इंदौर के बावड़ी हादसे में मौत का सीधे कोई जिम्मेदार नहीं, नगर निगम के सर्वे में हुई लापरवाही, मंदिर ट्रस्ट ने भी नहीं दिया ध्यान

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Pratibha Rana
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इंदौर के बावड़ी हादसे में मौत का सीधे कोई जिम्मेदार नहीं, नगर निगम के सर्वे में हुई लापरवाही, मंदिर ट्रस्ट ने भी नहीं दिया ध्यान

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में रामनवमी के दिन 30 मार्च को श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर पटेल नगर में हुए बावड़ी हादसे में 36 मौतों का जिम्मेदार कोई नहीं है। यह एक दुखद दुर्घटना ही थी। यह बात इस हादसे के लिए अप्रैल के पहले सप्ताह में बनी मजिस्ट्रियल जांच कमेटी की रिपोर्ट में हैं। द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में सीधे तौर पर किसी को जिम्मेदार नहीं माना गया है। हालांकि नगर निगम और मंदिर ट्रस्ट की कुछ बिंदुओं पर लापरवाही मानी गई है। द सूत्र इस रिपोर्ट को लेकर खास खुलासा कर रहा है। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा है कि जांच पूरी हो चुकी है और प्रशासन को मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट मिल चुकी है और हाईकोर्ट में केस चल रहा है, उनके समक्ष इसे पेश किय जाएगा। उल्लेखनीय है कि मंदिर में हुई इस हादसे को लेकर हाईकोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दाखिल है, जिला कोर्ट में भी एक केस लगाया गया है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस दिए थे। फिलहाल अभी सुनवाई आगे होना बाकी है।

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जांच में यह अहम बातें-

- मजिस्ट्रियल जांच में मुख्य तौर पर कहा गया है कि नगर निगम द्वारा पूरे शहर में बावड़ियों, कुओं के सर्वे किए गए और 629 की सूची बनाई। लेकिन इस सर्वे में कहीं पर भी इस बावड़ी का जिक्र नहीं है। यदि निगम द्वारा सर्वे में लापरवाही नहीं की जाती तो यह बावड़ी चिन्हित होती और यहां पर अन्य बावड़ियों की तरह ही सुरक्षा संबंधी अन्य सतर्कता बरती जा सकती थी, लेकिन रिकॉर्ड पर नहीं होने के चलते यह बावड़ी कभी शासन, प्रशासन की नजरों में नहीं आ सकी। सर्वे टीम ने इस मामले में लापरवाही की है। उल्लेखनीय है कि हादसे के बाद इंदौर नगर निगम प्रशासन ने लापरवाही बरतने वाले भवन अधिकारी परसराम अरोलिया और बिल्डिंग इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया था।

- मंदिर में बावड़ी है इसकी जानकारी मंदिर ट्रस्ट को थी। लेकिन ट्रस्ट ने इस बावड़ी को लेकर मौके पर किसी तरह के संकेत, चिन्हि नहीं लगाए और ना ही कोई सार्वजनिक सूचना दी। इस मामले में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी की लापरवाही है। यदि यह किया होता तो मंदिर में आने-जाने वाले श्रृद्धालु इस बावड़ी को लेकर जागरूक होते।

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मजिस्ट्रियल जांच में यह थे बिंदु

बावड़ी ढहने से हुई 36 लोगों की मौत को लेकर कलेक्टर इलैया राजा टी ने दो अप्रैल को मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए थे। आदेश के अनुसार जांच के बिंदुओं में शामिल रहेगा कि मृतकों की किन परिस्थितियों में मृत्यु हुई? संपूर्ण घटनाक्रम क्या था? घटनाक्रम में क्या परिस्थितियां थीं और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं? भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना हो, इसके लिए सुझाव भी जांच में शामिल किए जाएंगे। अन्य कोई बिन्दु जांच के दौरान प्रकाश में आता है तो उसके संबंध में अभिमत भी जांच में शामिल रहेगा। घटना की जांच 15 दिन में पूरी की जाएगी।

इस तरह हुआ हादसा

रामनवमी के दिन 30 मार्च को मंदिर में परंपरागत रूप से यज्ञ हो रहा था। मंदिर के अंदर ही बनी बावड़ी को करीब 20 साल पहले ही स्लैब डालकर (6 इंच की) बंद कर दिया गया था। यज्ञ के दौरान चारों ओर 60 से ज्यादा लोग वहां बैठे थे। इसी दौरान करीब 11.30 बजे स्लैब टूटी और इस पर बैठे लोग बावड़ी में गिर गए। बावड़ी में कीचड़ और पानी था, इसमें डूबने से लोगों की मौत हुई। हादसे की खबर पाने के बाद स्थानीय लोगों ने रस्सियां डालकर लोगों के निकालने के प्रयास किए, एक घंटे बाद रेस्क्यू हुआ, एसडीआरएफ और आर्मी भी आई। लेकिन कीचड़ में दबने और डूबने के चलते 36 लोगों की मौत हो गई और अगले दिन दोपहर को अंतिम शव बावडी से बाहर निकल सका। मरने वालों में 21 महिलाएं और 15 पुरुष हैं। इनमें 3 बच्चे और एक बच्ची थी।

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अवैध निर्माण को लेकर निगम ने नोटिस भी दिए थे

मंदिर के अवैध निर्माण की शिकायत के बाद निगम ने नोटिस जारी किया तो नेताओं के हस्तक्षेप के कारण निगम ने भी सिर्फ नोटिस देकर जिम्मेदारी पूरी कर ली और कार्रवाई से बचता रहा। 23 अप्रैल 2022 को रहवासियों की शिकायत पर समिति अध्यक्ष गलानी को अवैध निर्माण का नोटिस दिया। 25 अप्रैल को गलानी ने जवाब दिया, कोई अवैध निर्माण नहीं है। धार्मिक भावनाएं ना भड़काएं। 30 जनवरी 2023 को स्नेह नगर विकास मंडल की शिकायत पर नोटिस दिया। जवाब वही, कोई गड़बड़ नहीं है।

मंदिर ट्रस्ट ने यह दिया था 25 अप्रैल 2022 को जवाब

बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट ने नगर निगम के नोटिस का 25 अप्रैल 2022 में जवाब दिया। इसमें लिखा गया कि नोटिस में बताए कारण असत्य होकर अस्वीकार्य है। मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में होने से उस स्थान का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। ये मंदिर की चिन्हित जमीन पर ही किया जा रहा है। यह एक सार्वजनिक मंदिर होकर हिंदू भावना एवं धर्म का प्रेरक है। यहां कोई भवन का निर्माण नहीं हो रहा है। सार्वजनिक उपयोग के लिए बावड़ी का जीर्णोद्धार होना भी प्रस्तावित है। जवाब में ये भी लिखा गया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के संबंध में असत्य जानकारी देकर नोटिस भेजा गया। जो कि न सिर्फ हिंदू धर्म के सिद्धांतों के विपरीत है, बल्कि हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने का कार्य है।

हादसे के बाद तोड़ दिया गया मंदिर और बावड़ी

हादसे के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम ने मौके पर बावड़ी को तोडकर उसे मलबे से भर दिया गया, वहीं मंदिर को भी तोड़ दिया गया। साथ ही पास बन रहे नए निर्माण को भी तोड दिया गया। इस मामले को लेकर बाद में संघर्ष समिति बनी और यहां फिर से मंदिर बनाने की मांग सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्वीकार की। फिलहाल यहां अस्थाई टिन शेड बनाया गया है।


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