JAIPUR. किसकी सरकार बनेगी, किसकी नहीं बनेगी के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यदि बीजेपी के धर्म का कार्ड चल गया तो अलग बात है, वरना हमारी सरकार बनेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल कुछ भी कहें उनकी ( कांग्रेस ) ही सरकार बन रही है। एक न्यूज चैनल के एग्जिट पोल के अनुसार बीजेपी को 80-100 सीटें मिलती दिख रही हैं तो कांग्रेस को 86-106 सीट। इसका आशय है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो राजस्थान में मिथक टूटेगा और कांग्रेस सरकार बरकरार रहेगी। राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 सीटें चाहिए।
यहां बता दें राजस्थान में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने का रिवाज लम्बे समय से चला आ रहा है।
कन्हैया लाल मर्डर और सचिन पायलट के मुद्दे को कांग्रेस ने किया बेअसर
अब चर्चा है कि ऐसा क्या हुआ कि गहलोत का जादू प्रदेश के लोगों में सर चढ़कर बोल रहा है। क्या उनकी विकास योजनाएं जनता को लुभा रही हैं या जैसा गहलोत खुद कह रहे हैं कि बीजेपी की धर्म के नाम पर हिंदुओं के ध्रुवीकरण कराने का प्रयास उनके लिए उलटा पड़ गया। चुनाव प्रचार के दौरान देखने में आया कि बीजेपी ने कन्हैंया लाल मर्डर केस और सचिन पायलट के साथ पार्टी में हुए अन्याय को जबरदस्त तरीके से भुनाने का प्रयास किया। यह दोनों मुद्दे भी खूब सुर्खियों में रहे। हालांकि कांग्रेस ने बैकफुट पर आने के बजाय बीजेपी के इस हमले का बहुत धैर्यपूर्वक मुकाबला किया, वहीं सचिन पायलट ने अंतिम दौर में गुर्जर बेल्ट में जमकर दौरे किए और गलत फहमियों का दूर करने की पूरी कोशिश की। सचिन ने खुद बीजेपी खास तौर से पीएम मोदी के बयान का बड़ी सावधानी से खंडन किया और कहा कि कांग्रेस से उनका रिश्ता पुराना और दिल का है।
गहलोत जीते तो उसके ये महत्वपूर्ण कारण होंगे-
- गहलोत सरकार की योजनाएं विनिंग फैक्टर ?
कांग्रेस यदि जीतते है तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण गहलोत की चलाई योजनाओं का होगा। यह माना जाएगा कि 100 यूनिट फ्री बिजली, ओपीएस स्कीम, चिरंजीवी योजना, सस्ता सिलेंडर, स्कूटी योजना का जनता पर असर हुआ है। इन स्कीमों खासियत यह रही कि बीजेपी समर्थित लोग भी यह कह रहे थे कि बीजेपी को भी ऐसी स्कीम्स का वादा करना चाहिए। कम से कम दो बड़ी योजनाओं जिसमें चिरंजीवी और सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम ने मतदाताओं को काफी प्रभावित किया है। बीजेपी अंतिम समय तक खुलकर ओपीएस का समर्थन नहीं कर सकी, जबकि हिमाचल और कर्नाटक में भी उसे ओपीएस की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी।
- गहलोत की नई सोशल इंजीनियरिंग भी बड़ी वजह
गहलोत अगर जीत रहे हैं तो इसमें उनकी नई सोशल इंजीनियरिंग की भी बड़ी भूमिका होगी। गहलोत यह जानकर कि सचिन पायलट के चलते पार्टी को गुर्जरों की वोट नहीं मिलने वाला है, नए समुदायों पर बाजी लगाते दिखे। उन्होंने मीणा, महिला और महादलित नाम का नया वोट बैंक बनाया और इसके हिसाब से काम करना शुरू किया। पूर्वी राजस्थान की 39 सीटों में से पिछली बार सचिन पायलट के मेहनत और उनके नाम के चलते गुर्जर वोट कांग्रेस से जुड़े और कांग्रेस ने यहां 25 सीटें जीत ली थीं। बीजेपी को इस इलाके में सिर्फ 4 सीटें ही मिल सकीं थीं। हालांकि, गुर्जर हमेशा से बीजेपी को वोट देता आया था पर 2018 में सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनाने की आस में कांग्रेस को वोट दिया। बीजेपी के कोशिशों के बाद गुर्जर वोट बीजेपी की ओर जाते दिखे तो मीणा वोट और महादलितों का वोट कांग्रेस के खाते में जाता दिखा।
- हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण, मुस्लिम वोट बने निर्णायक
राज्य में बीजेपी के हिंदुओं के ध्रुवीकरण के कोशिश में मुस्लिम वोट कांग्रेस के लिए एक जुट हो गए। वैसे तो मुस्लिम वोट सिर्फ नौ फीसदी हैं, लेकिन यह 21 सीटों पर प्रभावी माना जाता है। बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारकर यह जता दिया था कि उसे मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। कांग्रेस ने 14 मुस्लिमों को टिकट दिया। यह रणनीति काम कर गई। तिजारा से बाबा बालकनाथ के खिलाफ कांग्रेस ने इमरान खान को उतार कर दिखा दिया था कि वो हिंदुत्व को लेकर सॉफ्ट नहीं हो रहे हैं।
- बीजेपी का नेगेटिव प्रचार कांग्रेस का दिलाएगा फायदा
राजस्थान में कांग्रेस की जीत सीएम अशोक गहलोत की जीत मानी जाएगी। जनता बार-बार हिंदू मुस्लिम के नारे से ऊब चुकी है। उसे सरकार का और विपक्ष का रिपोर्ट कार्ड देखना है। जनता आज ये देख रही है कि आपके चुनावी वादे क्या हैं ? निश्चित रूप से कांग्रेस का मेनिफेस्टो बीजेपी से बेहतर था। सीधे-सीधे वादे किए गए थे कि सत्ता में आने पर इन वर्गों के लिए ये किया जाएगा। राजस्थान में कांग्रेस को मिलने वाले महिलाओं के वोट में करीब 4 फीसदी की बढ़ोतरी होती दिख रही है। इसका मतलब सीधा है कि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ने की जो बात बीजेपी कर रही थी उसे महिलाओं ने ज्यादा भाव नहीं दिया। इसके बजाय महिलाओं ने सस्ता गैस सिलेंडर और फ्री बिजली को महत्व दिया।