ट ने चंपू सहित सभी पक्षकारों को अगली तारीख पर जवाब देने के लिए प्रस्तुत होने के नोटिस जारी कर दिए हैं।

कोर्ट में किया दावा

एवलांच प्रालि कंपनी स्नेह नगर इंदौर की ओर से शरद राजमला झालानी ने यह केस दायर किया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी ने 21 फरवरी 2009 को असाधारण सभा की थी और एवलांच रियलिटी प्रालि के शेयर होल्डर द्वारा प्रस्ताव पास करते हुए कैलाश चंद्र गर्ग व सुरेश गर्ग को डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। इसके बाद दिनांक 21 मार्च 2009 को तत्कालीन डायरेक्टर नितेश चुघ व महेश वाधवानी द्वारा दोनों के पक्ष में करार हुआ। इसमें गवाह तौर पर प्रतिवादी रितेश (चंपू) पिता पवन अजमेरा व राधेश्याम मण्डोरा द्वारा हस्ताक्षर हुए। गर्ग बंधुओ को चुघ व महेश द्वारा दस हजार अंश शेयर ट्रासंफर हुए शेयर कीमत दस रुपए प्रति शेयर थी। इसके लिए एक लाख का भुगतान उन्होंने प्राप्त किया। 23 मार्च 2009 को बैठक में गर्ग को कंपनी पर पूरा कंट्रोल हो गया। इसमें विविध सर्वे नंबर की जमीन भी थी।

चंपू ने इस तरह की धोखाधड़ी

कोर्ट में दायर केस में कहा गया कि बाद में चंपू ने खुद को गलत रूप से कंपनी का अधिकृत प्रतिनिधि बनाकर पद्म पिता जौहरीलला सलेचा के पत्र में 15 दिसंबर 2008 को फर्जी तरीके से कंपनी की एक जमीन की रजिस्ट्री करा दी। जबकि तंपी के पास ना कंपनी का कोई शेयर है और ना ही कोई अधिकृत स्वत्व प्राप्त था।

कोर्ट ने सभी को जारी किया नोटिस

कंपनी की ओर से रजिस्ट्री शून्य करने और चंपू व अन्य पर धोखाधड़ी केस करने की मांग की गई है। इसमें कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर पेश होने के लिए कहा है।

भूमाफिया मद्दा के केस में शासकीय अधिवक्ता से नाराज हाईकोर्ट

उधर भूमाफिया दीपक मद्दा के खिलाफ कल्पतरू सोसायटी के करीब पौने पांच करोड़ की धोखाधड़ी के केस में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता विशाल सनोठिया की कार्यशैली पर भारी नाराजगी जाहिर की और अतिरिक्त महाधिवक्ता को यहां तक निर्देश दे दिए कि मेरी कोर्ट (जस्टिस अनिल वर्मा) में पैरवी के लिए उन्हें कोई केस अलॉट नहीं किया जाए। दरअसल इस केस में पुलिसल ने आरोपी मद्दा ने याचिका दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो सरकारी अधिवक्ता सनोठिया ने कहा कि अभी इसकी केस डायरी नहीं है। इसलिए पास ओवर कर दिया जाए। फिर दूसरे सत्र में सुनवाई हुई तो याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाए गए कि जानबूझकर केस डायरी पेश नहीं हो रही है। कोर्ट ने सरकारी वकील को डायरी आने के बाद बहस के लिए कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि शासकीय अधिवक्ता का इस तरह का व्यवहार अमर्यादित है। इसकी किसी भी स्तर पर सराहना नहीं की जा सकती है। इस मामले में किसी और को नियुक्त किया जाए।

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