जहां हुई ''पंगत में संगत'' वहां कांग्रेस की ऐतिहासिक हार, बीजेपी के मजबूत किलों को जीतने दिग्विजय सिंह ने की थीं पंगत में संगत

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BP Shrivastava
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 जहां हुई ''पंगत में संगत'' वहां कांग्रेस की ऐतिहासिक हार, बीजेपी के मजबूत किलों को जीतने दिग्विजय सिंह ने की थीं पंगत में संगत

वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी भले ही जश्न में डूबी हुई है, लेकिन जश्न मनाने के ऐसे ही सपने कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने भी बुने थे और इन्हें साकार रूप देने के लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मोर्चा संभाले हुए थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी लगातार बैठकें कर चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे थे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उन विधानसभा क्षेत्रों की परिक्रमा भी की थी, जो बीजेपी के मजबूत गढ़ बन चुके थे। लगातार हारने वाली सीटों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विशेष रणनीति बनाई थी और यहां पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए उन्होंने ''पंगत में संगत'' का नाम देकर बैठकें शुरू की थी और कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं से रायशुमारी कर जीत की रणनीति बनाई लेकिन हैरानी इस बात की है कि जहां-जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पंगत में संगत की बैठकें की वहीं पार्टी की ऐतिहासिक हार हुई है।

सिहोरा, कैंट और पनागर में ''पंगत में संगत''

जबलपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों में से सिहोरा, पनागर और कैंट ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां बीजेपी की लगातार जीत होती रही है और कांग्रेस के प्रत्याशी को पिछले कई चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ रहा है। बीजेपी के मजबूत गढ़ बन चुके पनागर, सिहोरा और कैंट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए दिग्विजय सिंह ने न केवल कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा की बल्कि पंगत में संगत की बैठकें कर प्रत्याशी चयन से लेकर जीत की रणनीति बनाई थी, लेकिन तीनों ही विधानसभा सीटों से मतदाताओं ने कांग्रेस को बेदखल कर दिया।

सिहोरा और कैंट में तो जिले की सबसे बड़ी हार

संगठन की मजबूती और एकता का संदेश देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिले की तीन विधानसभा सीटों पर विशेष नजर रखी। कई बार दौरा करने के साथ यहां कार्यकर्ताओं से कई दौरों की वार्ता की और उसके बाद प्रत्याशियों का चयन किया गया, लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिन-जिन विधानसभा सीटों पर पंगत में संगत की बैठकें की वहां सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा।

सिहोरा में भी कांग्रेस सीट नहीं बचा सकी

सिहोरा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से कांग्रेस की एकमात्र महिला उम्मीदवार एकता ठाकुर को 42772 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा। यहां से जिला पंचायत के अध्यक्ष संतोष बरकड़े ने जीत दर्ज की है, इसी तरह कैंट विधानसभा क्षेत्र से अभिषेक चौकसे 'चिंटू' की भी बुरी हार हुई। उन्हें मौजूदा विधायक और कैंट क्षेत्र के बीजेपी प्रत्याशी अशोक रोहाणी ने 40000 से भी ज्यादा मतों से करारी शिकस्त दी। इसके अलावा पनागर का हाल भी कमोवेश ऐसा ही रहा। पनागर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के राजेश पटेल को सुशील तिवारी इंदू ने 40541 मतों से पटखनी दे दी।

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