संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में 32 सालों से 5 हजार 895 मजदूर परिवार अपने हक की राशि के भुगतान की लड़ाई लड़ रहे हैं। आखिरकार सरकार का दिल पसीजा और भुगतान की बात चुनाव की आचार संहिता के पहले कैबिनेट में ब्याज राशि देने का प्रस्ताव पास किया। हाईकोर्ट में भी बोल दिया कि भुगतान कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी ये राशि अभी तक खातों में नहीं डाली गई। आखिरकर हाईकोर्ट का भी अब सब्र टूट गया और उन्होंने आदेश कर दिया है कि 28 नवंबर तक भुगतान राशि के लिए समय दे रहे हैं, नहीं तो इसके बाद समझौता खत्म, जमीन नीलाम कर भुगतान होगा।
चुनाव आयोग की मंजूरी लेकर करें काम
हुकुमचंद मिल मजदूरों सहित अन्य लेनदारों को बकाया राशि का भुगतान करने के मामले में हाईकोर्ट ने गुरुवार को जारी आदेश में सरकार/हाउसिंग बोर्ड को 28 नवंबर तक का समय देते हुए निर्देशित किया है। कहा गया कि यदि इस अवधि तक भुगतान को लेकर वे चुनाव आयोग की अनुमति से लेकर बोर्ड बैठक और अन्य औपचारिक प्रक्रिया पूरा करने में असफल रहता है तो कोर्ट अपना 20 अक्टूबर 2023 को जारी आदेश वापस ले लेगी और सरकार/बोर्ड को कोई और अवसर नहीं देते हुए मिल की जमीन कांपनीस एक्ट के कानून के मुताबिक नीलाम की जाएगी।
20 अक्टूबर को जारी किया था 2 हफ्ते में भुगतान का आदेश
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने आज हुई सुनवाई के बाद आदेश जारी किया। 20 अक्तूबर के आदेश के मुताबिक आदेश की कॉपी मिलने के 2 सप्ताह में मजदूरों सहित अन्य का बकाया भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू करनी थी। सरकार की ओर से पेश आवेदन में विधानसभा चुनाव के चलते चुनाव आयोग की अनुमति और बोर्ड बैठक का हवाला देते हुए कोर्ट से भुगतान के लिए 45 दिन का समय मांगा गया। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई थी और भुगतान के संबंध में इंस्ट्रक्शन लेने के निर्देश देते हुए गुरुवार को सुनवाई रखी थी। इस पर सरकार/बोर्ड की ओर से शपथ पत्र देकर चुनाव आयोग की अनुमति और बोर्ड बैठक की बात दोहराई। परिसमापक, मजदूरों आदि पक्षकारों की ओर से इस पर आपत्ति ली गई। सभी के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिए। अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।