BHOPAL. मध्यप्रदेश की खुशियां मापने में देर पर देर होती जा रही है। दरअसल मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश है जिसने साल 2016 में खुशी विभाग यानी हैप्पीनेस डिपार्टमेंट बनाया। इसके तहत साल 2017 में हैप्पीनेस सर्वेक्षण कराने के बारे में बीजेपी सरकार ने निर्णय लिया। ये हैप्पीनेस सर्वेक्षण साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कराया जाना था, लेकिन यह साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भी नहीं हो सका है।
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बीजेपी सरकार ने अपनी ही योजना ठंडे बस्ते में डाली
मध्यप्रदेश के हैप्पीनेस इंडेक्स के लिए मप्र आनंद संस्थान का नॉलेज पार्टनर आईआईटी खड़गपुर है। आईआईटी खड़गपुर ने ही हैप्पीनेस सर्वेक्षण के लिए सवालों की लिस्ट और मसौदा तैयार करने में मदद की है। हालांकि, हैप्पीनेस डिपार्टमेंट के अफसर बता रहे हैं कि सरकार से इजाजत मिलते ही 2 महीने में सर्वे कराया जा सकता है। दावा ये भी किया जा रहा है कि सर्वे जल्द शुरू होगा, लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि चुनावी साल में मध्यप्रदेश का हैप्पीनेस सर्वे होना मुश्किल लगता है। अभी सरकार का पूरा ध्यान चुनाव पर है। यानी जनता खुश है या परेशान ये पता चलना फिलहाल संभव नहीं लगता। उल्लेखनीय है कि 2018 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन मार्च 2020 से फिर से बीजेपी की वापसी हो गई, लेकिन बीजेपी सरकार ने अपनी योजना को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इतने लोगों से पूछे जाने थे सवाल
हैप्पीनेस डिपार्टमेंट के अफसरों के मुताबिक हैप्पीनेस सर्वे के लिए सर्वेक्षण टीम को ट्रेंड किया जाएगा। फिर जिलों में भेजा जाएगा। शुरुआती प्लान के मुताबिक मप्र के हर जिले से 200 लोगों के साथ कुल 10 हजार लोगों से सवाल पूछे जाने थे। हालांकि ताजा जानकारी के मुताबिक अब 20 हजार ग्रामीणों से बात करने और 35 हजार लोगों के इंटरव्यू लेने की बात कही जा रही है।
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लोगों से पूछे जाने थे 30 सवाल
आईआईटी खड़गपुर के एक्सपर्ट्स ने 30 प्रश्न तय किए थे। इनमें लोगों से उनकी पढ़ाई, आर्थिक और सामाजिक हैसियत, सरकारी दफ्तरों और सरकारी योजनाओं में उनके अनुभव जैसे सवाल पूछे जाने थे। इसी आधार पर 1 से 10 के पैमाने पर लोगों की खुशी का मूल्यांकन किया जाना था। इस डेटा को आईआईटी-खड़गपुर के साथ शेयर भी करना था।
जनता से ये जानकारी ली जानी है
11 डोमेन पर आधारित इस सर्वे में संबंध और सुरक्षा, संरक्षण, आय, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाएं, पर्यावरण, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन, समावेशिता, लिंग, बुनियादी ढांचा, परिवहन आदि शामिल हैं।
सर्वे का एक हिस्सा व्यक्तिगत भलाई सूचकांक भी है। इसमें लोगों से पूछा जाना है कि वे जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं से कितने संतुष्ट हैं। इसमें जीवन स्तर, स्वास्थ्य, शिक्षा का स्तर, व्यक्तिगत सफलता और जीवन में क्या हासिल किया, व्यक्तिगत संबंध, सुरक्षा, समुदाय के साथ पड़ोसी शामिल हैं। साथ ही अपनी जिंदगी और काम-धंधे के बारे में खुद फैसला लेने की आजादी के बारे में भी बात की जानी है।
सर्वे का एक हिस्सा सुरक्षा और संरक्षण भी है। इस सूचकांक में लोगों को ये रेटिंग देनी होगी कि वे परिवार, समुदाय, गांव, कस्बे, शहर, कार्यस्थल पर, सुरक्षा या पुलिसकर्मियों की मौजूदगी आदि में कितना खुद को सुरक्षित पाते हैं।
आनंद संस्थान के सीईओ का क्या कहना है ?
राज्य आनंद संस्थान के सीईओ अखिलेश अर्गल कहते हैं कि ग्रामीण सर्वे में हर जिले के 6 गांवों को शामिल किया जाएगा और 65 लोगों का इंटरव्यू लिया जाएगा। कुल मिलाकर सर्वे के दौरान लगभग 35 हजार लोगों का साक्षात्कार लिया जाएगा। रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।