राजस्थान में केवल 7 सीटों पर महिला उम्मीदवारों में मुकाबला, बीजेपी ने 20 और कांग्रेस ने 28 सीटों पर महिलाओं को मैदान में उतारा

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The Sootr
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राजस्थान में केवल 7 सीटों पर महिला उम्मीदवारों में मुकाबला, बीजेपी ने 20 और कांग्रेस ने 28 सीटों पर महिलाओं को मैदान में उतारा

JAIPUR. राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों का ट्रेंड देखें तो महिलाओं की भागीदारी हमेशा से ही अधिक देखने को मिली है। वहीं बात करें चुनावों में महिलाओं की स्ट्राइक रेट की तो ये भी पुरुषों की अपेक्षा अधिक दर्ज की गई है। बता दें कि अब तो 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल भी संसद में पास हो चुका है। गौरतलब है कि ये बिल आने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनान में भी महिला प्रत्याशी की भागीदारी कम रही है। कुल 200 प्रत्याशियों में से बीजेपी ने 20 और कांग्रेस ने 28 सीटों पर ही महिलाओं को मैदान में उतारा है। यानी बीजेपी ने 10% और कांग्रेस ने 14% टिकट महिलाओं को दिए हैं

200 सीटों में से केवल 7 सीटें ऐसी जहां बीजेपी-कांग्रेस की महिला प्रत्याशी होंगे आमने-सामने

1. भोपालगढ़ : बीजेपी- कमसा मेघवाल, कांग्रेस- गीता बरवड़

कमसा इस सीट से वर्ष 2008 में 5000 और 2013 में 35000 वोटों से जीती थीं। पिछली बार त्रिकोणीय मुकाबले में कमसा तीसरे नंबर पर खिसक गईं।

2018 में : आरएलपी के पुखराज गर्ग ने 68000 वोट लेकर कांग्रेस को 5000 वोटों से हराया था। इस बार फिर मुकाबला त्रिकोणीय है। ऐसे में जाट वोटर निर्णायक स्थिति में



2. अजमेर दक्षिण : बीजेपी- अनिता भदेल, कांग्रेस- द्रौपदी कोली

यहां भदेल लगातार चार बार से जीत रही हैं। 2008 में 19000, 2013 में 23000 वोटों से जीतीं। कांग्रेस ने पिछले चार चुनावों में तीन बार यहां प्रत्याशी बदला है।

2018 में : बीजेपी की प्रत्यााशी अनिता भदेल पिछली बार करीब 6 हजार वोटों से जीती थीं। कांग्रेस ने इस बार महिला प्रत्याशी को उतारा मैदान में उतारा है। इस बार कड़ी टक्कर की स्थिति।



3. जायल : बीजेपी - डॉ. मंजू बाघमार, कांग्रेस- मंजू मेघवाल

पिछले 25 साल से एक बार बीजेपी व एक बार कांग्रेस। 2008 में मंजू मेघवाल 10000 व 2013 में बाघमार 13000 वोटों से जीती थीं। 2018 में बाघमार तीसरे नंबर पर रहीं।

2018 में : कांग्रेस की मंजू मेघवाल ने आरएलपी प्रत्याशी को 19000 वोटों से हराया था। इस बार आरएलपी के प्रभाव वाली सीट। माना जा रहा है कि रिवाज कायम रहा तो कांग्रेस को नुकसान संभव।



4. कामां : बीजेपी - नौक्षम चौधरी, कांग्रेस- जाहिदा खान

जाहिदा 2008 से चुनाव लड़ रही हैं। पहली बार 8000 वोटों से जीतीं। 2013 में नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह से 3250 वोटों से हारीं। बीजेपी ने तीसरी बार प्रत्याशी बदला।

2018 में : जाहिदा ने बीजेपी को करीब 39 हजार वोटों से हराया था। इस बार जाहिदा के खिलाफ दिल्ली तक प्रदर्शन हुए हैं।



5. सादुलपुर : बीजेपी - सुमित्रा पूनियां, कांग्रेस- कृष्णा पूनियां

2008 में बीजेपी की कमला कस्वां जीतीं। 2013 में बसपा के मनोज न्यागली जीते और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। 2018 में बसपा दूसरे व बीजेपी तीसरे नंबर पर रही।

2018 में : कृष्णा पूनियां ने बसपा के मनोज न्यागली को 18000 वोटों से हराया था। इस बार दिग्गज कांग्रेसी नंदलाल पूनियां की भतीजी मैदान में हैं। न्यागली से त्रिकोणीय स्थिति।



6. हिंडौन सिटी : बीजेपी- राजकुमारी जाटव, कांग्रेस- अनिता जाटव

2013 के चुनाव में राजकुमारी ने भरोसी को 8000 वोटों से हराया। 2018 के चुनाव में बीजेपी ने राजकुमारी की जगह मंजू खैरवाल को चुनाव लड़ाया।

2018 में : भरोसीलाल ने बीजेपी प्रत्याशी को करीब 26000 वोटों से हराया था। इस बार विधायक खफा होने, व उनके सभापति पुत्र की बगावत से कांग्रेस को नुकसान संभव।



7. अनूपगढ़ : बीजेपी- संतोष बावरी, कांग्रेस शिमला नायक

2008 में माकपा के पवन दुग्गल जीते थे। कांग्रेस दूसरे व बीजेपी तीसरे पर थी। 2013 में बीजेपी की शिमला बावरी ने जमींदारा पार्टी की शिमला नायक को 11000 वोटों से हराया था।

2018 में : बीजेपी की संतोष ने कुलदीप इंदौरा को 21000 वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी की पूर्व विधायक शिमला के निर्दलीय उतरने से त्रिकोणीय स्थिति।



  • बीजेपी : 2013 की वसुंधरा राजे सरकार में 4 महिलाओं को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। इनमें किरण माहेश्वरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि कृष्णेंद्र कौर दीपा, अनिता भदेल व कमसा मेघवाल को राज्यमंत्री बनाया गया। 
  • कांग्रेस : 2018 की अशोक गहलोत सरकार में सिर्फ 3 महिलाओं को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। इनमें ममता भूपेश व शकुंतला रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया जबकि जाहिदा खान को राज्य मंत्री पद दिया गया।

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