मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में कांग्रेस का पर्याय रही मिर्धा परिवार की सदस्य ज्योति मिर्धा के बीजेपी में जाने के बाद अब कांग्रेस भले ही नागौर के बड़े जाट नेता हनुमान बेनीवाल को साधने में जुटी हो, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी इन कोशिशों से सहमत नहीं है। उनका कहना है की जो व्यक्ति कांग्रेस विचारधारा का है, वह हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन के बारे में नहीं सोच सकता। इस बारे में वही सोच सकता है, जिसने कांग्रेस का चोला पहन रखा है। हरीश चौधरी ने ज्योति मिर्धा के पार्टी छोड़ने को भी पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना है।
'बेनीवाल दूसरी विचारधारा के'
हरीश चौधरी इस समय बाड़मेर से विधायक है और कांग्रेस के पंजाब के प्रभारी भी हैं। वे मौजूदा सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके हैं और हाल में पार्टी ने उन्हें चुनाव की रणनीतिक समिति का अध्यक्ष बनाया है। समिति की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में हरीश चौधरी ने कहा कांग्रेस पार्टी मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी की विचारधारा वाली पार्टी है। हनुमान बेनीवाल की तरह राजनीतिक कांग्रेस का कोई व्यक्ति कल्पना में भी नहीं सोच सकता। उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल ने जिस तरह से कांग्रेस और देश के प्रति बातें रखी, उससे तो साफ है कि हनुमान बेनीवाल के गठबंधन का प्रस्ताव भी कोई कांग्रेस का व्यक्ति नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन के लिए वह जरूर सोच सकता है, जो कांग्रेस का चोला पहनकर बैठा है और किसी अन्य विचारधारा का व्यक्ति है अन्यथा कांग्रेस का व्यक्ति इस बारे में सोच भी नहीं सकता। चौधरी ने कहा कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी प्रायोजित पार्टी है। यह निष्पक्ष तौर पर कोई भी आकलन करें तो उसे पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या कारण हुआ कि पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाने वाले मारवाड़ में से पाली, जालोर, सिरोही कांग्रेस से क्यों छिटके। यह नई तरीके की सौदेबाजी और सुपारी की राजनीति वाली संस्कृति पैदा करने की कोशिश राजस्थान में हुई है, जिसका कांग्रेस को नुकसान हुआ है।
ज्योति मिर्धा के जाने से कांग्रेस को नुकसान- हरीश चौधरी
हरीश चौधरी ने ज्योति मिर्धा के जाने को कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान बताया और कहा कि जो मिर्धा परिवार कांग्रेस की पहचान रहा, 5 साल में नागौर में ऐसा क्या हुआ कि खींवसर विधानसभा उपचुनाव के समय जी जान से पार्टी के साथ लगने वाली ज्योति मिर्धा को पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नागौर में बहुत मजबूत थी, वहां कभी सौदेबाजी या सुपारी की राजनीति नहीं होती थी। यह सौदेबाजी और सुपारी की नई संस्कृति राजस्थान की राजनीति में लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल के ना कोई विचार हैं, ना कोई सिद्धांत और ना हीं कार्यक्रम। बेनीवाल ने सिर्फ विवादों के माध्यम से लोगों के बीच अपना स्थान बनाया और पंचायत राज के नतीजे देखें तो पता लगता है कि जनता भी उनकी राजनीति को पसंद नहीं करती।
पूर्व मंत्री ने कहा कि बेनीवाल वोटों के लिए एक बार भाजपा के खिलाफ, एक बार भाजपा के साथ, कभी राइट विंग के साथ तो कभी लेफ्ट विंग के साथ दिखाई देते हैं। हरीश चौधरी ने कहा कि अगर खींवसर उपचुनाव का निष्पक्ष आकलन किया जाए तो पता चल जाएगा कि किसने उस उपचुनाव में सौदेबाजी की, जिसमें ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस को जीतने के लिए ईमानदारी से काम किया।