इंदौर एक विधानसभा जो जीता सरकार उसी की, बीते पांच चुनाव का रिकॉर्ड, शुक्ला के आयोजन की भीड़ ने बढ़ाई विजयवर्गीय की चिंता

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Pratibha Rana
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इंदौर एक विधानसभा जो जीता सरकार उसी की, बीते पांच चुनाव का रिकॉर्ड, शुक्ला के आयोजन की भीड़ ने बढ़ाई विजयवर्गीय की चिंता

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विधानसभा से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम क घोषणा के बाद यह सीट हाईप्रोफाल बन चुकी है। यह सीट प्रदेश में कितनी अहम है, यह इसके बीते पांच चुनाव के रिकॉर्ड से साबित होता है। जो यह सीट जीता, प्रदेश में सरकार भी उसी की बनी है। इंदौर जिले की नौ सीटों में ऐसा रिकॉर्ड रखने वाली यह इकलौती सीट है।

बीते पांच चुनाव के रिकॉर्ड- दो बार कांग्रेस, तीन बार बीजेपी जीती

साल 1998- कांग्रेस के रामलाल यादव ने बीजेपी के लालचंद मित्तल को हराया, सरकार बनी कांग्रेस के दिग्विजिय सिंह की

साल 2003- बीजेपी की उषा ठाकुर ने कांग्रेस के रामलाल यादव को हराया, सरकार बीजेपी की उमा भारती की

साल 2008- बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता ने कांग्रेस के संजय शुक्ला को हराया, सरकार बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान की

साल 2013- बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता ने कांग्रेस के रुद्रपाल यादव को हराया (दूसरे नंबर पर निर्दलीय कमलेश खंडेलवाल थे), सरकार बनी बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान की

साल 2018- कांग्रेस के संजय शुक्ला ने बीजेपी के सुदर्शन गुप्ता को हराया, सरकार बनी कांग्रेस के कमलनाथ की।

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इधर शुक्ला के आयोजन की भीड़ से बीजेपी खेमे की बढ़ी चिंता

उधर, संजय शुक्ला द्वारा 10 अक्टूबर से क्षेत्र में जयाकिशोरी जी की श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है। इसकी तैयारियों के लिए रविवार रात (1 अक्टूबर) को बैठक बुलाई गई, उम्मीद थी की एक हजार तक लोग आएंगे, लेकिन मौके पर पांच हजार से ज्यादा की भीड़ पहुंच गई। इसके बाद शुक्ला और उनके खेमे का जोश फिर से लौटने लगा है। वह चुनाव में खुद को विधानसभा का बेटा बोलकर लड़ रहे हैं और मूलमंत्र बना लिया है कि मैं तो यहां का बेटा हूं, जो चुनाव लड़ने आ रहे हैं वह तो विधानसभा दो के बाहरी है।

विजयवर्गीय की पीएचडी तो शुक्ला भी वहीं पांच साल से कर रहे

यह चुनाव बीजेपी और विजयवर्गीय के लिए इतने आसान क्यों नहीं है? इसकी एक बड़ी वजह है कि दोनों के चुनाव की रणनीति एक जैसी है। विजयवर्गीय के विधानसभा में एक के बाद धार्मिक आयोजन, भोजन-भंडारे तो होते ही है, वहीं सामाजिक कामों में भी यह खेमा आगे रहता है। विजयवर्गीय का भले ही बयान आया था कि विधानसभा एक में विकास नहीं हुआ केवल भोजन भंडारे हुए हैं और इसमें तो हमारी पीएचडी है, लेकिन उन्हें अभी यह सारे काम विधानसभा एक में करना है, वहीं शुक्ला पांच साल से कर रहे हैं, लगातार वार्डवार लोगों को अयोध्या, काशी यात्रा करा रहे हैं तो साल भर से लगातार एक के बाद एक धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। जिसमें हजारों लोग आए हैं। वहीं चुनाव के पहले अब जया किशोरी की कथा भी होने जा रही है। वहीं विजयवर्गीय खेमे की ताकत उनके कार्यकर्ता और टीम, नेटवर्क होता है। शुक्ला प्रदेश के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं, उन्होंने भी पांच सालों में अपने बलबूते यह नेटवर्क खड़ा किया है और उनकी खुद की बड़ी टीम मौजूद है। इनके चलते यह चुनाव काफी हाईप्रोफाइल होने जा रहा है।

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