MP की राजनीति में कास्ट फैक्टर कितना मजबूत, किस पार्टी ने किस जाति के कैंडिडेट को दिया टिकट,जानें किस समाज को मिले कितने उम्मीदवार

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Pratibha Rana
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MP की राजनीति में कास्ट फैक्टर कितना मजबूत, किस पार्टी ने किस जाति के कैंडिडेट को दिया टिकट,जानें किस समाज को मिले कितने उम्मीदवार

BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं। यहां हर चुनाव में जाति फैक्टर का असर दिखता रहा है। बात चाहे बीजेपी की हो या फिर कांग्रेस की, दोनों ही दलों ने टिकट देते वक्त जातिगत समीकरण का बेहद ध्यान रखा है। जिस सीट पर जिस पार्टी का उम्मीदवार है, वहां उसी वर्ग के उम्मीदवार को तवज्जो दी गई है। सभी पार्टियां (बीजेपी, कांग्रेस,सपा-बसपा),उम्मीदवार उतारने से पहले जातीय गणित को समझते हैं। 230 सीटों में से 190 से ज्यादा सीटों पर कॉस्ट यानी जाति सबसे बड़ा चुनावी फैक्टर होता है। सर्वे के मुताबिक अब भी देश में 55% वोटर प्रत्याशी की जाति देखकर वोट करते हैं।

आइए जानते हैं दोनों दलों की स्थिति और किसने किस जाति को ज्यादा महत्व दिया है।

यहां किरार धाकड़ समाज का बोलबाला

मामा बनकर राज करने वाले शिवराज सिंह चौहान, किरार-धाकड़ समाज से हैं। शिवराज ओबीसी समुदाय की किराड़ जाति से आते हैं। राज्य में 90 से अधिक जातियों को ओबीसी माना जाता है और लगभग 50 फीसदी आबादी ओबीसी श्रेणी में आती है। शिवराज सिंह चौहान को महिलाओं का भी वोट मिलता है वह महिला वोटर्स के बीच काफी मशहूर हैं। उन्हें प्यार से 'मामा' बुलाया जाता है। सीएम शिवराज इस बार भी चुनाव में हैं, स्टार प्रचारक हैं। पोहरी में धाकड़ समाज से सिंधिया समर्थक उम्मीदवार हैं। यहां एक अन्य धाकड़ नेता चुनाव मैदान में हैं।

....तो किसी सीट पर यादव का जलवा

शिवपुरी में कोलारस सीट पर कांग्रेसऔर बीजेपी प्रत्याशी यादव हैं। कोलारस विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव और कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ सिंह यादव, यूं तो आपस में रिश्तेदार हैं, लेकिन वर्तमान में वे चुनाव मैदान में एक-दूसरे के विरोधी हैं। भितरवार में लाखन सिंह कांग्रेस उम्मीदवार हैं, उज्जैन में मोहन यादव बीजेपी प्रत्याशी हैं। बुंदेलखंड में निवाड़ी, पृथ्वीपुर सीटों पर यादव समाज का प्रभाव है। कांग्रेस ने बिजावर से चरणसिंह यादव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने सागर के देवरी में हर्ष यादव को टिकट दिया है।

23 विधानसभा पर कुशवाह का दबदबा

बीजेपी ने ग्वालियर की सबसे पेचीदा सीट ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है। इस विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे अनूप मिश्रा, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता की भी दावेदार थी, लेकिन नारायण इस सीट पर बाजी मार गए। ग्वालियर दक्षिण मेंनारायण सिंह कुशवाह के सामने कांग्रेस ने प्रवीण पाठक पर दांव खेला है।

ब्राह्मण मतदाता 60 सीटों, राजपूत 40 सीटों पर प्रभावित

प्रदेश में ब्राह्मण मतदाता 60 सीटों पर तो वहीं राजपूत मतदाता 45 सीटों पर प्रभावित हैं। 45 सीट पर निर्णायक सरकार ने ब्राह्मण कल्याण बोर्ड गठन के ऐलान के साथ इन्हें साधने की कोशिश की है। गोपाल भार्गव को प्रचार में भावी सीएम बताकर लोगों को लुभाया जा रहा है। राजपूत क्षत्रिय समाज भी ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड में चुनाव की धुरी होता है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी 15 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़वाने जा रही है। बीजेपी ने तोमर को दिमनी सीट से टिकट दिया है। इस समाज के सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, ग्वालियर, भिण्ड मुरैना जिले प्रभाव वाले हैं। बता दें तोमर वर्तमान में मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट से सांसद हैं।


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