इंदौर के हुकमचंद मिल के मजदूरों को 174 करोड़ के साथ 44 करोड़ ब्याज मिलेगा, 32 साल बाद रंग लाया संघर्ष

author-image
Pratibha Rana
एडिट
New Update
इंदौर के हुकमचंद मिल के मजदूरों को 174 करोड़ के साथ 44 करोड़ ब्याज मिलेगा, 32 साल बाद रंग लाया संघर्ष

संजय गुप्ता, INDORE. दिसंबर 1991 यानि 32 सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे 5895 मजूदर परिवारों का संघर्ष आखिर रंग लाया है। मप्र की बीजेपी सरकार की इस काल की अंतिम केबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास हो गया कि इन्हें आधा ब्याज यानि 88 करोड़ की जगह 44 करोड़ दिया जाएगा। भले ही आधी मांग मानी गई लेकिन इसमें भी मजदूर संतुष्ट है। उन्हें 174 करोड़ मूल बकाया राशि के साथ 44 करोड़ का भी भुगतान होगा। औसतन हर मजदूर परिवार को चार-चार लाख रुपए मिलेंगे। हाईकोर्ट में आज सुबह ( 6 अक्टबूर) को सुनवाई हुई है। इसमें मप्र शासन की ओर से जानकारी दी गई कि हमने यह फैसला ले लिया है कि इतना ब्याज देंगे।

मिल की जमीन पर आएगा आवासीय और कमर्शियल प्रोजेक्ट

इस तरह जल्द ही मजदूरों को 218 करोड़ रुपए मिलेंगे। मिल की करीब 42.5 एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड रेसीडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट लाएगा और उसके एवज में मजदूरों सहित अन्य बकायदारों को पैसे देगा। शुक्रवार को हाई कोर्ट में मजदूरों की याचिका पर सुनवाई होगी। मजदूरों को उम्मीद है हाउसिंग बोर्ड कोर्ट में बकाया और ब्याज की राशि का चेक जमा कर देगा।

संघर्ष के दौरान हो चुकी 2200 मजदूरों की मौत

12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद हुई थी और 5895 मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसके बाद से ही हक के पैसों के लिए लड़ाई चल रही है। इन 5895 में से करीब 2200 मजदूरों की मौत हो चुकी है। तंगहाली के चलते 69 मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं। कुछ की तो तीसरी पीढ़ी पैसों के लिए चक्कर काट रही है। कैबिनेट के फैसले से 5895 मजदूरों और उनके परिजन को औसत 4-4 लाख रुपए मिलेंगे।

सालों बाद खुशियों की दिवाली मनेगी

मजदूरों की संघर्ष समिति के प्रमुख नरेंद्र श्रीवंश और हरनाम सिंह धालीवाल ने बताया, वर्षों बाद मजदूरों के लिए खुशियों की दिवाली आई है। उम्मीद है जल्द हाउसिंग बोर्ड चेक दे, ताकि मजदूरों के खाते में पैसे डाले जा सकें। 88 के बजाए 44 करोड़ ब्याज मिल रहा है, उससे भी हम संतुष्ट हैं, आखिर कब तक कोर्ट के चक्कर काटेंगे।

वर्ष 2007 में कोर्ट ने दिए थे 229 करोड़ देने के आदेश

12 दिसंबर 1991 को मिल बंद हुई थी। 1996 में मजदूरों ने पहली बार पैसों के लिए जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन राहत नहीं मिली। 20 जुलाई 2001 को लिक्विडेशन के साथ मामला फिर हाई कोर्ट में पहुंचा था। 6 अगस्त 2007 को कोर्ट ने 229 करोड़ रुपए मजदूरों को देने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार ने पैसे नहीं दिए और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। 3 मई 2017 को कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सरकार को 50 करोड़ रुपए तत्काल देने के आदेश दिए थे। इसके बाद जमीन नीलामी के भी आदेश दिए गए थे। अब हाउसिंग बोर्ड मिल की जमीन पर प्रोजेक्ट लाएगा और मिल की देनदारियां चुकाएगा।

महापौर के प्रस्ताव के बाद बना रास्ता

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इसमें अहम भूमिका निभाई। महापौर बनने के बाद उन्होंने मिल की जमीन पर आईटी पार्क का प्रोजेक्ट बनाया, जिसमें लाभ की राशि से मजदूरों को भुगतान होगा। हालांकि शासन ने इसकी जगह हाउसिंग बोर्ड का प्रस्ताव कर दिया। इसमें बोर्ड के अधिकारी भी इंदौर आए और मूल वेतन तो तैयार थे, लेकिन मजदूरों की मांग थी कि कम से कम मिल बंद होने से लिक्विडेशन में जाने तक का ब्याज मिले। सीएम के 30 सितंबर को इंदौर दौरे पर भी महापौर ने मंच से यह आवाज उठाई और सीएम ने कहा था कि जल्द फैसला लेने जा रहा हूं। आखिर केबिनेट में यह फैसला हो गया।

हुकमचंद मिल मजदूर MP News Hukamchand mill workers good news for MP workers एमपी न्यूज मुप्र मजदूरों के लिए आई खुशखबरी 50 percent interest to Hukamchand workers हुकमचंद मजदूरों को 50 फीसदी ब्याज