संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय आखिर इंदौर विधानसभा एक से उम्मीदवार क्यों बने? इसकी वजह और कोई नहीं बल्कि खुद कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला हैं। लंबे समय से शुक्ला को बीजेपी पार्टी में आने का ऑफर दे रही है। महापौर चुनाव के समय भी यह बात चली थी लेकिन उस समय ज्यादा गंभीरता नहीं थी। इस बार पूरे सितंबर महीने यह चर्चाओं का दौर चला और इसमें मुख्य भूमिका विजयवर्गीय ही निभा रहे थे। उनके साथ लगातार रमेश मेंदोला साथ में थे। कुछ दिन पहले भी विजयवर्गीय और शुक्ला के बीच जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान एक जगह बैठक हुई और बीच-बीच में फोन पर चर्चा हुई।
शुक्ला ने किया स्वीकार बीजेपी से मिला था ऑफर-
शुक्ला ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें बीजेपी में जाने का ऑफर था, उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस से तोड़ने की बहुत कोशिश की गई। लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया इसलिए मेरे सामने राष्ट्रीय नेता विजयवर्गीय को मेरे सामने उतारा। कांग्रेस ने मुझे मान, सम्मान दिया है, मैं यह पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं उनके सामने ही चुनाव लडूंगा, चुनाव में हार-जीत चलती है लेकिन पहली बार विजयवर्गीय को हार देखना होगी।
आप बीजेपी में नहीं आओगे तो मेंदोला आएंगे-
सूत्रों के अनुसार बात यहां तक हो गई थी कि आपके और शुक्ला परिवार के साथ हम सभी के पारिवारिक रिश्ते हैं। इसलिए हम सभी की मंशा है कि सब मिलकर आगे बढ़ें, लेकिन यदि आप बीजेपी में नहीं आएंगे तो फिर हमारे अपने को चुनाव में उतरना होगा। रमेश मेंदोला को इंदौर एक से तैयार रहने के लिए कहा गया है। मेंदोला का नाम आने के बाद शुक्ला भी प्रस्ताव पर विचार कर रहे थे। शुक्ला ने करीबियों से चुनावी सर्वे तक की जानकारी लेनी शुरू कर दी थी कि चुनाव के बाद सरकार किसकी बनेगी? लेकिन इन सभी बातों में शुक्ला ने ऑफर पर फैसला लेने में देरी कर दी, नतीजतन दिल्ली हाईकमान ने अंतत: सूची जारी कर दी और इसमें विजयवर्गीय को मैदान में उतार दिया।
विजयवर्गीय को लगा मेंदोला आ जाएंगे, खुद का अंदाजा नहीं था-
विजयवर्गीय को भी यही अंदेशा था कि इंदौर एक से मेंदोला को टिकट दिया जा सकता है, लेकिन यह उनके लिए भी चौंकाने वाली बात थी, क्योंकि इसमें उन्हें ही टिकट दे दिया गया था। पार्टी ने उन्हें सिर्फ यही कहा था कि चुनाव में काम देंगे, ना मत करना। विजयवर्गीय को पता था कि यदि उन्हें टिकट मिला तो आकाश का टिकट बेहद मुश्किल होगा पार्टी दोनों को टिकट नहीं देगी। इसलिए उनकी मंशा चुनाव की नहीं थी लेकिन पार्टी के आदेश से अब वह चुनाव मैदान में हैं।