BHOPAL/RAIPUR: अब तक की कड़ियों में हमने बताया कि किस तरह से 540 करोड़ के छत्तीसगढ़ कोल स्कैम के आरोपियों जैसे सूर्यकान्त तिवारी, रानू साहू, निखिल चंद्राकर, रोशन सिंह, और अन्य ने अवैध उगाही से करोड़ों की कमाई की और प्रॉपर्टीज खरीदी। मसलन कल की कड़ी में हमने बताया था कि रानू साहू ने छत्तीसगढ़ में साल 2020 से जून 2022 के बीच हुए 540 करोड़ रुपए के कोल ट्रांसपोर्टेशन स्कैम से और DMF फण्ड घोटाले से किस तरह साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा की कमाई की। इसी काली कमाई से रानू साहू और उसके परिवार के सदस्यों ने अक्टूबर, 2017 से अगस्त, 2021 की अवधि के बीच कई (36) अचल संपत्तियां खरीदी। अब आज की कड़ी में आप जानिये कि किस तरह रानू साहू सहित अन्य कई आरोपियों ने कोल ट्रांसपोर्टेशन स्कैम से मिली काली कमाई को सफ़ेद करने के लिए और उससे प्रॉपर्टीज खरीदने के लिए पूरी रकम की लेयरिंग की।
लेयरिंग क्या होता है?
दरअसल, मनी लॉन्डरिंग से अवैध पैसों को सफ़ेद किया जाता है और इस प्रोसेस में तीन स्टेप्स शामिल होते हैं:
- प्लेसमेंट: प्लेसमेंट का मतलब काली नकदी के बाजार में आने से है। इसमें आरोपी (जिसे
लाउन्डरर भी कहते हैं) अवैध तरीके से कमाए गए धन को बैंकों में अलग-अलग
अकॉउंटस में जमा करा देता है। - लेयरिंग: लेयरिंग यानि कि धन को एक खाते से दूसरे खाते में और एक बैंकिंग और वित्तीय
संस्थान से दूसरे बैंकिंग और वित्तीय संस्थान में ट्रांसफर करना है। ऐसा
इसलिए जिससे इस धन से लीगल मालिकों की परतें जोड़ी जा सकें और धन के
वास्तविक स्रोत का पता लगाने से बचा जा सके। लेयरिंग में इतनी बार अलग-अलग
खातों में लेनदेन किया जाता है कि काली नकदी गायब हो जाए और सफेद हो जाए।
इससे अधिकारियों के लिए धन के प्रारंभिक स्रोत को ट्रैक करना कठिन हो जाता
है। बता दें कि पैसों की लेयरिंग करना मनी लॉन्ड्रिंग के हिस्सा है और
इसलिए आर्थिक अपराध माना जाता है! - एकीकरण यानि इंटीग्रेशन: इंटीग्रेशन यानि फाईनली सारा पैसा वापस लाउन्डरर के पास इस धन से
निवेश,अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वैध यानि
सफ़ेद धन के रूप में आ जाना।
अब देखिये रानू साहू और परिवारजनों के लिए प्रॉपर्टीज खरीदने के दौरान लेनदेन की प्रोसेस के बीच कैसे पूरे काले धन को सफ़ेद किया गया..उदाहरण के लिए रानू साहू ने भाई पियूष साहू के नाम पर महासमुंद में विशाल टोंक से 2 प्रॉपर्टीज खरीदी थी! देखिए इस दौरान पैसों की किस तरह लेयरिंग की गई...
