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हरीश दिवेकर @ BHOPAL
बिहार के बाद अब राजस्थान भी जातिगत सर्वे करवाएगा। एमपी में कमलनाथ भी जातिगत सर्वे की बात कर रहे हैं। कांग्रेस की इस चाल का तोड़ बीजेपी निकालने में जुट गई है। इधर 2000 के नोट अब बैंक नहीं बदलेंगे, इसके लिए आपको आरबीआई में जाना होगा। उधर, भारत ने एशियाड में रिकॉर्ड 107 मेडल जीते, आखिरी दिन 6 गोल्ड; क्लोजिंग सेरेमनी आज होगी। चलिए अब बात करते हैं एमपी की तो यहां अभी सबसे हॉट न्यूज बीजेपी के आधा दर्जन सीएम के दावेदार ही बने हुए हैं। हर दूसरे दिन कोई न कोई दिग्गज अपने आप को सीएम का दावेदार बता रहा है। सीएम कौन बनेगा ये तो पार्टी हाईकमान ही तय करेगा, लेकिन भारी मतों से जीतने के लिए दिग्गजों ने स्वयं घोषणा कर दी है। कांग्रेस की बात करें तो अभी पार्टी अपने प्रत्याशी तय करने से ही बाहर नहीं निकल पा रही है। देश- प्रदेश में खबरें और भी हैं, आप तो सीधे नीचे उतर आइए और जानिए क्या चल रहा है एमपी के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में…
मामा का इमोशनल अटैक...
मामा तो मामा है। कब, कौन सा खेला करेगा, ये कोई नहीं जानता। हाईकमान ने धीरे- धीरे शिंकजा कसते हुए पूरे संगठन और दिग्गज नेताओं को संदेश दिया कि अब मामा का खेल खत्म। लेकिन मामा तो मामा है, अपना झोला लेकर जनता दरबार में उतर गए और फिर शुरू हुआ इमोशनल अटैक। मामा के इस बदले तेवर से दिग्गज नेताओं से लेकर हाईकमान तक सकते में हैं। सब जानना चाहते हैं कि आखिर मामा के मन में क्या चल रहा है? उनके संशय को और बढ़ाने के लिए मामा ने मीडिया में बयान दे दिया- ये मेरे और जनता के बीच की बात है… इसके गहरे निहितार्थ हैं, यानि गूढ़ रहस्य। मामा के इतना कहते ही संगठन के लोग इस गूढ़ रहस्य को खोजने में लग गए हैं। मामा ने इशारों में ही सही, इतना तो बता ही दिया है कि मामा हलवा नहीं है जो चाहेगा आसानी से खा जाएगा।
जारी है कांग्रेस के पहलवानों की जोर आजमाईश
सबसे पहले लिस्ट जारी करने का दावा करने वाली कांग्रेस दो- दो स्क्रीनिंग कमेटी और सीईसी की बैठक के बाद भी अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पा रही है। बताते हैं कि कुछ पहलवान जोर- आजमाईश लगाकर सर्वे से इतर अपने पट्ठों को मैदान में उतारना चाहते हैं, लेकिन कमलनाथ हैं कि मान ही नहीं रहे। अब राहुल बाबा के सर्वे का मिलान हर सीट के अब तक के सर्वे से कराया जा रहा है। ये तो समय ही बताएगा कि कमलनाथ इन पहलवानों को पटखनी दे पाते हैं कि नहीं।
आधी रात को सीएम मेहरबान
आचार संहिता लगने की भनक लगते ही सीएम ने आधी रात में कैबिनेट की मीटिंग कर डाली। कैबिनेट की बैठक के बाद ग्वालियर चंबल के “लेटू मंत्री” ने सीएम के पांव पकड़ते हुए कहा कि साहब आचार संहिता लग रही है मेरी कुछ फाइलों पर साइन कर दो, नहीं तो सब अटक जाएगा। सीएम ने मुस्कराते हुुए उनकी फाइलों पर साइन कर दिए। फिर क्या था, देखते ही देखते आधा दर्जन दूसरे मंत्री भी अपनी फाइलें लेकर हाथ जोड़कर खड़े हो गए। सीएम ने भी दरियादिली दिखाते हुए तुम भी क्या याद करोगे वाले अंदाज में धड़ाधड़ महीनों से अटकी फाइलों पर आटोग्राफ दे डाले।
मंत्री नातेदार को नहीं दे पा रहे राहत
प्रदेश के एक पॉवरफुल मंत्री अपने नातेदार की चाहकर भी मदद नहीं कर पा रहे हैं। मंंत्री ने कई बार अफसरों से मदद करानी भी चाही, लेकिन हर बार उच्च स्तर का हवाला देकर अफसरों ने मंत्री को टहला दिया। मामला स्पेशल डीजी का है। पत्नी के साथ मारपीट करने का वीडियो सामने आने के बाद ये साहब चर्चा में आए थे। स्पेशल डीजी चुनाव लड़ना चाहते हैं। सरकार से वीआरएस मांग रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें एक के बाद एक आरोप पत्र थमाकर उलझाती जा रही है। हाल ही में एक और आरोप पत्र थमाकर स्पेशल डीजी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मंत्री का पॉवर से भी उन्हें राहत नहीं दिला पा रहा।
आखिर लॉयल्टी किधर दिखाएं
सरकार चलाने वाले अफसर इन दिनों बेहद परेशान हैं। दरअसल सत्ता में आने की चिंता जितनी बीजेपी- कांग्रेस को है, उससे ज्यादा इन अफसरों में देखी जा रही है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि चुनावी दौड़ में किसका रथ आगे निकलेगा! इस वजह से अफसर तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर लॉयल्टी किधर दिखाई जाए। वैसे भी अफसरों का एक ही फार्मूला होता है… “जिधर दम उधर हम” इस बार दम दोनों दलों में बराबर नजर आ रहा है। शुरू में कांग्रेस के नेताओं से सीधा संपर्क साधने में जुटे थे, बीच में माहौल बदला तो वापस बीजेपी नेताओं को थामने का प्रयास शुरू हो गया। अब मामला कांटे की टक्कर में आकर फंस गया। ऊपर से बीजेपी में सीएम पद के आधा दर्जन दावेदारों ने और कन्फ्यूजन बढ़ा दिया। अब सेट करें भी तो किस- किस को? हर जगह फंडिंग का फंडा जो रहता है।
बड़े साहब भी कन्फ्यूजिया गए
तीन साल से एक तरफा राज कर रहे बड़े साहब भी भारी कन्फ्यूजिया गए हैं। दरअसल बड़े साहब दो एक्सटेंशन पहले ले चुके हैं, तीसरे एक्सटेंशन का प्रस्ताव जाने के बाद से प्रदेश के हालात तेजी से बदल गए हैं। अब बड़े साहब के आका की कुर्सी ही खतरे में आ गई है। बीजेपी सत्ता में आई तब भी बड़े साहब के आका बदलना तय है। ऐसे में बड़े साहब का क्या होगा, क्योंकि उन्हें झेलना हर किसी के बस में नहीं है। बड़े साहब अब काम धाम छोड़ राजनीतिक उठापटक की खोज खबर लेने में जुट गए हैं, जिससे समय रहते सही फैसला लिया जा सके।