संजय गुप्ता, INDORE. पीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2022 प्री को लेकर हाईकोर्ट इंदौर बेंच के एक आदेश से पूरा रिजल्ट फिर कठघरे में आ गया है। हाईकोर्ट ने चार-चार अलग-अलग उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया है कि आयोग इनके मैंस फॉर्म भरवाएं। मामले में विस्तृत सुनवाई 27 सितंबर को होगी।
मैंस फॉर्म भरने के लिए केवल याचिकाकर्ताओं को राहत
याचिकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव, विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने पैरवी की। फिलहाल मैंस के फॉर्म भरने के लिए यह राहत केवल याचिकाकर्ताओं को ही मिलेगी। लेकिन, यदि हाईकोर्ट इसमें विस्तार से सुनवाई के बाद आदेश जारी करती है तो फिर आयोग का 12 जुलाई को घोषित पूरा रिजल्ट ही उलझ जाएगा। यह परीक्षा 457 पदों के लिए है, अधिक पदों के चलते उम्मीदवार भी इसके लिए काफी प्रयास कर रहे हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन और राज्य निर्वाचन आयोग के कारण उलझा मामला
मप्र लोक सेवा आयोग की ली गई प्री परीक्षा में दो सवाल हुए थे, एक भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ और राज्य निर्वाचन आयोग मप्र का गठन कब हुआ। दोनों के सही जवाब आयोग के विकल्प में मौजूद थे, जब इन प्रश्न के आंसर आयोग ने जारी किए तो आंसर सही थे जिसमें भारत छोड़ो आंदोलन का जवाब नौ अगस्त 1942 और आयोग गठन का जवाब एक फरवरी 1994 ही था, लेकिन बाद में दावे-आपत्ति बुलाने के बाद नई आंसरशीट में दोनों ही सवाल डिलीट कर दिए गए, यानि आयोग ने रिजल्ट 200 प्रश्न की जगह 198 प्रश्न में मिले अंकों के आधार पर बनाया। इसी बात को लेकर उम्मीदवारों की आपत्ति थी कि जब दोनों जवाब सही है तो फिर इन प्रश्नों को डिलीट क्यों किया गया?
इससे कटऑफ को लेकर यह हो गया असर-
आयोग द्वारा जारी किए प्री के रिजल्ट में कटऑफ अनारक्षित वर्ग मेल के लिए 160 अंक और फीमेल के लिए 158 अंक था और प्रोवीजनल रिजल्ट में यह कटऑफ 152 अंक था। जो उम्मीदवार दो-चार अंक से रह गए, उनका तर्क है कि दो सही प्रश्न आयोग ने डिलीट किए जिससे उनके अंक कटऑफ से पीछे रह गए। यह आयोग ने गलत तरीके से डिलीट किए, इसलिए उन्हें इसके अंक मिलने चाहिए और मैंस में बैठने का अधिकार मिलना चाहिए।
27 सितंबर की सुनवाई पर सभी की नजरें हैं
प्री के रिजल्ट के आधार पर आयोग ने मैंस के लिए जो 30 अक्टूबर से चार नवंबर तक हो रही है, उसके मूल रिजल्ट (87 फीसदी पदों के लिए) में 10 हजार 351 उम्मीदवार और प्रोवीजनल रिजल्ट (13 फीसदी पदों के लिए) 3250 उम्मीदवारों को क्वालीफाइ घोषित किया, कुल 13601 उम्मदीवार मैंस देन के लिए पात्र हुए। सबसे अहम बात है कि यदि आयोग द्वारा डिलीट दोनों सवालों को हाईकोर्ट सुनवाई के बाद मान्य घोषित कर देता है तो फिर चार-चार अंक सही जवाब देने वालों के खाते में जुड़ेंगे और ऐसे में प्री के रिजल्ट में भारी बदलाव देखने को मिल सकता है, प्रोवीजनल और मूल रिजल्ट की सूची में भी अदला-बदली हो सकती है। क्योंकि जिन्होंने गलत जवाब दिए थे, वह नीचे पहुंच जाएंगे और जिन्होंने सही जवाब दिए थे, वह ऊपर की और आएंगे।
आयोग ने कहा कमेटी की रिपोर्ट पर ही हुआ
आयोग ने इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में अभी तक यही कहा है कि विशेषज्ञों की कमेटी ने ही दावे-आपत्तियों को सुनकर यह निष्कर्ष लिया था और इसी आधार पर आयोग ने प्रश्न डिलीट किए हैं। हालांकि, हाईकोर्ट अभी इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और विस्तार से इस मामले में आयोग को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।