रानू साहू और परिवारजनों के लिए प्रॉपर्टीज खरीदने का मनी ट्रेल:
- 13 मई 2021 को मेसर्स देव एक्जिम के बैंक अकाउंट में 9,00,000 रुपये की नकदी जमा की गई
- 28 मई 2021 को मेसर्स देव एक्सिम ने पंकज साहू के बैंक अकाउंट में 5,00,000 और 3,70,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए
- 6 जुलाई 2373 को पंकज कुमार ने पीयूष साहू के बैंक अकाउंट में 6,50,00 रुपये ट्रांसफर कर दिए
- इसके बाद पीयूष साहू ने पहली संपत्ति के पसेशन के बदले में 7 जुलाई 2021 को विशाल टोंक के खाते में 585000 रुपये हस्तांतरित किए
- पीयूष साहू ने दूसरी संपत्ति के पसेशन के लिए 7 जुलाई 2021 को विशाल टोंक के खाते में 64000 रुपये ट्रांसफर किए
उपरोक्त फ्लोचार्ट से ये साफ़ है कि पहले मेसर्स देव एक्ज़िम के बैंक खाते में 9,00,000 रुपया जमा किया गया था। इसी पैसे की अलग-अलग खातों की मदद से लेयरिंग की गई। यानि इसी 9 लाख रुपए को दो टुकड़ो में बाँटकर कर पहले पंकज साहू और फिर पियूष साहू के बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। और फाईनली इस रकम को पियूष साहू ने विशाल टंक को ट्रांसफर कर उससे 2 प्रॉपर्टी खरीदी। रानू साहू, पियूष साहू और बाकी परिवारवालों के लिए सभी प्रॉपर्टीज की खरीदी के दौरान इसी तरह लेयरिंग की गई।
निखिल चंद्राकर के प्रॉपर्टीज का मनी ट्रेल
तो वहीँ निखिल चंद्राकर ने अपनी काली कमाई से रायपुर में खुद के नाम पर रायपुर के मोवा में 20 लाख से ज्यादा (20,03,400) की प्रॉपर्टी और पत्नी तलविंदर के नाम पर रायपुर के खम्हारडीह के शंकर नगर में 67 लाख से ज्यादा (40,00,000+12,17,858) की प्रॉपर्टीज खरीदी। इस दौरान भी काले धन की लेयरिंग की गई।
- 10 और 20 अक्टूबर 2022 को स्कन्द चंद्र के अकाउंट में 4,00,000 रुपए कैश डिपाजिट किये गए
- 22 अक्टूबर 2022 को लक्समन प्रसाद के अकाउंट में 1,90,000 रुपए कैश डिपाजिट किये गए
- 15 नवंबर 2022 को कनिष्क चंद्र के अकॉउंट में 2,00,000 रुपए कैश डिपाजिट किये गए
इसके बाद...
- स्कन्द चंद्र ने 11 और 22 अक्टूबर 2022 को 4,00,000 रुपए दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए
- लक्समन प्रसाद ने भी 26 अक्टूबर 2022 को 2,00,000 रुपए दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए
- कनिष्क चंद्र ने 26 नवंबर 2022 को 2,00,000 रुपए एक अन्य अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए
- इन तीनों के अलावा चन्द्रहास चंद्र ने 10 नवंबर 2021 को 7,00,000 रुपए एक अकाउंट में ट्रांसफर किये
- SS कंस्ट्रक्शन ने भी 24 नवंबर 2021 को 8,00,000 रुपए एक अकाउंट में ट्रांसफर किये
- इसके बाद ये सारा पैसा कुछ और एकाउंट्स में घूमकर निखिल चंद्राकर के कैनरा बैंक के अकाउंट में 18,90,000 रुपए के रूप में वापस आ गया और जिससे निखिल ने अपने लिए प्रॉपर्टी खरीदी।
ऊपर के इस फंड ट्रेल से साफ़ है कि इस संपत्ति की खरीद के लिए धन का स्रोत वास्तव में विभिन्न व्यक्तियों के बैंक खातों में जमा की गई नकदी थी। जिसे उनके द्वारा निखिल चंद्राकर के खाते में ट्रांसफर किया गया था और आखिर में निखिल चंद्राकर ने इसे प्रॉपर्टी खरीदने के लिए यूज़ किया।